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Film Review: 'ओह माय गॉड' जैसा मजा नहीं है 'धरम संकट में'

धर्म और आस्था पर पिछले कुछ सालों में कई फिल्में बनाई गई हैं, जैसे ओह माय गॉड और पीके. इन फिल्मों ने अच्छी कमाई भी की, तो एक तरह से फॉर्मूला बन गया धर्म पर कमाई करने का और उसी कड़ी में एक और फिल्म इस हफ्ते रिलीज होने वाली है.

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फिल्म 'धरम संकट में' का पोस्टर
फिल्म 'धरम संकट में' का पोस्टर

फिल्म का नाम: धरम संकट में
डायरेक्टर: फुवाद खान
स्टार कास्ट: परेश रावल, अनु कपूर, नसीरुद्दीन शाह ,मुरली शर्मा
अवधि: 129.14 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार

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धर्म और आस्था पर पिछले कुछ सालों में कई फिल्में बनाई गई हैं, जैसे 'ओह माय गॉड' और 'पीके'. इन फिल्मों ने अच्छी कमाई भी की, तो एक तरह से फॉर्मूला बन गया धर्म पर कमाई करने का और उसी कड़ी में एक और फिल्म इस हफ्ते रिलीज होने वाली है 'धरम संकट में', अब क्या ये फिल्म वही कारनामा कर दिखाएगी, आइए जानते हैं फिल्म की कहानी... 'धरम संकट में' परेश रावल के तीन अवतार

गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाला धरमपाल त्रिवेदी (परेश रावल) हिन्दू है लेकिन उसकी मां के देहांत के बाद जब बैंक लॉकर खोला जाता है तब उसे पता चलता है कि वह एक मुसलमान की संतान है और मां ने अनाथालय से किसी कारणवश उसे गोद लिया था. इस बात की जानकारी वो खुद तक रखता है और अपने घरवालों को भी नहीं बताता है, फिर एक एक करके उसका सामना कभी नवाब नाजिम अली शाह खान बहादुर (अनु कपूर) से तो कभी नीलानन्द बाबा (नसीरुद्दीन शाह) से होता है. फिल्म में एक कारण होता है जिसकी वजह से वो हिन्दू और मुस्लिम धर्म के संकट में फंसा रहता है और आखिरकार सब कुछ ठीक हो ही जाता है.

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कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म में परेश रावल की बेहतरीन एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग देखने को मिलती है, वहीं अनु कपूर के द्वारा उर्दू जबान भर भर के सुनने को मिलती है. नसीरुद्दीन शाह की मौजूदगी फिल्म में स्टाइलिश बाबा के रूप में है जो अतरंगी जूतों के साथ साथ बाइक भी चलाता है, लेकिन नसीर साब का किरदार और भी अनोखा बनाया जा सकता था.

फिल्म के संवाद काफी दिलचस्प हैं, कभी आपको बेहतरीन उर्दू के अल्फाज जैसे गुसलखाना, जाहिल, फितनागिरी, इल्जाम, इस्तकबाल, तसरीफ सुनने को मिलते हैं तो वहीं नीलानन्द बाबा के डायलॉग 'तुम मुझे जहर दो, मैं तुम्हे आनंद दूंगा' भी आपके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं. फिल्म में हंसी के ठहाके कभी कभी ऐसे लगते हैं कि सीन खत्म होने के बाद तक भी आप हंसते रहते हैं.

फिल्म एक वक्त के बाद लंबी लगने लगती है जो कि छोटी हो सकती थी और खासतौर पर गानों की संख्या कम की जा सकती थी, क्योंकि जिस पल गाने आते हैं वो आकर्षित करने के बजाय आपका ध्यान कहानी से हटाते हैं. डायरेक्टर फुवाद खान ने विदेशी फिल्म 'द इनफिडेल' की रीमेक बनाई है लेकिन दर्शकों की अपेक्षा पर पूरी तरह से खरी शायद ना उतर पाए क्योंकि पहले ही 'ओह माय गॉड' जैसी बड़ी हिट फिल्म बन चुकी है और दर्शकों की अपेक्षाएं अब उससे भी ज्यादा हो चुकी हैं.

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वैसे अगर आप परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह या अनु कपूर के फैन हैं तो ये फिल्म जरूर देखें क्योंकि कभी कभी ही सही, हंसी तो आ ही जाती है.

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