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Gullak Season 3 Review: फिर से फूटी किस्सों की गुल्लक, एक बार जरूर देख‍िए, भूल जाएंगे रोमांस-थ्र‍िलर

Gullak Season 3 Review: किस्सों वाली गुल्लक फिर आपके द्वार आई है. तीसरी किश्त है. किरदार वहीं पुराने वाले हैं, बस किस्से नए हैं. आइए किस्सों की इस नई गुल्लक को फोड़ते हैं...

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Gullak Season 3 Review
Gullak Season 3 Review
स्टोरी हाइलाइट्स
  • Gullak Season 3 Review: मेकर्स का कमाल
  • अपनेपन का अहसास कराती सीरीज
फिल्म:गुल्लक
4/5
  • कलाकार : जमील खान, गीतांजलि कुलकर्णी, हर्ष मायर
  • निर्देशक :पलाश वस्वानी

कहानी नहीं किस्से हैं ये.... जिसने भी गुल्लक देखी है, पहला सीजन देखा हो या फिर दूसरा, ये लाइन हर बार सुनी होगी. ये एक लाइन ही इस सीरीज की सबसे बड़ी ताकत है. ये एक लाइन एहसास करा जाती है कि गुल्लक देखने का मतलब कोई सीरीज या फिल्म नहीं, बल्कि आपकी अपनी जिंदगी का ही कोई किस्सा है. अब फिर एक और गुल्लक किस्सों से भर गई है. वहीं किस्से जो आपने, हमने, सभी ने कभी ना कभी अपनी जिंदगी में देखे हैं. आइए किस्सों की इस नई गुल्लक को फोड़ते हैं.....

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किस्से मिडिल क्लास वाले

भोपाल का मिश्रा परिवार अभी भी मिडिल क्लास वाली जिंदगी जी रहा है. आज भी वो छोटी-छोटी बातों पर झगड़ रहा है, छोटी खुशियों में जश्न मना रहा है और टिपिकल मिडिक क्लास वाली हरकते कर रहा है. हां एक बड़ा फर्क आ गया है इस बार, अब मिश्रा परिवार में कमाने वाले दो हो गए हैं. पहले सीजन में नकारा तो दूसरे में चापलूसी करने वाला अन्नू मिश्रा (वैभव राज गुप्ता) अब लायक हो गया है. वहीं अन्नू का छोटा भाई और दसवीं में टॉप करने वाला अमन मिश्रा (हर्ष मायर) उस दुविधा में फंसा पड़ा है जिससे हर बच्चा गुजरता है- 11वीं में कौन सी स्ट्रीम लेनी है. आखिर में रह गईं इन बच्चों को और संतोष मिश्रा को संभालने वालीं शांति मिश्रा (गीतांजलि कुलकर्णी) जो अभी भी ज्यादा वक्त किचन में गुजारती हैं और अपने तानों के दम पर पूरे घर पर राज करती हैं.

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गुल्लक के तीसरे सीजन में कई मुद्दे उठाए गए हैं. नौकरी लगने की खुशी तो छूटने पर परिवर्तन का दौर, पैसा बड़ा या फिर खुशी, घर के बड़े फैसलों में महिला भागीदारी. पांच एपिसोड की इस मिनी सीरीज में इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द किस्सों को बताया गया है.

अपनेपन की भरमार, मेकर्स का कमाल

अब किस्सों की कभी भी समीक्षा नहीं की जा सकती. किस्से तो हर तरह के हो सकते हैं, अच्छे-बुरे, कड़वे, मीठे, डराने वाले, सिखाने वाले. मतलब ये है कि असल जिंदगी को आप कभी भी रिव्यू के तराजू पर थोड़ी तोलते हैं, सिर्फ जीते हैं. गुल्लक भी वही है...असल जिंदगी, यहां जो भी कुछ दिखाया गया है वो सबकुछ असली है. बनावट की कोई जगह नहीं है. इसी वजह से पहले और दूसरे सीजन की तरह गुल्लक की ये तीसरी किश्त भी कमाल कर गई है. अपनेपन वाली फीलिंग है, ऐसे रिश्ते हैं जो आपको अपने लगने लगेंगे और ऐसे किस्से हैं, जो फिर आपको फ्लैशबैक में ले जाएंगे, कुछ बड़ा सिखा जाएंगे और शायद जीने का फिर सरल तरीके बता जाएं.

एक्टिंग तो की ही नहीं

गुल्लक के जितने भी किरदार हैं, मेन वाले, सपोर्टिंग वाले या कह लीजिए बिना डॉयलाग सिर्फ स्क्रीन पर दिखने वाले, किसी ने एक्टिंग नहीं की है. जरूरत ही नहीं पड़ी है. मराठी एक्ट्रेस गीतांजलि कुलकर्णी को ही ले लीजिए, कई फिल्म और सीरीज में काम कर चुकी हैं, लेकिन उनका ये गुल्लक वाला शांति मिश्रा का किरदार ऐसा मन में बैठ गया है कि उनके  असल नाम से ज्यादा ये किरदार ही उनकी पहचान बन गया है. संतोष मिश्रा बने जमील खान को देख लीजिए, हर सीन के बाद ऐसा लगता है कि पापा तो ऐसे ही होते हैं. बड़े भाई की भूमिका में वैभव राज गुप्ता क्या बेहतरीन फबे हैं. कभी गुस्सा, कभी बड़े भाई वाले तेवर, कभी छिप-छिप कर केयर करना, किरदार एक लेकिन सारे इमोशन भरे पड़े हैं. इस मामले में तो हर्ष मायर को भी नहीं भूल सकते हैं. भोले चेहरे के साथ आला दर्जे की अगर कॉमिक टाइमिंग सीखनी हो, तो इनकी शरण में आना बनता है. बिट्टू की मम्मी यानी की सुनीता राजभर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती रहेंगी.

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सबसे बड़ा रिस्क जो बना गेमचेंजर

गुल्लक सीजन 3 के डायरेक्टर पलाश वास्वानी के लिए इस बार चुनौतियां काफी ज्यादा थीं. सीजन 2 में इतने सारे किस्से दिखा दिए गए थे कि तीसरे सीजन का स्कोप बहुत कम था. लेकिन उन्होंने गुल्लक का तीसरा सीजन लाकर फिर साबित कर दिया कि मिडिल क्लास आदमी की जिंदगी में किस्सों की कोई कमी नहीं होती. हर पल एक किस्सा है. इसी वजह से गुल्लक का ये तीसरा सीजन भी एकदम सटीक जगह पर हिट करता है. एक बड़ी बात ये भी है कि इस बार सिर्फ ठहाकों पर जोर नहीं रहा है. बीच-बीच में सोशल मैसेज दिए गए हैं, इमोशनल कर देने वाले किस्से जोड़े गए हैं. ये एक रिस्क था, लेकिन सीरीज देख लगता है बहुत बढ़िया फायदा कर गया.

बहुत देख लीं थ्रिलर, एक्शन वाली, रोमांस वाली, अब इस गुल्लक का लुत्फ उठाइए, अकेले नहीं पूरे परिवार के साथ क्योंकि ये कोई कहानी थोड़ी है किस्से हैं, आपके-हमारे...सभी के.

 

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