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Film Review: थका, धीमा और उलझा 'रॉय'

बॉलीवुड में अगर हर हफ्ते ओरिजनल स्टोरी आने लगे तो थोड़ी हैरत जरूर होती है. लेकिन यह सच है, बॉलीवुड अपने कहानियों के दम पर अपने पांव पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ऐसा क्या है जो 'रॉय' को कमजोर बनाता है, पढ़े फिल्म रिव्यू.

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Film Roy
Film Roy

रेटिंगः 2.5 स्टार

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कलाकारः जैक्लीन फर्नांडिस, अर्जुन रामपाल और रणबीर कपूर

डायरेक्टरः विक्रमजीत सिंह

बॉलीवुड में अगर हर हफ्ते ओरिजनल स्टोरी आने लगे तो थोड़ी हैरत जरूर होती है. लेकिन यह सच है, बॉलीवुड अपने कहानियों के दम पर अपने पांव पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है. पिछले हफ्ते आर. बाल्की शमिताभ लेकर आए जिसकी कहानी ओरिजनल थी, और इस हफ्ते विक्रमजीत सिंह की 'रॉय' भी ऐसी ही कोशिश नजर आती है. लेकिन वह एक अच्छी-खासी थ्रिलर को प्रेम कहानी का टच देने के चक्कर में पूरी तरह से पटरी से उतार ले गए. हमेशा एक के साथ एक और देने की चाहत में बॉलीवुड डायरेक्टर इस तरह की गलतियां कर जाते हैं. ऐसा ही, रॉय में है. कहानी सरपट दौड़ती नहीं है, रेंगती है और इंटरवल आते-आते मन बेचैन होने लगता है. इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी रफ्तार पकड़ती है. लगभग ढाई घंटे की फिल्म में डायरेक्टर प्यार और थ्रिलर के बीच जूझते नजर आते हैं. डायलॉग भी अट्रेक्ट नहीं करते हैं.

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कहानी में कितना दम
अर्जुन रामपाल एक बेहतरीन फिल्ममेकर है और बहुत ही रोमांटिक मिजाज का शख्स है. वे अपनी अगली फिल्म की तैयारी कर रहा है, और उसकी मुलाकात जैक्लीन फर्नांडिस से होती है. यह कुड़ी एकदम खरी-खरी बात करने वाली है. लेकिन अर्जुन का जादू उस पर भी चल जाता है. दोनों करीब आने लगते हैं. रणबीर कपूर एक चोर है. रणबीर चोरी से पैसा बनाता है और अर्जुन कपूर उन पर फिल्में बनाकर अपनी किस्मत चमकाने की कोशिश करता है. जैक्लीन से रणबीर का भी चक्कर चलता है. फिल्म का पहला हाफ काफी धीमा है. फिल्म में मोड़ सेकंड हाफ में आता है. रणबीर की एंट्री होती है. इस तरह कहानी उलझती है और कई रहस्य खुलते हैं और कई पहेलियां गढ़ी जाती हैं. कई जगह फिल्म काफी रोचक भी लगती है, और सोच से परे भी. प्रेम और थ्रिलर के चक्कर में डायरेक्टर के साथ ही ऐक्टर भी कुछ परेशान से नजर आते हैं. इस तरह अच्छी कहानी की हालत दो नावों के सवार की तरह होती है.

स्टार अपील
फिल्म का कोई भी सितारा चमत्कार करता नजर नहीं आता है. पूरी कहानी जैक्लीन के ग्लैमर और बेहतरीन लोकेशंस के इर्द-गिर्द बुनी गई है. जैक्लीन 'किक' और 'मर्डर' जैसा जादू नहीं बिखेर पाई हैं. डायलॉग बहुत ही सपाट हैं, और मजा नहीं देते हैं. अर्जुन रामपाल भी ओके हैं, और कोई बहुत यादगार रोल नहीं है. रणबीर कपूर भी औसत हैं. रहस्य गढ़ने के चक्कर में सारे किरदार उलझे नजर आते हैं, एकदम बेमजा. सिर्फ जैक्लीन को देखो और लोकेशंस का मजा लो.

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कमाई की बात
फिल्म का संगीत अच्छा है. रोमांटिक साॅन्ग हैं और वैलेंटाइन डे का मौका है. फिल्म की स्टारकास्ट भी अच्छी है. यानी मौका भी था, और दस्तूर भी. लेकिन कहानी में लोचा होने की वजह से सब गुड़- गोबर हो गया. फिल्म की लंबाई, बेरस डायलॉग और ऐक्टरों का बेदम दिखना या थका-थका नजर आना भी काफी कष्ट देने वाला लगता है. शायद मिस्ट्री पैदा करने के चक्कर में प्रेम को भी ग्रहण लगा दिया. अगर यूथ फिल्म से कनेक्ट करता है तो फिल्म पार लग सकती है, लेकिन ऐसी संभावनाएं कम हैं. वैसे फिल्म का 45 करोड़ रु. का बजट है, ऐसे में फायदे में पहुंचने के लिए फिल्म को कड़ा प्रयास करना पड़ेगा.

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