भारत में पौराणिक कथाओं या ऐतिहासिक घटनाओं पर फिल्में बनती रही हैं लेकिन पौराणिक कहानी को ऐतिहासिक घटनाओं में मिक्स कर पर्दे पर जादू जगाने का हुनर एसएस राजामौली की फिल्मों में ही दिखता है. फिल्म आरआरआर भी इसी जादू की एक कड़ी है. राजामौली बाहुबली में महाभारत की झलक दिखा चुके हैं. अपनी नई फिल्म आरआरआर में जहां वो ब्रिटिश काल की कहानी सुनाते हैं वहीं रामायण की एक झलक भी दिखाते हैं.
कहानी कुछ यूं है कि राम (रामचरण) ब्रिटिश गर्वनमेंट के समय के पुलिस अफसर हैं. उनका काम क्रांतिकारियों को पकड़कर सजा देना है, हालांकि राम भी एक मकसद से ही यहां हैं. दूसरी ओर कोमारा भीम (एनटीआर जूनियर) जंगल के कस्बे में रहते हैं, जो अपने आदिवासी समुदाय की एक बच्ची को अंग्रेजों से छुड़ाने के मकसद से जंगल छोड़ दिल्ली आते हैं. यहां राम और भीमा की दोस्ती होती है लेकिन आगे चलकर दोनों एक-दूसरे के सामने जा खड़े होते हैं. कहानी के अंत को रामायण के खांचें में डाला जाता है, जहां राम, सीता और हनुमान किस तरह अंग्रेजों की लंका का सर्वनाश करते हैं.
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डायरेक्शन की बात करें, तो राजामौली ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पब्लिक का दिल कैसे जीतना है. 550 करोड़ के मेगा बजट में बनी इस फिल्म के कई सीन्स पर आप तालियां बजाने पर मजबूर हो जाएंगे. खासकर रामचरण और जूनियर एनटीआर की एंट्री रौंगटे खड़े करती है. राम का पूरी भीड़ से लड़ने में आप लॉजिक नहीं ढूंढ पाएंगे. अंग्रेजों की हवेली में भीमा का जंगली जानवरों के साथ धावा बोलना, राम और भीमा की आग व पानी के साथ प्रतीकात्मक लड़ाई जैसे सीन्स कोई भी रिवाइन्ड कर दोबारा देखने पर मजबूर हो जाएगा. अजय देवगन यहां राम के पिता बने हैं, जिन्हें खुद राम ने मारा है, वजह जानने के लिए आपको थिएटर जाना होगा. राजामौली अपनी जबरदस्त सिनेमैटोग्राफी के लिए पहचाने जाते हैं. पूरी फिल्म आपको उनकी दुनिया में ले जाती है. सिनेमैटोग्राफर केके सेंथिल कुमार की कसी सिनेमैटोग्राफी और लार्जर दैन लाइफ वाले सीन्स का जबरदस्त कॉम्बिनेशन फिल्म की जान है. फिल्म फर्स्ट हाफ में दर्शकों को बांधने में कामयाब रही है, ए श्रीकर प्रसाद की कसी हुई एडिटिंग ऐसी है कि इंटरवल में भी बाहर जाने का मन नहीं होता है. वहीं सेकेंड हाफ थोड़ा सा बिखरा है. रामचरण का राम के अवतार में आना और उस अवतार को अंत का पकड़े रखना थोड़ा हजम नहीं होता. फिल्म में सीता बनीं आलिया भट्ट के लिए रोल में कुछ खास नहीं था. हां अजय देवगन की एंट्री देखकर सीटी जरूर बजेगी.
रामचरण और एनटीआर के फैंस के लिए यह फिल्म ट्रीट है. फिल्म में दोनों ने एक-दूसरे को जबरदस्त टक्कर दी है. पावरपैक्ड एक्शन और फुलटू इमोशन के साथ दोनों साउथ सुपरस्टार की जुगलबंदी सिनेमालवर्स को पसंद आएगी. कम स्क्रीन स्पेस मिलने के बावजूद अजय देवगन अपनी छाप छोड़ते हैं. ब्रिटिश रूलर के रूप में स्कॉट रे स्टीवेंशन और उनकी पत्नी लेडी स्कॉट बनीं एलिशन डूडी ने अपनी निगेटिव किरदार को इतनी बखूबी से जिया है कि आप उनसे नफरत करने लगते हैं. आलिया भट्ट के लिए फिल्म में कुछ नया करने जैसा नहीं था. अगर उनके अलावा कोई भी होता तो खास फर्क नहीं पड़ता. अजय देवगन की पत्नी सरोजनी के रूप में श्रेया शरण, छत्रपति शेखर, मकरंद देशपांडे ने अपने-अपने किरदारों संग पूरा न्याय किया है.
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फिल्म का म्यूजिक दिया है, एमएम किरवानी ने, जो बाहुबली के भी म्यूजिक डायरेक्टर रह चुके हैं. हालांकि बाहुबली के गानों की तरह इस फिल्म के गाने जुबान पर चढ़ेंगे इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती. फिल्म के बेहतरीन विजुअल इफेक्ट्स पर वी श्रीनिवास मोहन की क्रिएटिविटी साफ झलकती है. बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भव्यता के स्तर को और ऊपर लेकर जाता है. ओवरऑल फिल्म एंटरटेनिंग हैं. थिएटर पर जाकर ही इस फिल्म की भव्यता और स्पेशल इफेक्ट्स का मजा लिया जा सकता है.