रेटिंगः 2.5 स्टार
कलाकारः अरशद वारसी, अमित साध, रोनित रॉय और अदिती राव हैदरी
डायरेक्टरः सुभाष कपूर
ब्रोमांस बॉलीवुड में हमेशा से हिट रहा है. यह रिकॉर्ड रहा है कि इस तरह की फिल्मों ने अच्छा बिजनेस किया है. बात चाहे शोले की हो या फिर गुंडे की. 'गुड्डू रंगीला' भी इसी जॉनर की फिल्मों में एक नाम है. सुभाष कपूर को उनकी एकदम देसी अंदाज की फिल्मों 'फंस गए रे ओबामा' और 'जॉली एलएलबी' के लिए पहचाना जाता है जो ना सिर्फ मनोरंजन करती हैं बल्कि हल्के-फुल्के अंदाज में समाज की हकीकत से भी रू-ब-रू कराती हैं. इन फिल्मों के सामने 'गुड्डू रंगीला' थोड़ी कमजोर नजर आती है. फिल्म में मजेदार डायलॉग हैं, जो गुदगुदाते हैं. हरियाणा का देसी अंदाज है, जिस देखकर मजा आता है. गांव-कस्बों की कहानी है जो एक नई दुनिया में ले जाती है. लेकिन कहानी कतरनों में अच्छी लगती है. पहला हाफ बांधकर रखता है तो वहीं दूसरा हाफ बहुत खींचा हुआ लगता है. यहीं फिल्म सुभाष कपूर वाला टच खो देती है और सिर्फ एवरेज रिवेंज ड्रामा बनकर रह जाती है.
कहानी में कितना दम
अमित साध (गुड्डू) और अरशद वारसी (रंगीला) ऑर्केस्ट्रा चलाते हैं और मुखबिरी का काम भी करते हैं. लेकिन इसी तरह एक दिन एक चक्कर में फंस जाते हैं और अदिती राव हैदरी के अपहरण को मजबूर हो जाते हैं. वह मूक और वधिर है. लेकिन तीनों सितारों का अपना-अपना अतीत है. सभी को बदला लेना है, वहीं अदिती का जीजा रोनित रॉय का अपना सिक्का चलता है. उसका खौफ है, वह खाप का प्रमुख है. फिल्म एक साथ काफी कुछ दिखाने के चक्कर में मजा खो देती है. कहीं खाप है, कहीं प्यार है, कहीं बदला है और बीच-बीच में कई तरह के मजाक हैं और फिर अतीत भी तो है. डायरेक्टर अपने नाम के मुताबिक बांधकर नहीं रख पाते हैं. अंत आते-आते फिल्म एवरेज रिवेंज ड्रामा बनकर रह जाती है.
स्टार अपील
अरशद वारसी हमेशा की तरह इस बार भी अपनी एक्टिंग के साथ दिल जीतते हैं. खब्ती और प्योर देसी रोल करने में वह माहिर हैं और इसकी झलक वह 'इश्किया' और 'जॉली एलएलबी' जैसी फिल्मों में दिखा चुके हैं. गुड्डू रंगीला में भी इसी क्रम को आगे बढ़ाते हैं. अमित साध भी बढ़िया हैं, उन्हें जो मिला उसे पूरी तरह निभाते हैं. अदिती राव हैदरी ने भी ठीक-ठाक काम किया है. वहीं रोनित रॉय ने बतौर विलेन जलवा दिखाया है. उन्होंने हरियाणवी अंदाज और देसी स्टाइल को अच्छे से निभाया है और वह डराते भी हैं.
कमाई की बात
फिल्म का बजट लगभग 15-20 करोड़ रु. बताया जाता है. फिल्म में देसी कनेक्ट भी है जो इसे टियर-2 और 3 के शहरों में दर्शकों से जोड़ने का काम कर सकता है. इसके अलावा, रिवेंज ड्रामा है तो एक्शन भी है, साथ ही रोमांस भी. मतलब पूरी तरह मसाला फिल्म है जो छोटे सेंटर्स और सिंगल स्क्रीन के लिए बढ़िया है. सुभाष कपूर और अरशद वारसी का रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है. ऐसे में फिल्म उनके चाहने वालों को खींचने का काम कर सकती है. सुभाष कपूर ने एक अच्छा आइडिया सोचा लेकिन लगता है वह उसे उस तरह अमल में नहीं ला सके.