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फिल्म रिव्यूः:नई बोतल में पुरानी शराब है फिल्म मैं तेरा हीरो

डेविड धवन की फिल्मों को देखने का सिर्फ एक ही रूल है. अपना दिमाग और लॉजिक घर पर छोड़ आइये. यही हाल फिल्म मैं तेरा हीरो का भी है. रोमैंस, एक्शन और कॉमेडी से फुली लोडेड है ये फिल्म.

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एक वक्त था जब बॉलीवुड के सबसे एंटरटेनिंग एक्टर गोविंदा ने डेविड धवन के साथ सबसे ज्यादा हिट फिल्में दी थीं. लेकिन इस जोड़ी की आखिरी फिल्म पार्टनर 2007 में आई थी. फिल्म में सलमान खान भी थे जो अब एक्शन रोल वाली फिल्मों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. लेकिन फिल्म मैं तेरा हीरो में आप सलमान, गोविंदा और डेविड धवन की तिकड़ी को कतई मिस नहीं करेंगे. फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग कर वरुण धवन ने ना सिर्फ खुद के कॉमेडी पोटेंशियल को जगजाहिर किया है, बल्कि 90 के दशक के कॉमेडी किंग डेविड धवन की वापसी की राह भी आसान कर दी है.

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रोमैंस, एक्शन और कॉमेडी से फुली लोडेड है फिल्म मैं तेरा हीरो. चाहे डायलॉग डिलिवरी की बात हो या एक्सप्रेशन की, वरुण धवन ने गोविंदा और सलमान दोनों के ही स्ट्रॉन्ग प्वाइंट्स को फॉलो किया है.फिर भी वरुण से शिकायत नहीं, क्योंकि उन्होंने नकल में भी अक्ल लगाई है और निराश नहीं किया है.

क्या है फिल्म की कहानी
डेविड धवन की फिल्मों को देखने का सिर्फ एक ही रूल है. अपना दिमाग और लॉजिक घर पर छोड़ आइये. यही हाल फिल्म मैं तेरा हीरो का भी है. हालांकि स्क्रीनप्ले ने हर सिटुएशन को बखूबी जस्टीफाई किया है. ऊंटी में रहने वाले शीनू (वरुण धवन) पर फिल्मी हीरो बनने का भूत सवार है जिससे पूरा शहर परेशान है. खुद को प्रूव करने वो पहुंचता है बेंगलुरु के एक कॉलेज में. कॉलेज में उसे सुनैना (इलियाना डी'क्रूज) से प्यार हो जाता है. यहीं पर आता है फिल्म का पहला कॉनफ्लिक्ट. दरअसल पुलिस ऑफिसर अंगद (अरुणोदय सिंह) भी सुनैना को चाहता है और उसे ये कतई पसंद नहीं कि सुनैना कॉलेज में किसी से बात भी करे. लेकिन ये फिल्म लव ट्रायंगल नहीं है. इसमें एक और एंगल है, आयशा (नरगिस फाखरी) का. फिल्म में दूसरा कॉनफ्लिक्ट प्वाइंट तब आता है जब सुनैना को अगवा कर बैंकॉक ले जाया जाता है. सुनैना की किडनैपिंग आयशा के लिए की जाती है. प्लॉन के मुताबिक अगर शीनू को आयशा के पास बैंकॉक बुलाना है तो उसी की गर्लफ्रेंड को किडनैप कराओ जिसे बचाने शीनू जरूर आएगा.

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इसके आगे की कहानी क्या होगी इसके लिए दिमाग पर जोर डालने की भी जरूरत नहीं. क्योंकि इस बात की पूरी गुंजाइश है कि आपकी सोच फिल्म के क्लाइमैक्स से कहीं ज्यादा इनोवेटिव होगी. फिर भी डेविड धवन की माइंडलेस कॉमेडी से थोड़ी अलग है ये फिल्म. सलमान और गोविंदा को ऐसी कई फिल्मों के बाद दर्शकों ने कॉमिक किरदारों में अपनाया. जाहिर है वरुण को भी अभी लंबा सफर तय करना होगा. अगर इस फिल्म का उद्देश्य वरुण धवन को बतौर कॉमिक एक्टर स्थापित करना था तो जाहिर है फिल्म मेकर्स बहुत हद तक ऐसा करने में कामयाब रहे. हालांकि नरगिस फाखरी ने अपना रोल संभाल लिया, इलियाना डी'क्रूज फिल्म के लिए अनफिट साबित हुईं. साजिद-वाजिद के संगीत ने फिल्म के पेस को बरकरार रखा है.

मैं ये सुझाव नहीं दूंगा कि आप इस फिल्म के लिए मल्टीप्लेक्स टिकट पर फिजूलखर्ची करें. फिर भी अगर आप धवन की कॉमेडी मिस कर रहे हैं तो इस वन टाइम मूवी को डीवीडी पर देखना बेस्ट ऑप्शन होगा.

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