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फिल्म रिव्यू: सबकी चहेती बनेगी अक्षय कुमार की 'बेबी'

देश है तो लोग हैं. लोग हैं तो उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस है. पुलिस का सबसे बड़ा शत्रु आतंकवाद है और आतंकवाद से निपटने के लिए अलग-अलग तरीके भी हैं. बॉलीवुड में इन तरीकों को फिल्मी पर्दे पर उकेरने के कई प्रयास किए गए. डायरेक्टर नीरज पांडे ने भी इस ओर एक अनूठी कोशि‍श की है और नाम दिया है 'बेबी' .

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'बेबी' के एक सीन में अक्षय कुमार
'बेबी' के एक सीन में अक्षय कुमार

फिल्म का नाम: बेबी
डायरेक्टर: नीरज पांडे
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, राणा डग्गुबत्ती, अनुपम खेर, तापसी पन्नू, मधुरिमा तुली , सुशांत सिंह, डैनी
अवधि: 159 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 4 स्टार

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देश है तो लोग हैं. लोग हैं तो उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस है. पुलिस का सबसे बड़ा शत्रु आतंकवाद है और आतंकवाद से निपटने के लिए अलग-अलग तरीके भी हैं. बॉलीवुड में इन तरीकों को फिल्मी पर्दे पर उकेरने के कई प्रयास किए गए. 'ए वेडनसडे' और 'स्पेशल 26' जैसी बेहतरीन फिल्मों के बाद डायरेक्टर नीरज पांडे ने भी इस ओर एक अनूठी कोशि‍श की है और नाम दिया है 'बेबी' . यह फिल्म देश के जांबाजों की कहानी है. इसमें सीक्रेट मिशन है. एक्शन है. आतंकियों का जुनून है. नफरत और नापाक साजिश है. भारी भरकम डायलॉग हैं तो बीच-बीच में हंसी के फुहारे भी हैं.

कहानी: फिल्म में अक्षय कुमार एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वायड) के एक जांबाज सिपाही बने हैं, जो डैनी के अंडर में काम करते हैं. वो ऐसे सिपाही हैं जो घर में बीवी और दो बच्चों के होने के बावजूद किसी भी मिशन के लिए 24x7 तैयार रहते हैं. फिल्म की कहानी में आतंकवाद के बढ़ते सुनामी को रोकने लिए एक के बाद एक कड़ियों को सुलझाने का सिलसिला चलता रहता है. फिर आखिरी में एक मिशन के लिए तीन अफसरों अक्षय कुमार, राणा डग्गुबत्ती और अनुपम खेर को चुना जाता है. सभी सऊदी अरब के लिए रवाना होते हैं और मिशन को अंजाम तक पहुंचाते हैं. इसी मिशन का नाम है 'बेबी'.

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देखें, 'बेबी' का ट्रेलर

क्यों देखें: यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म में अक्षय कुमार अपने फिल्मी करियर के अभी तक सर्वश्रेष्ठ किरदार में हैं. नेगेटिव रोल में केके मेनन हों या बिलाल, ऐसा मालूम पड़ता है कि यह उनसे बेहतर कोई नहीं कर पाता. इसके अलावा सुशांत सिंह, जावेद और 2007 में रिलीज फिल्म 'खुदा के लिए' के जरिए दमदार दस्तक देने वाले पाकिस्तानी एक्टर राशिद नाज, सभी ने अपनी अभि‍नय क्षमता का लोहा मनवाया है. फिल्म की एडिटिंग चुस्त है. एक भी गैरजरूरी सॉन्ग नहीं, बेवजह रिझाने के लिए कोई बोल्ड सीन नहीं. पर्दे पर जो भी होता है, सब शुरू से अंत तक एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं. एजेंट के रूप में तापसी पन्नू ने भी बेहतरीन अभि‍नय किया है.

क्यों ना देखें: फिल्म में कुछ ऐसे प्रकरण हैं जो शायद आपको तर्कहीन लग सकते हैं. लेकिन अक्सर ऐसी फिल्मों में कड़ियां महत्वपूर्ण हो जाती हैं. फिल्म 2 घंटे 39 मिनट की है और नीरज ने दर्शकों को कुर्सी से बांधने का कोई मौका नहीं छोड़ा है.

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