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FILM REVIEW: गंभीर मुद्दे की तरफ ध्यान खींचती है 'हिंदी मीडियम'

बॉलीवुड एक्टर इरफान खान और सबा कमर स्टारर फिल्म हिंदी मीडियम इस शुक्रवार को रिलीज हो रही है. रिलीज से पहले यहां जानिए फिल्म की कहानी...

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सबा कमर और इरफान खान
सबा कमर और इरफान खान

फिल्म का नाम: हिंदी मीडियम
डायरेक्टर: साकेत चौधरी
स्टार कास्ट: इरफान, सबा कमर, दीपक डोबरियाल, स्वाति दास, दिशिता सहगल अवधि: 2 घंटा 12 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 4 स्टार

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'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' फिल्म से असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाले साकेत चौधरी ने प्यार के साइड इफेक्ट्स, शादी के साइड इफेक्ट्स जैसी फिल्में डायरेक्ट की है. अब साकेत फिल्म 'हिंदी मीडियम' के निर्देशन करके चर्चा में हैं. फिल्म के ट्रेलर को देखकर पता चल जाता है कि फिल्म एजुकेशन की समस्या पर आधारित है लेकिन इस फिल्म और भी क्या है खास, जानें यहां.

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कहानी
यह कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले कपड़ों के विक्रेता राज बत्रा (इरफान खान) की है जो हिंदी मीडियम से पढ़ा लिखा है और उसे टूटी-फूटी अंग्रेजी आती है. वहीँ उसकी वाइफ मीता (सबा कमर) की अंग्रेजी अच्छी है और मीता चाहती है कि उसकी बच्ची पिया टॉप के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई करे. उसके एडमिशन के लिए भी राज और मीता पूरी कोशिश करते हैं लेकिन बच्चे के एडमिशन से पहले माता-पिता के इंटरव्यू के दौरान कई मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं. फिर उन्हें पता चलता है कि गरीब कोटे में भी उनके बच्चे का एडमिशन हो सकता है. इसके लिए दोनों गरीबों के इलाके में जाकर रहने लगते हैं जहां इनकी मुलाकात श्याम प्रकाश (दीपक डोबरियाल) और उसके परिवार से होती है. अब क्या राज और मीता की बच्ची का एडमिशन हो पाता है या कुछ और मुसीबतें आती हैं. इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा.

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क्यों देख सकते हैं ये फिल्म
- फिल्म की कहानी ऐसी है जिसे आज के दौर में हर इंसान खुद से कनेक्ट कर सकता है. खासतौर पर शहर के स्कूल में एडमिशन कराने की प्रक्रिया के ऊपर अच्छा ड्रामा बनाया गया है.
- फिल्म में कई ऐसे मोमेंट्स हैं जो आपको फिल्म देखने के बाद भी याद रह जाते हैं और यही कारण है कि यह फिल्म काफी उम्दा है.
- इस फिल्म में पहले सीन से लेकर आखिर तक आपको वन लाइनर्स हंसने पर मजबूर कर देते हैं. कभी इरफ़ान आपको अपने अंदाज में हंसाते हैं तो कभी सबा कमर तो वहीँ छोटी पिया के रूप में भी कई पंच सामने आते हैं.
- वैसे तो फिल्म की रिलीज से पहले ही फिल्म के गाने सूट-सूट, जिन्दड़ी और इश्क़ तेरा तड़पावे जैसे गीत हिट हो चुके हैं. लेकिन फिल्म में इन गानों को इतनी बखूब से फिट किया गया है कि ये फिल्म की रफ़्तार पर कोई असर नहीं डालते.

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- इरफ़ान ने बहुत ही उम्दा अभिनय किया है और पिछले दस सालों में उनकी सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस है. लास्ट के 4 मिनट का उनका मोनोलॉग भी जबरदस्त है वहीं ट्रेलर में ठीक-ठाक दिखने वाली सबा कमर का परफॉरमेंस पूरी फिल्म के दौरान गजब का है. दीपक डोबरियाल आपको सरप्राईज देते हुए नजर आते हैं और बहुत ही उम्दा प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं. अमृता सिंह, और बाकी सह कलाकारों का काम भी सहज है.
- फिल्म में लोकेशंस, सिनेमेटोग्राफ़ी, कैमरा वर्क बहुत बढ़िया है. फिल्म का स्क्रीनप्ले और वन लाईनर्स बेहतरीन हैं. डायलॉग के लिए अमितोष नागपाल की सराहना जितनी भी की जाए कम है और वहीं साकेत चौधरी का डायरेक्शन बढ़िया है.

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कमजोर कड़ियां
इक्का दुक्का जगहें हैं जहां अगर लॉजिक न लगाया जाए तो कोई खास कमी फिल्म में नहीं है.

बॉक्स ऑफिस
फिल्म की लागत लगभग 15-20 करोड़ बतायी जा रही है जिसे म्यूजिकल, डिजिटल और स्ट्रीमिंग राईट्स के दौरान पहले ही कवर की जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. कम बजट में बनी यह फिल्म वर्ड ऑफ माउथ के जरिए अच्छी कमाई कर सकती है.

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