रेटिंगः 3.5 स्टार
डायरेक्टरः कबीर खान
कलाकारः सलमान खान, हर्षाली मल्होत्रा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और करीना कपूर खान
ऐसा लग रहा है कि सलमान खान अपनी पिछली कुछ फिल्मों के जरिये अपनी एक छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं और यह छवि बीइंग ह्यूमन की है. इस छवि के लिए वह बीच-बीच में कोशिशें करते रहते हैं. ऐसा ही कुछ उन्होंने 'बजरंगी भाईजान' में भी किया है. इसमें एक सुपरस्टार की अपनी रियल लाइफ को रील लाइफ के जरिये रिप्लेस करने की कोशिश नजर आती है. फिल्म में वह एक बच्ची की मदद करते हैं और पूरी तरह डूबकर करते हैं. उन्होंने इस रोल को निभाने की पूरी शिद्दत से कोशिश की है और इसका इशारा सिनेमाघर में बजने वाली सीटियों से मिल जाता है. हालांकि यह सीटियां उनसे ज्यादा नवाजुद्दीन की डायलॉग डिलीवरी पर ज्यादा बजती हैं. वैसे भाईजान के फैन्स को इस बार दिल थोड़ा मजबूत करके जाना होगा क्योंकि भाईजान कई ऐसे मौके देते हैं जहां उन्हें अपने रूमाल की जरूरत पड़ सकती है. डायरेक्शन भी ठीक है.
कहानी में कितना दम
सलमान खान एक सीधा-सादा युवक है. जो दिल्ली में अपने पिता के एक दोस्त के पास रहने आता है. वहां उसकी बेटी करीना कपूर से सलमान का चक्कर चल जाता है और इसी बीच एक बोल नहीं पाने वाली लड़की उसे मिलती है. लड़की पाकिस्तान की है और इस ईमानदार सच्चे इनसान को बच्ची को पाकिस्तान में उसके मां-बाप से मिलाना है. बस यहीं से बजरंगी एक्शन में आता है और बच्ची को पाकिस्तान ले जाने की जद्दोजहद में जुट जाता है. उनके हमसफर बनते हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी. फिल्म साफ तौर पर दो हिस्सों में बंटी है. पहला हाफ बजरंगी की बचकानी हरकतों और बच्ची के साथ उसके रिश्तों और गानों के लिए है. जबकि दूसरा हाफ पाकिस्तान का सफर है, जिसमें नवाज चमक कर नजर आते हैं और पाकिस्तानी पत्रकार चांद का किरदार करते हैं. कहानी बहुत ही स्वाभाविक है और इमोशंस को जगह-जगह पर जगाती है.
स्टार अपील
सलमान खान बजरंगी भाईजान बने हैं और ठीक-ठाक एक्टिंग करते हैं. फिल्म में उनका सॉफ्ट पहलू उभरकर आया है. जो शायद बहुत ही सोच-समझकर गढ़ा गया है. इस बार उनके तालीमार डायलॉग नहीं हैं और आखिर में सेल्फी की परिभाषा ही याद रह जाती है, 'जब हम खुद की लेते हैं वो होती है सेल्फी.' हर्षाली ने कमाल की ऐक्टिंग की है और बिना बोले उसने बेहतरीन ढंग से अपनी बातों को पेश किया है. उस मासूम को देखकर मजा आता है और प्यार भी. नवाजुद्दीन सिद्दीकी पत्रकार के रोल में जमे हैं और जैसा सब जानते हैं कि वह एक एक्टर हैं और उनकी हर बात और डायलॉग डिलीवरी में मजा आता है. प्लेन चेहरे के साथ कॉमिक टाइमिंग भी बढ़िया है. उनका यह डायलॉग जमता है, 'नफरत बहुत आसानी से बिक जाती है.' अरे हां, करीना कपूर को तो भूल ही गए है. बस फिल्म में भी उनका रोल ऐसा ही है. न जाने करीना ने क्या सोचकर यह रोल किया. बाकी सब ठीक है.
कमाई की बात
सलमान के हार्डकोर फैन्स के लिए 'बजरंगी भाईजान' एकदम नई चीज है. इमोशनल ड्रामा है. अब देखना यह होगा कि वह इसे कितना पचा पाते हैं. फिल्म की कहानी थोड़ी खींची हुई भी लगती है, इसलिए बीच-बीच में इधर-उधर देखने का मौका मिल जाता है. थोड़ा समय कम कर देना चाहिए था. अगर बजट की बात करें तो 'बजरंगी भाईजान' का प्रोडक्शन और प्रमोशन बजट मिलाकर लगभग 85-90 करोड़ रु. बताया जाता है. जो भाईजान के लिए बॉक्स ऑफिस पर उगाहना कोई मुश्किल काम नहीं है और वैसे भी एडवांस बुकिंग जबरदस्त है. फिल्म फैमिली एंटरटेनर है और वन टाइम वॉच तो है.