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परिणीति चोपड़ा और आदित्य रॉय कपूर की दावत-ए-इश्क का फिल्म रिव्यू

परिणीति चोपड़ा और आदित्य रॉय कपूर की दावत-ए-इश्क रिलीज हो गई है. फिल्म में खाने और प्रेम का संगम किया गया है. फिल्म में क्या है खास और क्या है खामी, जानने के लिए पढ़ें फिल्म रिव्यू.

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दावत-एक-इश्क
दावत-एक-इश्क

रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः हबीब फैसल
कलाकारः आदित्य रॉय कपूर, परिणीति चोपड़ा और अनुपम खेर

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हबीब फैसल न सिर्फ बेहतरीन किस्सागो हैं, बल्कि उन्हें नई तरह की कहानियों के जरिए दर्शकों को रिझाना भी आता है. बतौर डायरेक्टर उनकी दो दूनी चार और इशकजादे को दर्शकों का खूब प्यार मिला था और दोनों फिल्मों की कहानी एकदम अलग और कनेक्ट करने वाली थी. हबीब का कुछ अलग देने का सिलसिला दावत-ए-इश्क में कायम रहता है. उन्होंने फिल्म को खाने से जोड़कर और उसमें एक प्रेम कहानी को पिरोकर, उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय रंग में रंगकर जायकेदार दस्तरखान बिछाने की कोशिश की है. फिल्म में सोशल मैसेज देने की भी कोशिश है. हालांकि कहानी में कहीं-कहीं कुछ झोल नजर आते हैं. बिल्कुल उसी तरह जैसे अच्छे से साफ नहीं की गई दाल में कहीं-कहीं बीच में कंकड़ आ जाते हैं, वैसे ही कुछ खामियां दावत-ए-इश्क में भी आ नजर आती है.

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कहानी में कितना दम
आदित्य रॉय कपूर लखनऊ में रेस्तरां चलाते हैं और हैदराबादी परिणीति चोपड़ा जूते की दुकान पर सेल्स गर्ल है. उसके ऊंचे ख्वाब हैं. वो अपने लिए मिस्टर परफेक्ट चाहती है, लेकिन इस मिस्टर परफेक्ट की कीमत काफी ऊंची होती है (यानी दहेज). इसी तरह अपने मिस्टर परफेक्ट की तलाश करते-करते परिणीति को आदित्य मिल जाता है. इस तरह एक शेफ और सेल्स गर्ल की कहानी की शुरुआत हो जाती है. यशराज फिल्म्स को परदे पर बेहतरीन रोमांस दिखाने का हुनर हासिल है, और अपने पिता यश चोपड़ा के बाद आदित्य चोपड़ा भी इस हुनर में महारत हासिल करने की जुगत में हैं. हालांकि फिल्म दूसरे हाफ में थोड़ी कमजोर हो जाती है.

स्टार अपील
चुलबुली और चतुर-चालाक परिणीति चोपड़ा परदे पर बहुत अच्छी लगती हैं. गर्ल नेक्स्ट डोर वाली इमेज भी बढ़िया है. हैदराबादी लहजा भी खूब पकड़ा है. आदित्य बैक टू बैक दो हिट दे चुके हैं. दावत-ए-इश्क में उन्होंने तारिक के किरदार में घुसने की भरपूर कोशिश की है. कुछ मौकों को छोड़ दिया जाए तो आदित्य बढ़िया लगे हैं. उनके एक्सप्रेशंस भी ठीक हो गए हैं. अनुपम खेर हमेशा की तरह बढ़िया हैं. वे मजेदार हैं. सारे कैरेक्टर डायरेक्टर के सटीक निर्देशन में नजर आते हैं.

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कमाई की बात
फिल्म के गाने सुनने में अच्छे लगते हैं और 1990 के दशक की याद दिलाते हैं. कहानी में हर वह मसाला डालने की कोशिश की गई है, जो किसी डिश को जायकेदार बनाने के लिए जरूरी होता है. प्यार है. ड्रामा है. सोशल मैसेज है. ऑडियंस कनेक्ट है. आदित्य-परिणीति की केमिस्ट्री है. फिल्म हर तरह के दर्शक वर्ग को कनेक्ट करती है, और फिर बात दावत की हो तो हम भारतीय कहां पीछे रहते हैं.

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