रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः एस. एस. राजमौली
कलाकारः प्रभास, राणा डग्गुबत्ती , तमन्ना और अनुष्का
टेक्नोलॉजी और भव्यता के मामले में बॉलीवुड अभी तक टॉलीवुड को छू नहीं पाया है, हॉलीवुड तो दूर की बात है. ऐसा ही फील डायरेक्टर राजामौली की बाहुबली भी देती है. फिल्म बॉलीवुड को दिखा देती है कि टेक्नोलॉजी के मामले में साउथ आप से कहीं आगे निकल गया है और आप उसके दूर-दूर तक कहीं नहीं हैं. डायरेक्टर के हौसले इस कदर बुलंद है कि उसने इतने बड़े बजट की फिल्म के लिए काल्पनिक कहानी को चुना और वह भी राजा-महाराजाओं वाली. फंतासी और कॉमिक्स की दुनिया जैसा अकल्पनीय संसार. उन्होंने हर मोर्चे पर हॉलीवुड का मुकाबला करने की कोशिश की और सफलता भी हासिल की. लेकिन वह कहानी के मोर्चे पर अपने भाई बॉलीवुड जैसे ही निकले. कुछ नया नहीं किया.
कहानी में कितना दम
प्रभास शाही परिवार का बच्चा है लेकिन उसका पालन-पोषण जंगल में होता है. वह ताकतवर शख्स के तौर पर उभरता है. उसे एक लड़की (तमन्ना) से प्यार हो जाता है. फिर उस ताकतवर शख्स को अपना लक्ष्य हासिल करना होता है, उसे क्रूर शासक (राणा) से मुकाबला करना है. हक की लड़ाई लड़नी है. बस इस तरह खूनी जंग का आगाज होता है. जिसमें अतीत के कई झरोखे हैं, वर्तमान के कई किस्से. कुल मिलाकर कहानी पहले हाफ तक जहां हांफती हुई चलती है, वहीं दूसरे हाफ में जाकर गति पकड़ती है. टेक्नोलॉजी ने असंभव को संभव कर दिखाया है और ऐसे दृश्य संजोए हैं कि उन पर से नजर नहीं हटती. शानदार झरने, अनदेखी दुनिया और युद्ध में जौहर. अगर कहानी के मामले में भी राजमौली ने थोड़ी और मेहनत कर दी होती तो वह गजब ढाह सकते थे. वह फिल्म के दो पार्ट लेकर आ रहे हैं और ऐसा प्रयोग बॉलीवुड में अनुराग कश्यप 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के साथ कर चुके हैं.
स्टार अपील
साउथ की फिल्म में जिस तरह के वीएफएक्स का इस्तेमाल किया गया है जो आपको हैरत में डाल देते हैं, ऐसे में लार्जर दैन लाइफ हीरो का आना मजेदार लगता है. प्रभास का विशाल रूप देखकर बेशक तालियां बजती हैं. राणा डग्गुबत्ती भी अपने किरदार में जमे हैं और उन्होंने वीएफएक्स के साथ जमकर तालमेल बिठाया है. तमन्ना और अनुष्का भी ठीक-ठाक लगी हैं. फिल्म का असली स्टार इसकी टेक्नोलॉजी और इफेक्ट्स हैं जो फिल्म में हरदम छाए रहते हैं. इस तरह फिल्म के असली हीरो डायरेक्टर हैं.
कमाई की बात
फिल्म की लागत लगभग 250 करोड़ रु. बताई जाती है जो इसे भारत की अब तक की सबसे महंगी फिल्म बना देती है. ऐसे में राजमौली ने बहुत कुछ दांव पर लगा दिया है. फिल्म का संगीत औसत है और हिंदी डबिंग बहुत शानदार नहीं कही जा सकती. कहीं-कहीं खटकती है. प्रभास और राणा मजेदार लगते हैं. लेकिन हिंदी ऑडियंस प्रभास से अनजान है और फिल्म के कमजोर प्रचार की वजह से भी उन्हें लेकर हाइप कुछ ज्यादा नहीं है. फाइट सीन कमाल हैं. लेकिन कहीं-कहीं खिंच जाते हैं. अभी इसका दूसरा पार्ट भी आना है, यानी पिक्चर अभी बाकी है.