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Film Review: Avengers-Age of Ultron यानी पैसा वसूल

हांफते भारतीय बॉक्स ऑफिस के लिए उम्मीद की किरण बनकर आ रही हैं हॉलीवुड की फिल्में. इस हफ्ते रिलीज हुई है सुपरहीरोज के जमावड़े वाली फिल्म 'एवेंजर्सः ऐज ऑफ अल्ट्रॉन'.

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poster of Avengers-Age of Ultron
poster of Avengers-Age of Ultron

फिल्म:  Avengers-Age of Ultron
रेटिंगः 3.5 स्टार
डायरेक्टरः जॉस व्हेडन
कलाकारः रॉबर्ट डाउनी जूनियर, स्कारलेट योहानसन, क्रिस इवान्स, क्रिस हेम्सवर्थ, मार्क रुफैलो, जेरेमी रेनर, एलिजाबेथ ओल्सन, एरन टेलर-जॉनसन

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हॉलीवुड में यह सीजन बड़ी फिल्मों का है और बॉलीवुड की और से कोई बड़ा धमाका नहीं हो रहा है तो ऐसे में हॉलीवुड की ये फिल्में भारतीय सिनेमाघरों की तारणहार बनी हुई हैं. हाल ही में 'फास्ट एंड फ्यूरियस' ने कुपोषण की मार झेल रहे भारतीय बॉक्स ऑफिस को कुछ खुराक दी तो अब बारी 'एवेंजर्सः ऐज ऑफ अल्ट्रॉन' की है. पहली बार किसी फिल्म में इतने ढेर सारे सुपरहीरोज देखने को मिलेंगे जो फिल्म को ऊर्जा और मस्ती से भरपूर बनाते हैं.

सुपरहीरो से भरी यह फिल्म लगभग ढाई घंटे के लिए ऐसे संसार में ले जाती है, जो सोच से परे है, जिसमें टेक्नोलॉजी, ईश्वरीय ताकत और मानवीय हौसलों का मजेदार मिश्रण देखने को मिलता है. इसमें आयरन मैन (रॉबर्ट डाउनी) है. थॉर (क्रिस हेम्सवर्थ) है. ब्लैक विडो (स्कारलेट) है. कैप्टेन अमेरिका (क्रिस इवान्स) है. हॉकआइ (जेरेमी रेनर) है. हल्क (मार्क रूफोलो) है. उनको चुनौती देने के लिए क्विकसिल्वर (एरन टेलर) और स्कारलेट विच (एलिजाबेथ ओल्सन) हैं तो आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से लैस अल्ट्रॉन भी.

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कहानी कुछ इस तरह की है कि आयरन मैन और उनके साथी मिलकर एक अभियान को अंजाम दे रहे होते हैं. यहीं उनकी मुठभेड़ क्विकसिल्वर और विच से होती है. तबाही का मंजर देखने के बाद टोनी स्टार्क अपने साथी के साथ मिलकर आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से शांति सेना तैयार करने की कोशिश करता है. एक मशीनी सेना. वह अल्ट्रॉन बनाता है. लेकिन दांव उल्टा पड़ जाता है. अल्ट्रॉन इस फलसफे पर काम करता है कि पहले उसी का अस्तित्व खत्म करो जिसने आपको अस्तित्व दिया है. इस तरह उसकी शुरुआत 'एवेंजर्स' को खत्म करने की कोशिश से होती है. फिर शुरू होता है, तबाही और स्पेशल इफेक्ट्स का सिलसिला.

फिल्म की कहानी में मसाला है. एक्शन है. इमोशंस हैं और इतनी ही मात्रा में सुपरहीरो भी हैं और उनकी धुनाई भी. हर चीज दबकर है. यही बातें इसे खास भी बनाती हैं तो कमजोर भी. कहीं-कहीं 'एवेंजर्स' की ओवरडोज लग सकती है, लेकिन मनोरंजन भरपूर होने की वजह से यह बात याद नहीं रहती है. एक्शन सिक्वेंस हैरतअंगेज हैं. स्पेशल इफेक्ट्स आंखें खोल देने वाले हैं. कह सकते हैं कि हॉलीवुड की इस तरह की फिल्में बनाने में अभी बॉलीवुड को बहुत ही लंबा सफर तय करना होगा.

मार्वल कॉमिक्स कैरेक्टर्स के फैन्स के लिए यह फिल्म सही ट्रीट है. अपने सिक्वेल से एक्शन और सुपरहीरोज की राह पर फिल्म एक कदम आगे बढ़ती है. इस हफ्ते हिंदी सिनेमा में कोई गंभीर ऐक्टिविटी है नहीं, ऐसे में हॉलीवुड फिल्म प्रेमियों और ऐक्शन-टेक्नोलॉजी-सुपरहीरोज का कॉम्बिनेशन देखने के शौकीनों के लिए वीकेंड पर यह सही मसाला है. फुलटू पैसा वसूल और हांफते भारतीय बॉक्स ऑफिस के लिए उम्मीद की किरण.

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