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Film Review: कुछ कुछ लोचा है, संभलो सनी, संभलो

सनी लियोन कुछ कुछ लोचा है लेकर दर्शकों की कसौटी पर कसे जाने के लिए आ गई हैं. उनके साथ फिल्म में राम कपूर हैं जो छोटे परदे के बड़े स्टार हैं. आइए जानते हैं फिल्म में क्या है खास.

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सनी लियोन और राम कपूर
सनी लियोन और राम कपूर

फिल्म: कुछ कुछ लोचा है
रेटिंग: 2 स्टार
डायरेक्टर: देवांग ढोलकिया
कलाकार: राम कपूर, सनी लियोन, इवलिन शर्मा और नवदीप छाबड़ा

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सनी लियोन उसी सिंड्रोम की शिकार होती जा रही हैं, जिसका अक्सर बॉलीवुड स्टार अपने करियर के शुरू में होते आए है. यानी करियर के शुरू में जो भी जैसा भी मिला उसे करते चले गए. शायद सनी भी ऐसा ही कुछ कर रही हैं. हालांकि 'एक पहेली लीला' उनकी कमजोर फिल्म होते हुए भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाई कर बैठी थी, लेकिन 'कुछ कुछ लोचा है' में तो कई तरह के लोचे हैं. राम कपूर फिल्म में बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते हैं और गुजराती के किरदार में तो बहुत ही लाउड हो जाते हैं. देवांग ढोलकिया का डायरेक्शन भी कमजोर है. इतना तो कहा ही जा सकता है कि फिल्म में कई पल हंसाते हैं, लेकिन फिल्म सनी लियोन की क्लीवेज और जिस्म पर ज्यादा फोकस्ड लगती है, शायद डायरेक्टर ने ऐसा कमजोर कहानी पर से ध्यान हटाने के लिए किया हो.

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यह कहानी एक अधेड़ गुजराती बिजनेसमैन राम कपूर की है जो बड़े परदे की सनसनी सनी लियोन से मिलता है, वह उसका दीवाना होता है और मिलने के बाद उसके जुनून में डूब जाता है. राम कपूर की पत्नी पारंपरिक गुजराती महिला है. उसका एक बेटा है जो पड़ोस में रहने वाली लड़की से प्यार करता है. वहीं सनी की हसरत गुजराती भाषा और संस्कार को अपने रोम-रोम में उतार लेने की है. इस तरह परिवार में कई तरह के घालमेल और राम कपूर के वैवाहिक जीवन में कई उतार-चढ़ावों का तमाशा शुरू होता है. डबल मीनिंग डायलॉग, गुजराती-पने की हद और सनी ही सनी. फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं लगता जो अपील करे, बस-बस बीच में कुछ चुटकुले गुदगुदाते जरूर हैं. कई जोक्स तो बहुत ही बेरस भी लगते हैं. हर बार की तरह यह फिल्म भी सनी के जिस्म पर ही टिकी नजर आ रही है.

डायरेक्टर ने सनी को सिर्फ उसी इस्तेमाल के लिए रखा है जिसके लिए वह जानी जाती हैं. शायद डायरेक्टर यह बात भूल गए कि सनी काफी कुछ कर सकती हैं. फिल्म में उनका रोल बहुत ज्यादा नहीं है और ऐक्टिंग की बजाए फोकस उनके शरीर पर ही रहा. राम कपूर टीवी पर बहुत अच्छे लगते हैं, फिल्म देखकर यही लगा कि उन्होंने क्या सोचकर इस फिल्म को चुना. फिल्म में गुजराती-पन बहुत ज्यादा है, इसकी जरूरत नहीं थी क्योंकि तारक मेहता का उल्टा चश्मा हमारी यह कमी काफी हद तक पूरी कर देता है. नवदीप छाबड़ा और इविलन शर्मा भी ठीक रहे हैं. इवलिन जहां बिकिनी से जुड़े मोर्चे को संभाले हुए हैं तो सनी के जिम्मे आगे का काम है.

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डायरेक्शन बेहद ही कमजोर है. कहानी बहुत ही सामान्य है. फिल्म का बजट लगभग 15 करोड़ रु. बताया जा रहा है. वैसे भी आजकल एडल्ट कॉमेडी फिल्में अच्छा बिजनेस कर रही हैं, लेकिन नजर इस बात पर रहेगी कि कमजोर कहानी के बावजूद सनी फैक्टर फिल्म की नैया कितनी पार लगा पाएगा.

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