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FILM REVIEW : घिसी-पिटी और बोर करती है 'जय गंगाजल'

सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाने वाले प्रकाश झा की 'जय गंगाजल' आज रिलीज हो गई है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म:

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'जय गंगाजल'
'जय गंगाजल'

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फिल्म का नाम: जय गंगाजल
डायरेक्टर: प्रकाश झा
स्टार कास्ट: प्रियंका चोपड़ा, मानव कौल, प्रकाश झा, मुरली शर्मा
अवधि: 2 घंटा 38 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 1 स्टार

सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश झा ने कई फिल्में बनाई हैं चाहे वो 'आरक्षण', 'सत्याग्रह' हो या अजय देवगन के साथ 'गंगाजल'. वैसे ही इस बार प्रियंका चोपड़ा को लेकर प्रकाश झा ने 'जय गंगाजल' फिल्म बनाई है. अब क्या 2016 में इस तरह के सब्जेक्ट पर बनी फिल्म को दर्शक हरी झंडी दिखाएंगे? आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म:

कहानी:
फिल्म की कहानी बांकेपुर पर आधारित है जहां विधायक बबलू पाण्डेय (मानव कौल) का दबदबा है और बी एन सिंह (प्रकाश झा) वहां के सर्कल बाबू उर्फ डीएसपी हैं जो बबलू पाण्डेय के बड़े वफादार हैं. जब बांकेपुर में नए एस पी आभा माथुर (प्रियंका चोपड़ा) की एंट्री होती है तो बबलू पाण्डेय को असुरक्षा महसूस होने लगती है और कहानी आगे बढ़ने लगती है. धरने, चुनाव, मार-पीट, आत्महत्या से गुजरते हुए आखिरकार एक निष्कर्ष निकलता है जिसे आप थिएटर तक जाकर देख सकते हैं.

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स्क्रिप्ट:
फिल्म की स्क्रिप्ट काफी आउटडेटेड सी दिखाई देती है जो 2 घंटे 38 मिनट की है लेकिन इंटरवल तक ही फिल्म ढाई घंटे लम्बी लगने लगती है. ऐसे कई सारे डायलॉग्स हैं जो आपको पुरानी फिल्मों के डायलॉग्स की याद दिलाते हैं और कभी कभी आप आगे आने वाले सीन को भी गेस कर लेते हैं.

फिल्म का प्लॉट जमीन माफियों, मंत्री, पुलिस और आम आदमी के इर्द गिर्द घूमता है लेकिन कोई भी ऐसा पल नहीं आता जब आप किसी भी सीन से खुद को कनेक्ट कर पाएं. बहुत ही कमजोर और लम्बी कहानी है.

अभिनय:
फिल्म में सबसे उम्दा एक्टिंग 'बबलू पाण्डेय' के रूप में मानव कौल ने की है. जो इसके पहले फिल्म 'वजीर' में भी सराहनीय काम करते हुए नजर आए थे. वहीं प्रियंका चोपड़ा फिल्म में तो हैं लेकिन कुछ सीक्वेंस में उनकी कमी खलती है, और कभी-कभी उनके डायलॉग्स पढ़े हुए नजर आते हैं.

फिल्म में असली हीरो के रूप में प्रकाश झा को दिखाया गया है जो आपको ज्यादातर सीन में दिखाई देते हैं. लेकिन उन्हें एक्टिंग करते हुए देखकर बस यही कहा जा सकता है कि प्रकाश जी आप एक बेहतरीन डायरेक्टर हैं और वही काम आपको सबसे ज्यादा रास आना चाहिए. फिल्म में डब्लू पाण्डेय के किरदार में निनाद कामत ओवर एक्टिंग करते हुए नजर आते हैं. वहीं राहुल भट का किरदार भी फिल्म में क्यों था, इसका आखिरी तक पता नहीं चला.

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संगीत:
फिल्म का संगीत अच्छा है और फिल्म के सारे दृश्यों को सपोर्ट करता है.

क्यों देखें:
अगर आप प्रकाश झा और प्रियंका चोपड़ा के बहुत बड़े फैन हैं, तो आपको यह फिल्म निराश नहीं करेगी.

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