फिल्म का नाम: बाजीराव मस्तानी
डायरेक्टर: संजय लीला भंसाली
स्टार कास्ट: रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, तनवी आजमी, मिलिंद सोमन, महेश मांजरेकर, संजय मिश्रा, आदित्य पंचोली, अनुजा गोखले
अवधि: 2 घंटा 38 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 3.5 स्टार
साल 2003 में घोषणा के 12 साल बाद आखिरकार संजय लीला भंसाली बड़े पर्दे पर अपनी ड्रीम प्रोजेक्ट 'बाजीराव मस्तानी' लेकर आए हैं. हिंदी सिने जगत को 'खामोशी', 'हम दिल दे चुके सनम' और 'देवदास' जैसी सदाबहार फिल्में देने वाले भंसाली की यह फिल्म एक दशक से अधिक समय तक कभी कास्टिंग तो कभी अन्य दूसरे कारणों से ठंडे बस्ते में पड़ी रही. लेकिन अब जब वह पर्दे पर आई है तो अपनी भव्यता और बतौर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के कद को ऊंचा करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है.
भंसाली कभी इस फिल्म में सलमान खान और ऐश्वर्या राय को कास्ट करना चाहते थे, लेकिन आखिरकार उन्होंने अपनी पिछली सफल फिल्म 'गोलियों की रासलीला: रामलीला' की हॉट जोड़ी रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण पर भरोसा किया है.
कहानी:
फिल्म की कहानी सन् 1700 के कथानक पर आधारित है. यह कहानी है मराठा साम्राज्य के योद्धा पेशवा बाजीराव बल्लाल (रणवीर सिंह) की, जो अपने साम्राज्य के विस्तार के दौरान, युद्ध के साथ ही अपनी निजी जिंदगी पर भी पूरा ध्यान दे रहे थें. बाजीराव का पहली शादी काशीबाई (प्रियंका चोपड़ा) से होती है, जो खुद से ज्यादा बाजीराव को पसंद करती है, वहीं युद्ध करते हुए एक बार बाजीराव का सामना बुंदेलखंड के महाराज छत्रसाल की बेटी मस्तानी (दीपिका पादुकोण) से होता है.
मस्तानी सुंदरता और बहादुरी का संगम है. दोनों युद्ध के दौरान ही एक-दूसरे को अपना दिल हार बैठते हैं और फिर जाने-अंजाने में ही उनका विवाह भी हो जाता है. युद्ध, रणभूमि और सियासत के बीच बाजीराव की यह दूसरी शादी पहली पत्नी काशीबाई (प्रियंका चोपड़ा), मां राधाबाई (तनवी आजमी), बहन भियुबाई (अनुजा गोखले) और बाजीराव के भाई चिमाजी अप्पा (वैभव तत्वावदी) को नागवार गुजरती है.
फिल्म की कहानी यही से बदलती, क्योंकि बाजीराव हिंदू हैं और मस्तानी मुसलमान. कहानी की अपनी रफ्तार है जो बढ़ती है और भावनाओं से सागर से लेकर खून से सनी युद्धभूमि को होते हुए अपने खास अंजाम तक पहुंचती है. फिल्म में आगे क्या होता है? कहानी में हिंदी सिनेमा की तरह अंत तक सब कुछ अच्छा होता है या नहीं? बाजीराव और मस्तानी के बीच का रिश्ता किस मुकाम तक पहुंचता है? काशीबाई का क्या होता है और घरवालों से लेकर समाज तक को यह रिश्ता स्वीकार होता है या नहीं? यह जानने के लिए आपको थिएटर का रुख करना होगा.
स्क्रिप्ट और ट्रीटमेंट:
फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' एक किताब 'राउ' पर आधारित है, जिस पर संजय लीला भंसाली ने प्रकाश कपाड़िया के साथ मिलकर खूब शोध किया है. प्रकाश कपाड़िया ने ही फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले की बागडोर संभाली है. संजय लीला भंसाली ने अपनी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म को भी भव्य सेट, एक्टर्स की भीड़ और कहानी के साथ ही ग्रांड ट्रीटमेंट दिया है. स्क्रिप्ट में कई कड़ियां हैं, जो एक-दूसरे को जोड़ती हुई आगे बढ़ती हैं.
यह फिल्म जहां एक ओर मोहब्बत की मिसाल बनती है, वहीं बलिदान की भी परिचायक है. बाजीराव वीर योद्धा थे और उनके अंदर प्रेम का सागर भी था. बतौर डायरेक्टर भंसाली ने इन दोनों मोर्चों पर फिल्म को खूब कसा है. फिल्म की शूटिंग राजस्थान, महाराष्ट्र, और गुजरात में हुई है. रणभूमि इस फिल्म की जान है, लिहाजा युद्ध के सीक्वेंस पर मेहनत नजर आती है. स्टंटमैन शाम कौशल इसके लिए अलग से बधाई के पात्र हैं. कहानी रॉयल हो तो पहनावा अपने-आप खास हो ही जाता है. इस बात का अंजू मोदी ने बखूबी ख्याल रखा है.
अभिनय:
रणवीर सिंह फिल्म की जान हैं. उन्होंने बाजीराव के किरदार को निभाया नहीं, बल्कि जिया है. उन्होंने मराठी लहजे पर जिस तरह मेहनत की है और फिल्म में उनके अभिनय पक्ष को नए मुकाम पर लेकर जाती है.
दीपिका पादुकोण ने एक बार फिर साबित किया है कि आखिर क्यों वह मौजूदा समय में बॉलीवुड की नंबर-1 एक्ट्रेस हैं. उम्दा एक्टिंग, बेहतरीन डांस और मस्तानी की खूबसूरती और दीपिका ने पर्दे पर जीवंत कर दिया है. इसके उलट एक वीरांगना के तौर पर बतौर मस्तानी वह हर फ्रेम में अपनी छाप छोड़ती हैं.
हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों प्रोजेक्ट को एक-साथ संभाल रही प्रियंका चोपड़ा ने भी एक समर्पित पत्नी के किरदार के साथ न्याय किया है. फिल्म के बाकी कलाकारों में तनवी आजमी, मिलिंद सोमन, महेश मांजरेकर, संजय मिश्रा, आदित्य पंचोली, अनुजा गोखले, वैभव तत्ववादी ने भी अच्छा काम किया है.
संगीत:
फिल्म का पहले ही लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है. 'पिंगा', 'मस्तानी', 'गजानना' के साथ ही अरिजीत की आवाज में 'आयत' सुनने में मधुर लगते हैं. फिल्म में 'अलबेला सजन' गीत को भी मराठी अंदाज में पेश किया गया है. यह वही गीत है, जिसका एक अलग ट्रीटमेंट हम 'हम दिल दे चुके सनम' में सुन और देख चुके हैं.
कमजोर कड़ी:
'बाजीराव मस्तानी' संजय लीला भंसाली की पिछली फिल्मों के मुकाबले कम अवधि की है. यकीनन मौजूदा समय और दर्शकों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फिल्म की कसावट पर अलग से ध्यान दिया है, लेकिन कई जगहों पर फिल्म भागती हुई नजर आती है. ठहराव की कमी कई बार खलती है.
क्यों देखें:
अगर आप संजय लीला भंसाली की फिल्मों को पसंद करते हैं. ऐतिहासिक और अनकही कहानियों, किस्सों को सुनना, देखना और जानना चाहते हैं. रणवीर और दीपिका के साथ ही प्रियंका चोपड़ा के फैन हैं, तो यह फिल्म एक बार जरूर देखें.