स्टारः 2.5
डायरेक्टरः साजिद-फरहाद
कलाकारः अक्षय कुमार, तमन्ना भाटिया और मिठुन चक्रवर्ती
कई लोगों को कुत्तों की किस्मत पर रश्क होता है और एंटरटेनमेंट देखकर भी ऐसा ही होगा. एंटरटेनमेंट को देखते हुए यही एहसास मिलता है कि अक्षय तो सिर्फ एक कुत्ते के सहायक कलाकार हैं. बेशक एक पालतू जानवर (कुत्ता शब्द प्रयोग करते हुए थोड़ी झिझक हो रही है) को लेकर अच्छी सोच के साथ बनाई गई फिल्म है, लेकिन लगता है पटकथा के मामले में साजिद-फरहाद की जोड़ी चूक गई. चेन्नै एक्सप्रेस, गोलमाल, हाउसफुल-2 जैसी फिल्म के डायलॉग लिख चुकी इस जोड़ी की यह बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म थी. उम्मीदें सातवें आसमान पर थीं, लेकिन उन्होंने अपने डायलॉग्स के मुताबिक ही फिल्म बना डाली और जिसमें सिर्फ एंटरटेनमेंट ही पिरोने की कोशिश की गई है, बाकी कुछ नहीं.
कहानी में कितना दम
एक कारोबारी मर जाता है. उसकी अरबों की जायदाद है. एक शख्स (अक्षय कुमार) को पता चलता है कि वह उसका नाजायज पिता था. जब वह जायदाद पर दावा ठोंकने पहुंचता है तो देखता है कि कुत्ते (एंटरटेनमेंट) को कारोबारी ने वारिस बनाया है. बस फिर एक जानवर से जायदाद हथियाने की कहानी शुरू होती है. फिर भावनाओं का सैलाब आता है. प्रेम का ज्वार उठता है. बीच-बीच में हंसी भरे ऐक्शन का ज्वालामुखी फटता है. मस्ती भरे गानों का छौंक लगता है. बस, जैसा साजिद-फरहाद स्टाइल जोक्स, जोक्स और जोक्स. असल जिंदगी की तरह ही फिल्म में भी कई ऐसे जोक्स होते हैं, जिन पर आपको हंसी आती है और कभी नहीं भी आती है. फिर बॉलीवुड हमेशा से जो चूक करता आया है, वही इस बार भी की है. वह एक विषय सेंट्रिक फिल्म नहीं बना पाता और कई मोर्चों पर एक साथ जुटता है, इसी चक्कर में फिल्म पूरी तरह से भानुमति का कुनबा बन जाती है.
स्टार अपील
अक्षय कुमार की पिछली फिल्म हॉलीडे ने बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ का आंकड़ा छुआ था. लेकिन एंटकटेनमेंट में अक्षय कॉमेडी लेकर आए हैं और कमजोर कहानी के साथ हैं. वैसे वे जो करते हैं मजेदार होता है. तमन्ना भाटिया साउथ की सनसनी हैं. बॉलीवुड में अभी तक सिक्का नहीं जमा पाई हैं. पहले हिम्मतवाला, फिर हमशकल्स और अब एंटरटेनमेंट. फिल्म में वे अच्छी लगती हैं. लेकिन लंबे समय से उन्हें मजबूत किरदार में देखने की चाहत है. जॉनी लीवर, मिठुन चक्रवर्ती, सोनू सूद और प्रकाश राज भी ठीक ही हैं.
कमाई की बात
अक्षय कुमार के उस तरह के समर्पित फैन नहीं हैं जैसे शाहरुख और सलमान खान के हैं. लेकिन कुछ ऑडियंस तो हैं जो उनकी फिल्म देखना पसंद करते हैं. अक्षय की एंटरटेनमेंट उन्हीं के सहारे है क्योंकि फिल्म पूरी तरह कॉमेडी है और कहीं-कहीं इमोशनल भी. जिसमें सिर-पैर की कमी है. अगर दर्शकों ने ज्यादा लोड न लेते हुए फिल्म को देखने का मन बनाया तो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कर सकती है क्योंकि गाने अच्छे हैं और कॉमेडी लोग देख ही लेते हैं. वैसे भी अक्षय की फिल्में घाटे में कम ही रहती हैं. बाकी सब जनता जनार्दन पर.