स्टारः 2.5
डायरेक्टरः अमन सचदेवा
कलाकारः सिद्धार्थ गुप्ता,आशीष जुनेजा और सिमरन कौर मुंडी
एकता कपूर ने पहली बार नए सितारों के साथ कॉमेडी की आजमाइश की है. फिल्म पूरी तरह से यारी-दोस्ती को लेकर है. दिल्ली का माहौल, यहां के मध्यवर्गीय लौंडे और हंसी-ठिठोली सब कुछ है. झंड, टोटा और कुकू नाम, ऐसी कई बाते हैं, जो दिल्ली के कल्चर और यहां के लोकल फ्लेवर का मजा दिलाती हैं. इसमें माता का जागरण सीजन-2 से लेकर निर्मल बाबा, फेसबुक पर प्यार और दिल्ली के राजमा चावला तक ऐसे पिरोए गए हैं कि स्वाद आता है. फिल्म टुकड़ों में मजा तो दिलाती है लेकिन कमजोर कहानी के चक्कर में थोड़ी ढीली रह जाती है.
कहानी में कितना दम
कुकू (सिद्धार्थ गुप्ता) दिल्ली का बिन मां का बच्चा है, पिता के ऊंचे ख्वाब हैं तो कुकू महाशय को अपना रेस्तरां खोलना है. उसका एक चालू दोस्त रॉनी (आशीष जुनेजा) है. कुकू की यही कोशिश रहती है कि वह अपनी झंड होने से कैसे बचाए. बस, इसी के लिए उसके सारे जतन हैं. दोस्तों में तकरार, कॉलोनी के टोटे से प्यार और भी काफी कुछ है. फिल्म में कहानी के फेर में ज्यादा रहने की जरूरत है नहीं. यह ढेर सारे कैरेक्टर्स का जमावड़ा है, जो अपने-अपने तरीके से गुदगुदाने की कोशिश करते हैं.
स्टार अपील
फिल्म के सभी सितारे नए हैं. लेकिन सभी ने ही ठीक-ठाक काम किया है. सिमरन कौर मुंडी के लिए फिल्म में ज्यादा कुछ करने को है नहीं. सिद्धार्थ ने कुकू के तौर पर अच्छा काम किया है. दूसरी ओर आशीष भी फिल्म में ठीक-ठाक हैं.एमटीवी वीजे सिद्धार्थ भारद्वाज ने इस फिल्म से करियर शुरू किया है और वो ओके हैं.
कमाई की बात
यह कम बजट फिल्म है, जिसका सारा दारोमदार यूथ कनेक्शन पर डिपेंड करता है क्योंकि फिल्म में कोई अलग कहानी नही है. सिर्फ दिल्ली की भाषा और युवा तेवरों को लेकर इसे बनाया गया है. इस हफ्ते सिटीलाइट्स जैसी संजीदा फिल्म रिलीज हो रही है, उसके साथ कुकू माथुर की झंड हो गई का रिलीज होना मजेदार है क्योंकि दोनों ही तरह के दर्शकों के लिए मसाला मौजूद रहेगा. अगर कुकू माथुर युवाओं को अपनी ओर खींचने में सफल रही तो यह स्लीपर हिट साबित हो सकती है.