स्टारः 2.5
कलाकारः प्रियंका चोपड़ा, सुनील थापा और दर्शन कुमार
डायरेक्टरः उमंग कुमार
बॉलीवुड की खासियत है विषय को दिल से उठाने की. शायद वह जब भी किसी विषय को दिल से उठाता है तो वह दिमाग के मामले में चूक जाता है. ऐसा ही कुछ मैरी कौम के बारे में भी कह सकते हैं. इसमें इमोशंस हैं. ड्रामा है. ऐक्शन है. पति-पत्नी का प्यार है. पति के रूप में मिसाल है. औरत की शक्ति की बेजोड़ कहानी है. खेल भी है. लेकिन झोल पैदा करने वाला बॉलीवुड स्टाइल मैलोड्रामा कूट-कूट कर भरा हुआ है. हम हॉलीवुड की फिक्शनल कहानी मिलियन डॉलर बेबी को बॉलीवुड की असली कहानी मैरी कौम के जरिये जबरदस्त टक्कर देने का बेहतरीन मौका चूकते नजर जाते हैं. फिल्म में ब्रांड प्रमोशन प्रोड्यूसर्स की फिल्म रिलीज से पहले कमाई करने की तीव्र इच्छा का इजहार कर देती है. इस तरह की संजीदा फिल्म बनाते समय ऐसी बातों से परहेज किया जाना चाहिए था.
फिल्म की कहानी
मैरी कौम ऐसा नाम है, जिसे देखने के लिए लोग सिनेमाघरों तक पहुंचेंगे. फिल्म में इमोशंस सबसे ऊपर हैं. यह महिला बॉक्सर का संघर्ष और उसके जीवन की दास्तान है. एक लड़की है. बॉक्सर बनना चाहती है. पहले समाज और अपने पिता से लड़ती है. फिर अपने हालात से. फिर इस सारी जंग में उसका साथ देता है, उसका पति. जो भारत में कम देखने को मिलता है. इस कहानी को फिल्म के लेखक धांसू अंदाज में नहीं दिखा सके. स्क्रिप्ट ढीली है. पान सिंह तोमर, चक दे इंडिया या भाग मिल्खा भाग जैसा तीखापन नहीं है. यह बात जगह-जगह खटकती है. फाइट सिक्वेंस ज्यादा लंबे खींच दिए गए हैं.
स्टार अपील
प्रियंका ने इस रोल को निभाया है लेकिन फिल्म देखते समय भी अगर दिमाग पर हावी रहती है तो मैरी कौम. प्रियंका ने वाकई बहुत मेहनत की है. उन्होंने जिम में अच्छा-खासा जोर लगाया है. डायरेक्टर ने उनसे इमोशंस भी काफी करवाए हैं. जो भी उनकी कैपेसिटी थी उन्होंने जमकर किया. बेशक, वे मिल्खा जैसी इंटेनसिटी हासिल नहीं कर पाती हैं. लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज कमाल की है. उनके कोच के रोल में सुनील थापा और पति के रोल में दर्शन कुमार भी ठीक हैं.
कमाई की बात
फिल्म की यूएसपी मैरी कौम हैं. फिल्म के गाने औसत हैं. अपील नहीं करते हैं. कुल मिलाकर फिल्म एक बार देखनी बनती है तो सिर्फ मैरी कौम की वजह से क्योंकि इस लेडी बॉक्सर ने जो हासिल किया वह शानदार है. फिल्म 15 करोड़ रु. के बजट की बताई जाती है. 20 ब्रांड्स के साथ कौलेबोरेशन की वजह से यह लागत तो वसूल करना मुश्किल नहीं है. लेकिन इस फिल्म की असली जमा-पूंजी होगी तो जनता का दिल जीतना. सबसे खास, मैरी कौम और उनके जज्बे को सैल्यूट.