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फिल्म रिव्यू: नब्बे के दशक के मसाले को नई पैकिंग में ले आए डेविड धवन फिल्म मैं तेरा हीरो में

मैं तेरा हीरो फूल्टू एंटरटेनमेंट फिल्म है. यह तेलुगू फिल्म कांदीरीगा का रीमेक है, जिसके राइट्स प्रॉड्यूसर एकता कपूर ने खरीदे. फिल्म में एक्शन है. कॉमेडी है. रोमैंस है. इमोशन है. क्यूट विलेन हैं. ग्लैमर है. बिकनी है. लिप लॉक है. पार्टी नंबर है. शादी वाला डांस है. और कहना न होगा कि सबके लिए हैप्पी वाली एंडिंग है.

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फिल्म रिव्यूः मैं तेरा हीरो
एक्टरः वरुण धवन, इलियाना डिक्रूज,अरुणोदय सिंह, नरगिस फखरी, राजपाल यादव, अनुपम खेर, मनोज पाहवा, ईवलिन शर्मा, राजू खेर, शक्ति कपूर
डायरेक्टरः डेविड धवन
ड्यूरेशनः 2 घंटे 6 मिनट
स्टारः 5 में 3.5

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देश के दो सच्चे शौक, क्रिकेट और राजनीति. दोनों देखने के लिए टीवी खोलो, तो ब्रेक में एक बालक नजर आता है. फोन बेचता. बोलता है, जियो लाइफ इन्स्टॉलमेंट फ्री. उसके पप्पा ने फिल्म बनाई है. तू मेरा हीरो. बिल्कुल टेंशन फ्री फिल्म है. बालक का नाम है वरुण धवन. हीरो है. इस फिल्म का. और पप्पा हैं नब्बे के दशक के गोलू पोलू कॉमेडी किंग डेविड धवन. तो बस इतना समझिए कि आज सिनेमा का अर्जित ज्ञान बघारने की कोई जरूरत नहीं लग रही.

मैं तेरा हीरो फूल्टू एंटरटेनमेंट फिल्म है. यह तेलुगू फिल्म कांदीरीगा का रीमेक है, जिसके राइट्स प्रॉड्यूसर एकता कपूर ने खरीदे. फिल्म में एक्शन है. कॉमेडी है. रोमैंस है. इमोशन है. क्यूट विलेन हैं. ग्लैमर है. बिकनी है. लिप लॉक है. पार्टी नंबर है. शादी वाला डांस है. और कहना न होगा कि सबके लिए हैप्पी वाली एंडिंग है.

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कहानी कुछ यूं है कि एक देखने में स्वामी, मगर खुद अपने शब्दों में हरामी लड़का है. नाम है सीनू. बार-बार फेल हो रहा है. पूरा शहर तंग है उसकी बदमाशियों से. तो सीनू कुन्नूर से आता है बेंगलुरु. डिग्री हासिल करने. यहां उसे हो जाता है सुनयना से प्यार. पर सुनयना पर गुंडई भरी नजरें जमाए है इंस्पेक्टर नेगी. सीनू नेगी को प्यार से निपटाता है. फिर भी सीन पलट जाता है. एक बड़े माफिया की बेटी को हो गया है सीनू से प्यार. इस लव ट्राएंगल से सीनू कैसे निपटता है, ये फिल्म के सेकंड हाफ में दिखाया जाता है. इस महान काम में सीनू की मदद उससे बात करने वाले तमाम भगवान भी करते हैं. अब ये मत सोचिएगा कि ये डेविड धवन कुछ भी करता है. क्योंकि सच ये है कि ही इज बैक.

वरुण धवन की बतौर सोलो हीरो ये पहली फिल्म है और उन्होंने हर तरह के जॉनर के लिए अपनी दावेदारी जताई है. अच्छा एक्शन, अच्छा डांस, बढ़िया बॉडी, चॉकलेटी फेस और ठीक-ठाक एक्टिंग. बस इत्ता ही तो चाहिए बॉलीवुड में हीरो बनने के लिए.

