रेटिंगः 2.5 स्टार
कलाकारः इमरान हाशमी, हुमैमा मलिक, के के मेनन, परेश रावल
डायरेक्टर: कुणाल देशमुख
कहते हैं, हर चीज का एक दौर होता है. लगता है, इमरान हाशमी के मामले में भी ऐसा ही है. वे अपना चार्म खोते दिख रहे हैं, या कहें वे अपनी लय में नहीं हैं. उनकी पिछली दो फिल्में 'घनचक्कर' और 'एक थी डायन' बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो चुकी हैं. अब वह राजा नटवरलाल लेकर आए हैं. फिल्म देखकर यह बात साबित हो चुकी है कि सिर्फ किसिंग के दम पर फिल्म हिट नहीं हो सकती क्योंकि उनकी अपनी ही बहन आलिया भट्ट सीरियल किसर का तमगा पा चुकी हैं और सभी नए हीरो इस काम में माहिर हो चुके हैं. ऐसे में इमरान हाशमी से कुछ नई चीज की उम्मीद थी और उन्हें ऐसा करना भी चाहिए था क्योंकि कंपीटीशन बढ़ गया है. लेकिन कमजोर कहानी और कुणाल देशमुख का ढीला डायरेक्शन फिल्म को लेकर इमरान हाशमी के लिए ज्यादा उम्मीदें नहीं जगाता है.
कहानी में कितना दम
एक ठग (इमरान हाशमी) है जो अपने दोस्त के साथ मिलकर लोगों को चूना लगाने का काम करता है. उसके ऊंचे ख्वाब है. उसके दोस्त का कत्ल हो जाता है. फिर उसे पता चलता है कि उसके दोस्त का कत्ल किसने किया है. वह उससे बदला लेने के लिए कमर कस लेता है और उसके इस काम में उसकी प्रेमिका (हुमैमा मलिक) मदद करती है. कहानी ठगी, दोस्ती, बदले और प्रेम की है. कहानी में कुछ नयापन नहीं है. पूरी तरह फिल्म इमरान हाशमी के अंदाज और चूमने की कला के साथ ही परेश रावल की टाइमिंग पर टिकी है. लेकिन कमजोर कहानी और सुस्त ट्रीटमेंट की वजह से फिल्म निराश करती है.
स्टार अपील
इमरान इस तरह की कहानी के साथ, जितना बेस्ट कर सकते थे उन्होंने किया. कुणाल देशमुख टाइट फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस बार थोड़ा चूकते नजर आते हैं. इमरान किसिंग, रोमांस और ऐक्टिंग में बेस्ट हैं. परेश रावल फिल्म का मजेदार फैक्टर हैं. उनके आते ही फिल्म में जान आ जाती है. हुमैमा को जो भी जिम्मा (रोमांस और किसिंग) सौंपा गया है, उन्होंने इमरान हाशमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है. वे बहुत इम्प्रेसिव नहीं हैं. के के मेनन और दीपक तिजोरी भी ठीक-ठाक ही हैं.
कमाई की बात
इमरान हाशमी की फिल्में कम बजट की होती हैं और कुछ समय पहले तक उन्हें सफलता की गारंटी माना जाता था. अब सीन बदल रहा है. उन्हें एक अदद हिट की सख्त दरकार है. 'राजा नटवरलाल' को मसाला फिल्म बनाने की कोशिश की गई है. ऐसा हो नहीं पाया है. इमरान हाशमी की सिंगल स्क्रीन थिएटरों पर अच्छी फैन फॉलोइंग है. उन्होंने अपने फैन्स के लिए वह काम जमकर किया है जिसकी वजह से उन्हें सीरियल किसर का टैग मिला है. लेकिन फिल्म के गाने औसत हैं जो उनकी फिल्मों में होता नहीं है. उनकी किसिंग पर तो सीटियां बजती हैं, लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद बाहर आते दर्शकों में ज्यादा जोश नजर नहीं आता. ऐसे में बॉक्स ऑफिस पर कमाई के मामले में कोई बड़ा चमत्कार करने की उम्मीद कम ही नजर आती है.