रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टरः सुजॉय घोष
कलाकारः विद्या बालन, अर्जुन रामपाल और जुगल हंसराज
साल 2012 में जब सुजॉय घोष 'कहानी' लेकर आए थे तो इसके थ्रिलर और सस्पेंस फैक्टर ने दर्शकों को कुर्सियों पर जकड़ कर रख दिया था और कोई भी अपनी सीट से हिल तक नहीं सका था. लेकिन चार साल बाद सुजॉय लौटे तो फिल्म में हर वह बात मिसिंग थी जो पिछली बार इसकी ताकत थी. बॉलीवुड लंबे समय से यह गलती करता आया है कि वह सिर्फ सीक्वल बनाने के लिए सीक्वल बना देता है. ऐसा ही इस बार भी हुआ.
दुर्गा रानी सिंह की कहानी बेहद कमजोर है, इसमें इतने लूपहोल्स हैं कि फिल्म कहीं से भी थ्रिलर और सस्पेंस वाला मजा देने में असफल रहती है. फिल्म की कहानी देखकर ऐसा लगता है कि डायरेक्टर के पास फिल्म बनाते समय कोई कहानी नहीं थी, बल्कि कुछ छोटे-छोटे किस्से थे, जिन्हें वे एक-दूसरे से जोड़ते चले गए और इस फेर में न तो वह सशक्त कहानी ही बना सके और न ही थ्रिलर और सस्पेंस वाला मजा ही दे सके.
कहानी में कितना दम:
फिल्म की कहानी विद्या सिन्हा उर्फ दुर्गा रानी सिंह की है. उसकी एक बेटी है, जो चल नहीं सकती. उसका इलाज विद्या को करवाना है. लेकिन एक दिन अचानक वो बिटिया गायब हो जाती है, और विद्या को पता चलता है कि उसका अपहरण हो गया है. इसी बीच विद्या हादसे का शिकार हो जाती है. फिर वह अस्पताल पहुंच जाती है, और इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी अर्जुन रामपाल के हाथ विद्या की एक डायरी लगती है, और फिर विद्या और दुर्गा के जीवन के एक-एक अध्याय सामने आने लगते हैं. कहानी में बाल यौन उत्पीड़न का मामला है, और डायरेक्टर ने उसे बखूबी से उठाने की कोशिश भी की है. लेकिन कहानी की कंटिन्युटी में यह फैक्टर कहीं जाकर मिसिंग हो जाता है और डायरेक्टर अलग-अलग दिशाओं में दौड़ने लगता है.
फिल्म की शुरुआत बहुत ही दिलचस्प ढंग से होती है लेकिन फिर सब कुछ बहुत ही स्पष्ट और स्वाभाविक हो जाता है. फिल्म में कई सवाल पैदा होते हैं. जैसे आठ साल पहले हुए अपराध के बारे में आठ साल बाद तफ्तीश शुरू होती है. फिल्म में लव स्टोरी को जबरन क्यों घुसेड़ा गया है? इसके अलावा पति वाला फैक्टर भी अजीब है. इस तरह के कई सवाल हैं.
स्टार अपील:
विद्या बालन इस तरह के कैरेक्टर बखूबी निभाती हैं, और इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की है. लेकिन उनका कैरेक्टर पिछली बार जितना स्पष्ट नहीं है और उनसे जुड़े कई सवाल अधूरे हैं. विद्या ने कुछ भी नया नहीं किया है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो चौंकाने वाला हो. अर्जुन रामपाल स्मार्ट लगे हैं और उन्होंने पुलिस अधिकारी का किरदार ठीक-ठाक तरीके से निभाया है. जुगल हंसराज भी एकदम सामान्य हैं. पुलिस अफसर के रोल में बंगाली ऐक्टर खराज मुखर्जी ने अच्छी ऐक्टिंग की है, बाकी सब औसत हैं.
कमाई की बात:
सुजॉय घोष कम बजट फिल्में बनाने में माहिर हैं, और 'कहानी 2' भी मिड बजट मूवी है. सुजॉय की फिल्मों को लेकर हाइप रहती है और विद्या के साथ उनकी फिल्म का अच्छा रिकॉर्ड रहा है. लेकिन इस बार कई मोर्चों पर दौड़ती कहानी निराश करती है. वैसे भी नोटबंदी की वजह से माहौल काफी तंग चल रहा है और इसी को देखते हुए 'कहानी-2' को मल्टीप्लेक्से पर खास तौर से तवज्जो दी जा रही है. फिल्म टुकड़ों में तो ठीक है लेकिन भागती नहीं है. कुल मिलाकर 'कहानी 2' निराश ही करती है.