रेटिंगः 3.5 स्टार
डायरेक्टरः अनुराग कश्यप
कलाकारः रोनित रॉय, राहुल भट्ट, तेजस्विनी कोल्हापुरे और सुरवीन चावला
अनुराग कश्यप उन डायरेक्टरों में से हैं, जो अपने मन का सिनेमा बनाते हैं. ऐसा सिनेमा जिसे देखते समय कई तरह के सवाल एक साथ चलते हैं. कई कहानियां एक साथ दौड़ती हैं. इनसान के स्याह और सफेद पक्ष दोनों सामने आते हैं. कहानी में नयापन होता है और बहुत ही सामान्य-सी स्टारकास्ट के साथ बड़ा कमाल होता है. ऐसा ही कुछ 'अग्ली' के बारे में भी कहा जा सकता है. अनुराग की अधिकतर फिल्मों की तरह यह भी डार्क मूवी है, लेकिन कहानी बहुत ही आसान और बांधकर रख देने वाली है. लेकिन इतना जरूर है कि क्रिसमस और नए साल के मूड के एकदम उलट यह डार्क थ्रिलर है. अक्सर राजनैतिक ड्रामा अपने फिल्मों में रखने वाले अनुराग इस बार मानवीय भावनाओं को लेकर आए हैं. आधुनिक जीवन की त्रासदियां और रिश्तों की जटिलताएं.
कहानी में कितना दम
इस कहानी में एक 10 साल की बच्ची है, जो किडनैप हो जाती है. एक स्ट्रगलिंग करता एक्टर (राहुल भट्ट) है जो उसका बाप है. उसकी मां (तेजस्विनी कोल्हापुरे) ऐक्टर से तलाक लेकर पुलिस वाले की बीवी बन चुकी है. पुलिस वाला (रोनित रॉय) सख्त मिजाज है. एक आइटम गर्ल (सुरवीन चावला) है. कहानी बच्ची के अपहरण के साथ शुरू होती है, इन पात्रों के जीवन की कई सचाइयों को पेश करती जाती है. धीमी रफ्तार से चलने वाली यह कहानी पहले सीन के साथ ही बांधने लगती है, और कहानी के बढ़ने के साथ अब आगे क्या होगा वाला फैक्टर हावी होने लगता है. यह बॉलीवुड की फिल्मों से एकदम उलट है. न लाउड म्यूजिक है. न नाच-गाना. सिर्फ कहानी चलती है और वह भी मजबूत कैरेक्टर्स के साथ. हालांकि फिल्म का अंत थोड़ा झटका देता है.
स्टार अपील
अनुराग की खासियत अपनी फिल्मों में सितारों को नहीं बल्कि ऐक्टर्स को लेने की रही है. वह 'अग्ली' में भी दिखती है. स्ट्रगलिंग ऐक्टर के तौर पर राहुल भट्ट ने जबरदस्त ऐक्टिंग की है, और वह कैरेक्टर को पूरी तरह से जिंदा करते नजर आते हैं. परेशान और अतृप्त मध्यवर्गीय पत्नी के रोल में तेजस्विनी ने भी क्लास परफॉर्मेंस दी है जबकि पूरी फिल्म में कड़क पुलिस अधिकारी के तौर पर रोनित एकदम से दिल में उतर जाते हैं . उनकी परफॉर्मेंस धांसू है. वाकई इस तिकड़ी ने कमाल की ऐक्टिंग की है. इसके अलावा सुरवीन चावला भी छोटे से रोल में ठीक हैं.
कमाई की बात
यह इस साल की आखिरी रिलीज है. बॉलीवुड के लिए यह साल बहुत अच्छा नहीं रहा. लेकिन साल का अंत मजबूत कहानी फिल्म के साथ होना अच्छा है. लगभग पांच करोड़ रु. के बजट से बनी 'अग्ली' के लिए वर्ड ऑफ माउथ काम करेगा. वैसे भी अनुराग की फिल्मों का एक दर्शक वर्ग बन चुका है जिसे उनकी फिल्मों का इंतजार रहता है. यह फिल्म उन लोगों के लिए भी है जो रूटीन सिनेमा से हटकर समाज की सचाई जैसी चीजों को परदे पर देखना चाहते हैं.