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Film Review: एक बार तो बनती है 'मर्दानी'

कई फिल्में होती हैं जो किसी विषय को लेकर बनाई जाती हैं और कुछ होती हैं किसी विशेष कहानी को दिखाने के लिए बनाई जाती हैं और कई फिल्में ऐसी होती हैं, जो किसी ऐक्टर को स्थापित करने के लिए बनाई जाती हैं. मर्दानी बिलकुल ऐसी ही फिल्म है, पढ़ें फिल्म रिव्यू...

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फिल्म मर्दानी के एक पोस्टर में रानी मुखर्जी
फिल्म मर्दानी के एक पोस्टर में रानी मुखर्जी

स्टारः 3
कलाकारः रानी मुखर्जी और ताहिर राज भसीन
डायरेक्टरः प्रदीप सरकार

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कई फिल्में होती हैं जो किसी विषय को लेकर बनाई जाती हैं और कुछ होती हैं किसी विशेष कहानी को दिखाने के लिए बनाई जाती हैं और कई फिल्में ऐसी होती हैं, जो किसी ऐक्टर को स्थापित करने के लिए बनाई जाती हैं. 'मर्दानी' बिलकुल ऐसी ही फिल्म है, जिसे रानी मुखर्जी का बॉलीवुड में दोबारा जलवा कायम करने के लिए बनाया गया है. यानी फिल्म अपने इस काम में एकदम खरी उतरती है. फिल्म में शुरू से आखिर तक रानी मुखर्जी का जलवा है और वह बेशक 'सिंघम' या 'दबंग' के पुलिस अधिकारियों की तरह ऐक्शन और डायलॉग की अति नहीं करती हैं, लेकिन जो भी करती हैं, वह एक बार देखने लायक तो है ही. वैसे भी फिल्म को देखकर यही फील आता है कि 'मर्दानी' ऑफ द रानी, फॉर द रानी और बाय द रानी है.

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कहानी में कितना दम
फिल्म मानव तस्करी को लेकर बनाई गई है. शिवानी शिवाजी रॉय (रानी मुखर्जी) मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में अधिकारी हैं. वे एक लड़की को बचाती है और अपने साथ रख लेती है. फिर एक दिन वह लड़की गुम हो जाती है. बस इसके बाद शुरू होता है चोर-पुलिस का खेल, जिसे शिवानी बड़े ही शातिर अंदाज में खेलती है. कहानी में कई दिलचस्प मोड़ हैं लेकिन कुल मिलाकर औसत ही है. कुछ एकदम नया नहीं कह सकते. लेकिन रानी पूरे टॉपिक को मजेदार बना देती हैं, और जिस तरह सिंघम और दबंग में बार-बार मन करता है कि अजय देवगन और सलमान नजर आते रहें, वैसा ही कुछ शिवानी के बारे में भी है.

स्टार अपील
काफी लंबे समय से रानी अपनी फिल्मों की बजाए आदित्य चोपड़ा के साथ अपनी शादी की वजह से सुर्खियों में थीं. उन्हें बॉलीवुड में कुछ सॉलिड चीज की तलाश थी. शायद उन्हें यह मौका 'मर्दानी' ने दे दिया है. रानी का बोलने का अंदाज मजेदार लगता है. ऐक्टर तो वे बेहतरीन हैं ही और अपने ही कंधों पर वे पूरी फिल्म को खींच रही हैं. फिल्म में विलेन के तौर पर ताहिर जबरदस्त है वह नए दौर का विलेन है और दिलचस्प है.

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कमाई की बात
फिल्म को ए सर्टिफिकेट मिला है, इस वजह से इसकी रीच सीमित हो जाती है. यानी 18 से कम उम्र के दर्शक इससे कट जाएंगे. लेकिन मानव तस्करी और देह व्यापार पर फिल्म है तो इसमें वर्ड ऑफ माउथ काम कर सकता है. बेशक कहानी औऱ डायरेक्शन के मामले में फिल्म कोई चमत्कारिक चीज या पीस मुहैया नहीं कराती है, लेकिन रानी की वजह से यह फिल्म खास बन जाती है. इसलिए यह फिल्म वन टाइम वॉच तो है.

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