फिल्म: फगली
स्टारः 2.5
डायरेक्टरः कबीर सदानंद
कलाकारः विजेंदर सिंह, मोहित मारवाह, कियारा आडवाणी, आरिफ लांबा और और जिमी शेरगिल
अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों में यह देखा गया है कि डायरेक्टर एक ही फिल्म में कई संदेश पिरोना चाहते हैं. बस, यहीं उनसे चूक हो जाती है. उनकी सही सोच खराब एग्जीक्यूशन की वजह से पूरा जायका बिगाड़ कर रख देती है. ऐसा ही कुछ कबीर सदानंद के साथ भी हुआ. फिल्म में दोस्ती, मौज मस्ती और आखिर में सामाजिक संदेश को समेटा गया है. कबीर ने फिल्म को युवाओं पर केंद्रित किया है और मौजूदा दौर में समाज में चल रहे भ्रष्टाचार और विभिन्न तरह की समस्याओं के साथ ही औरतों के साथ हो रहे अन्याय को सामने लाने की कोशिश की है. लेकिन कमजोर कहानी और बहुत ढेर सारी घटनाओं की वजह से फिल्म बिखरती जाती है और चूकती हुई लगती है.
कहानी में कितना दम
फिल्म दिल्ली के चार दोस्तों की हैः गौरव (विजेंदर सिंह), देव (मोहित मारवाह), आदित्य (आरिफ लांबा) और देवी (कियारा आडवाणी). ये कॉलेज से पासआउट होते हैं और जिंदगी को जीने में लग जाते हैं. सब कुछ सही चल रहा होता है, उसी दौरान ऐसे कई मोड़ आते हैं कि सब कुछ हाथ से निकलता जाता है. उनकी जिंदगी में हरियाणवी पुलिसवाले चौटाला (जिमी शेरगिल) की एंट्री ऐसी होती है जैसे ग्रहण. फिल्म में दिल्ली और गुड़गांव का माहौल है. कहानी में कई लोचे हैं, कन्टीन्युनिटी का भी अभाव है.
स्टार अपील
मोहित मारवाह एवरेज हैं, और उन्हें ऐक्टिंग के मोर्चे पर काफी मेहनत करने की जरूरत है. विजेंदर के लिए बॉक्सिंग ही अच्छा विकल्प है. कियारा भी ठीक लगी हैं लेकिन यादगार जलवा नहीं. ऐक्टिंग का मोर्चा सिर्फ जिमी शेरगिल ही संभाले हुए हैं. वही, ऐसे कलाकार हैं जो फिल्म में कुछ छाप छोड़ते नजर आते हैं.
कमाई की बात
हर फिल्म का अपना अलग मिजाज होता है. ऐसा ही कुछ इस फिल्म के साथ है. फिल्म में दोस्ती, देशभक्ति और समाज में फैली बुराइयों को पेश करने की कोशिश की गई है. बेशक डायरेक्टर ढेर सारा मसाला दिखाने के चक्कर में प्लॉट से बीच-बीच में भटक जाते हैं और सारे नए ऐक्टर होने की वजह से ऐक्टिंग का मोर्चा भी थोड़ा कमजोर पड़ जाता है. लेकिन फिल्म का म्यूजिक इसकी यूएसपी है. साल के शुरू में रिलीज हुई युवा तेवरों वाली यारियां फिल्म तमाम खामियों के बावजूद स्लीपर हिट साबित हुई थी. अब देखना यह है कि क्या फगली ऐसा कुछ चमत्कार कर सकती है?