रेटिगः 2
कलाकारः अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा, जैकी श्रॉफ और जैक्लिन फर्नांडिस
डायरेक्टरः करण मल्होत्रा
हर हफ्ते के साथ बॉलीवुड नई फिल्में लेकर आता है. जिन्हें ढेरों पैसे, खूब प्रचार और बड़े बोल की चाशनी के साथ लगाकर पेश किया जाता है. नतीजाः ऐसी फिल्में मिलती हैं जो ओरिजनल नहीं कॉपी होती हैं. कॉपी भी कोई ऐसी-वैसी नहीं, असली वाली कॉपीः हूबहू. बॉलीवुड इस दुष्चक्र से निकल नहीं पा रहा है.
ऐसा ही कुछ इस हफ्ते भी हुआ है. 'अग्निपथ' के रीमेक के जरिए करण मल्होत्रा ने बॉलीवुड में मजबूत कदम रखे थे. उन्हें रीमेक कामयाब फॉर्मूला लगा. इस बार वे हॉलीवुड फिल्म 'वॉरियर' का रीमेक 'ब्रदर्स' के रूप में ले आए हैं लेकिन उसकी जैसी धार नहीं ला पाए. वे नकल के चक्कर में तो पड़ गए लेकिन उस तरह दिमाग नहीं लगा सके कि फिल्म बांध कर रख पाती. फिल्म को कई मोर्चों पर लड़ाने के चक्कर में हर मोर्चे पर पस्त होते नजर आते हैं. फिल्म की कुल पूंजी अक्षय कुमार है. एक अच्छी कहानी के साथ बहुत ही खराब सलूक है 'ब्रदर्स' .
कहानी में कितना दम
यह कहानी पिता और दो बेटों की है, एक मजबूर पिता और पति की है, खुद को साबित करने की जुगत में लगे बेटे की है, भाइयों के रिश्ते की है. कहानी में वह सब कुछ है जो भारतीय दर्शक देखना चाहते हैं. लेकिन वह कनेक्ट नहीं जो दर्शकों को जोड़ता है. यह एक परिवार की कहानी है जो बिखरा पड़ा है. पिता जैकी श्रॉफ है और बेटे अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा हैं. हालात ऐसे होते हैं कि दो भाई फाइटिंग के रिंग में एक-दूसरे से जूझते नजर आते हैं. फिल्म का पहला हाफ बहुत सुस्त है और कैरेक्टर्स को सेट करने में गुजर जाता है जबकि दूसरे में फाइटिंग है. ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने ऐक्शन दूसरे हाफ के लिए बचा रखे थे. इसी चक्कर में फिल्म बहुत ही फ्लैट हो जाती है. फिल्म ढाई घंटे से ज्यादा की है. बॉलीवुड में लंबी फिल्में बनाने का ट्रेंड लौट रहा है. जिस वजह से कई बार फिल्में खिंचती हुई लगती है इस बार भी ऐसा ही है. ट्रेनिंग वाले सीन मजेदार हैं.
स्टार अपील
अक्षय फिल्म की यूएसपी हैं. वे हार्ड और सॉफ्ट दोनों लुक में सॉलिड नजर आते हैं. भाई के रोल में भी वे दिल जीतते हैं और फाइटर के रोल में भी. जैकी श्रॉफ ने भी अपने लुक की बजाए अपनी एक्टिंग से ज्यादा इम्प्रेस किया है. जैकलीन फर्नांडिस ने भी ठीक-ठाक काम किया है. सबने जो भी रोल मिले बहुत ही खूबी से निभाए हैं. अरे, हां सिद्धार्थ भी तो हैं. अभी उनको बहुत मेहनत करने की जरूरत है. उनका स्टोन फेस है और कोई भी इमोशन उनके चेहरे पर आता नहीं है. चाहे एक्शन हो या भावनात्मक सीन वे एक ही मुद्रा में रहते हैं. उन्हें अपनी मुद्राओं में थोड़ा बदलाव लाना होगा. करीना कपूर का आइटम सांग बिल्कुल भी असर नहीं डालता है चमेली के आगे तो पानी भरता है.
कमाई की बात
फिल्म बड़े बजट की है और सूत्रों की मानें तो यह लगभग 75-80 करोड़ रु. के बीच का मामला है. फिल्म में बड़ी स्टारकास्ट है और धर्मा प्रोडक्शन जैसा बड़ा बैनर भी है. फिल्म को नॉर्मल वीकेंड मिल रहा है. इसलिए चुनौती कड़ी है. फिल्म का म्यूजिक एवरेज रहा है और इस बात में कोई शुबहा नहीं कि इसे लेकर जबरदस्त हाइप रही है. इसमें दो राय नहीं कि फिल्म की कहानी से लेकर प्रमोशन तक और स्टारकास्ट से लेकर प्रोडक्शन हाउस तक, सब कमाल था. लेकिन कहानी के साथ खराब सलूक निराश करता है, यही बात दर्शकों के साथ कनेक्ट बनाने में बाधा पैदा कर सकती है.