इलियाना डिक्रूज कुपोषण की शिकार लगती हैं. नाश हो इस साइज जीरो माइनस वन वगैरह का. और रोल की तो क्या कहें. ग्लैमर और डांस तो ठीक है, पर थोड़ी एक्टिंग भी कर लेतीं मैडम. अब आप बर्फी मत याद दिलाइएगा क्योंकि उसके सहारे हमने फटा पोस्टर निकला हीरो निकाल ली थी.

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नरगिस फखरी को देखकर लगता है जैसे मोहतरमा ने जिमीकंद खाया है और कुछ रेशे गले में स्थायी रूप से फंस गए हैं. एक्टिंग तो माशा अल्लाह थी ही, इस फिल्म में उच्चारण भी घसीटा अंग्रेजियत लिए है. पर जैसा पहले कहा, एक्ट्रेस नहीं हीरोइन चाहिए थी. जो डांस कर सके. किस कर सके. बिकनी पहन सके. वो सब बराबर किया न. एक और बात. पर्दे पर अपनी भरपूर मासूमियत के साथ मूर्ख दिख सके. गोया हीरोइन कुछ दिमागदार दिखा दें तो हीरो की शान में गुस्ताखी हो जाए.

अरुणोदय सिंह फिल्म में बॉडी शो का कोटा पूरा करने के अलावा डैशिंग विलेन कम साइड हीरो कम सेकंड लीड का फर्ज निभाते हैं. अच्छा है, वह इस तरह का हल्का फुल्का कमर्शियल सिनेमा कर रहे हैं. अनुपम खेर हैं, जो पहाड़ पर पैदा हुए एशिया के डॉन हैं, इसलिए हर बात इको कर बोलते हैं. उनका भाई बिल्ला है, जिसे अदा करते वक्त सौरभ शुक्ला ने हर बार की तरह बेहिसाब हंसाया है. इस एक शख्स को आप लगातार तीन घंटे पर्दे पर देखते हुए हंस सकते हैं. डंब स्किन शो को अगले लेवल पर ले जाने के लिए डॉन की गर्लफ्रेंड बनी ईवलिन शर्मा हैं, जिन्हें लगता है इस तरह के रोल का कॉपीराइट दे दिया गया. और हंसाने के लिए राजपाल यादव को भी बेतरह खर्च किया गया है.

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फिल्म के गाने पुराने जमाने के रिव्यू की तर्ज पर कहूं तो कर्णप्रिय हैं. ज्यादातर गाने पहले ही हिट हो चुके हैं. मुझे सबसे ज्यादा पसंद है शनिवार राती. इसका सड़कछाप डांस कस्बों के बालकों को बहुत हौसला देता है. चीची भइया की याद दिलाता है और अगले सीजन के पहले प्रैक्टिस में जुट जाने का संकल्प ले जाता है.

डेविड धवन की ये फिल्म वैसा ही कमाल कर सकती है, जैसा अभिनव कश्यप ने दबंग के साथ किया था. टिपिकल टोटल मसाला फिल्म, जिन्हें हम दस पंद्रह बरस पहले कहीं पीछे छोड़ आए. वही कंटेंट एक नई फ्रेश पैकेजिंग के साथ जब सामने आता है, तो खूब हंसाता है.

हंसी के बीच कुछ डबल मीनिंग जोक्स गुजरते हैं. भद्दे इशारे होते हैं. फिल्मों के नाम के जरिए बात, मूर्ख लोगों की बारात जैसे रेगुलर टोटके होते हैं. और कमाल देखिए साहिबान, जनता इन पर ही बेहिसाब हंसती है. अगर आप भी इस कॉमेडी के सहारे हंस सकते हैं, तो जाइए और मजे मार कर आइए. याद रखिए ये डेविड धवन ही थे, जिनसे रोहित शेट्टी और साजिद खान सरीखों ने कॉमेडी करना सीखा. मास्टर इज बैक नाउ.

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