FILM REVIEW: कैसी है रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर की 'गुंडे'
रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर की दोस्ती और प्रियंका चोपड़ा के जलवों से भरपूर गुंडे रिलीज हो गई है. फिल्म प्यार के दिन वैलेंटाइन डे पर आई है, जानते हैं इसमें दर्शकों को सिनेमा हॉल तक खींचने की कितनी कूव्वत है...
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- नई दिल्ली,
- 14 फरवरी 2014,
- (अपडेटेड 19 नवंबर 2014, 5:58 PM IST)
स्टार- तीन स्टार
कलाकार- रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर और प्रियंका चोपड़ा
डायरेक्टर- अली अब्बास जफर
बजट- लगभग 50 करोड़ रु.
तूने मारी एंट्रियां... लेकिन दिल में नहीं बजी घंटियां. कुछ ऐसी ही है मोस्ट अवेटेड फिल्म गुंडे. इसमें जूनियर हीरो और सीनियर हीरोइन का प्रेम त्रिकोण है. लंबे समय बाद स्क्रीन पर यारी-दोस्ती दिखाने की कोशिश की गई है. साउथ की रीमेक न बनाकर बॉलीवुड की अपनी ओरिजनल फिल्म बनाई है. युवा सितारों को एकदम अलग अंदाज में दिखाने की दिशा में कदम है. लेकिन ढाई घंटे लंबी फिल्म कहानी और डायरेक्शन के मामले में जरूर उलझन में डाल देती है. फिल्म से जिस तरह के करिश्मे की उम्मीद थी, उस पर सौ फीसदी खरी नहीं उतरती है.
कहानी की बात
फिल्म में दो दोस्त बिक्रम और बाला (रणवीर और अर्जुन) हैं. वक्त के मारे हैं. बेसहारा हैं. मजबूरी में गैर कानूनी धंधों में लग जाते हैं. इसी तरह जिंदगी चलती है और बड़े सरगना बन जाते हैं. कैबरे डांसर नंदिता (प्रियंका चोपड़ा) आती है और दोनों के दिलों में घंटियां बजाती हैं. डॉन टाइप हीरो उसके आगे-पीछे मंडराने लगते हैं. एसीपी सत्यजीत सरकार (इरफान खान) इन दोनों को पकड़ने की जुगत में रात-दिन एक करने लगते हैं. फिर चूहे-बिल्ली का खेल शुरू हो जाता है और दोनों पुलिस से भागते हैं. कई तरह के सच सामने आते हैं, और डायरेक्टर को लगता है कि वह आपको सीट पर खड़ा कर देगा. लेकिन कहानी कहीं-कहीं ट्रैक से उतर जाती है. चीजें आसानी से गले नहीं उतरती हैं.
स्टार अपील
फिल्म में रणवीर सिंह कुछ भी नया नहीं करते हैं. गोलियों की रास लीला... राम-लीला में वे अपना बेस्ट दे चुके हैं. गुंडे में उनका कुछ विस्तार ही नजर आता है. वे चहकते हैं, हंसाते हैं और ऐक्शन भी करते हैं. लेकिन दिल में नहीं उतरते हैं. अर्जुन कपूर की इशकजादे और औरंगजेब के बाद यह तीसरी फिल्म है. उन्हें अभी अपनी प्रेजेंस पर थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है. उन्होंने लगातार तीसरी फिल्म एंग्री यंग मैन के तौर पर दी है. वे उम्मीद जगाते हैं लेकिन अभी लंबा सफर तय करना बाकी है. प्रियंका अपने तराशे हुए बदन और मादक अदाओं से फिल्म में काफी कोशिश करती नजर आती हैं. लेकिन इसे उनकी फिल्म नहीं कहा जा सकता. इरफान खान जितना समय रहते हैं, ठीक हैं.
कमाई की बात
फिल्म की यूएसपी इसके संगीत को कहा जा सकता है. गाने बेहतरीन हैं. तीनों की तिकड़ी मजा नहीं दिलाती है. फिल्म वैलेंटाइन डे के मौके पर रिलीज हुई है, लेकिन वैलेंटाइन डे का सिनेमा तो कतई नहीं है. बेशक शोले जैसी दोस्ती की उम्मीद कर रहे दर्शकों को निराशा हो सकती है. लेकिन इसे अली की अच्छी कोशिश कह सकते हैं. बाकी जनता जनार्दन सब जानती है और युवाओं के दिल को छू जाए तो फिल्म की तकदीर बदल सकती है.