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Film Review: इस बार कमजोर कहानी लेकर आए हंसल मेहता, अकेले फिल्म ढोती दिखीं कंगना

कंगना रनोट की फिल्म सिमरन में कंगना की एक्टिंग है दमदार, लेकिन फिल्म कई जगहों पर दिखती है कमजोर

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कंगना रनोट
कंगना रनोट

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फिल्म का नाम : सिमरन

डायरेक्टर: हंसल मेहता  

स्टार कास्ट: कंगना रनोट, सोहम शाह  

अवधि:2 घंटा 05 मिनट

सर्टिफिकेट: U /A

रेटिंग: 2.5 स्टार

हंसल मेहता का नाम आते ही शाहिद, अलीगढ़ और सिटीलाइट्स जैसी फिल्में आंखों के सामने आ जाती हैं. इन फिल्मों में इंटरटेनमेंट तो होता ही है,  जिंदगी से जुड़ा हुआ एक खास मुद्दा भी होता है. इस फिल्म में जहां एक तरफ नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्में बना चुके हंसल मेहता हैं, तो दूसरी तरफ तीन बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी कंगना रनोट. फिल्म की रिलीज से पहले ही प्रोमोशन के दौरान कई कंट्रोवर्सी भी इससे जुड़ चुकी हैं. अब देखना ये है कि असल में फिल्म कैसी है और इसे देखने सिनेमाघर जाना चाहिए या नहीं-

कहानी

यह कहानी अमेरिका में रहने वाली तलाकशुदा लड़की प्रफुल पटेल (कंगना रनोट) की है, जो अपने माता-पिता के साथ रहती है.  यह लड़की हाउसकीपर के रूप में होटल में काम करती है. उसके माता-पिता चाहते हैं कि वो दोबारा शादी कर ले, लेकिन उसका मन अब रिश्तों से उठ चुका है. जब वह अपनी दोस्त से मिलने लॉस वेगास जाती है, तो वहां एक जुआखाने में एक बार तो जीतती है, लेकिन उसके बाद बहुत सारा पैसा हार जाती है. यहां तक कि कुछ लोगों से कर्ज लिया हुआ पैसा भी हार जाती है और अब वो लोग उस पैसे की भरपाई प्रफुल से करवाना चाहते हैं. इसके लिए प्रफुल लूटपाट का काम शुरू कर देती है. वह अमेरिका में बैंक लूटने लगती है. इसी बीच उसके घरवाले एक लड़के के साथ उसका रिश्ता भी करवाना चाहते हैं. इन सब मुद्दों को लेकर प्रफुल की जिंदगी में बहुत सारे ट्विस्ट टर्न्स आते हैं. क्या प्रफुल अपने इरादों को पूरा कर पाती है? यही जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

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कमजोर कड़ियां

फिल्म का ट्रेलर काफी दिलचस्प था, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे एक अच्छी कहानी की तलाश में हम भटकने लगते हैं. आखिर में भी निराशा ही हाथ लगती है. फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी बांध के रखता है, लेकिन इंटरवल के बाद का पार्ट बहुत ज्यादा निराश करता है. फिल्म का क्लाइमेक्स बेहतर हो सकता था. फिल्म में कहीं-कहीं हंसी आती है मगर कई जगह सवाल खड़े होने लगते हैं. फिल्म में इस्तेमाल किए गए वन लाइनर बहुत बढ़िया हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल और भी अच्छे तरीके से किया जा सकता था.  फिल्म का कोई गीत भी ऐसा नहीं है जो रिलीज से पहले हिट रहा हो. कंगना के अलावा फिल्म की बाकी कास्टिंग और बेहतर की जा सकती थी. कई ऐसे सीन हैं जिनकी जरूरत नहीं थी और वो जबरदस्ती से ठूंसे हुए दिखाई देते हैं. फिल्म में बहुत सारा हिस्सा अंग्रेजी में है, इसकी वजह से मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को ही ये फिल्म ज्यादा पंसद आ सकती है.

क्यों देखें ये फिल्म

फिल्म का डायरेक्शन, लोकेशन, सिनेमेटोग्राफी काफी बढ़िया है. कंगना रनोट ने जिस तरह से गुजराती किरदार को पेश किया है, वह काबिल ए तारीफ़ है. बहुत ही सहज तरीके से  कंगना एक गुजराती लड़की बन गई हैं.  फिल्म के कुछ मूमेंट्स ऐसे हैं, जो आखिर तक याद रह जाते हैं. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया है.  काफी अलग तरह का फ्लेवर परोसने की कोशिश की गई है, जो एक जर्नी की तरह है. अच्छी बात ये भी है कि सिर्फ दो घंटे पांच मिनट की ये फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती है.

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बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट लगभग 30 करोड़ बताया जा रहा है. इसमें प्रोडक्शन कॉस्ट 20 करोड़ है और प्रोमोशन में लगभग 10 करोड़ रुपये लगाए गए हैं.  फिल्म 1800 से ज्यादा स्क्रीन्स में रिलीज होनी है. इस फिल्म के लिए वीकेंड अहम रोल प्ले कर सकता है. बाकी काम वर्ड ऑफ माउथ के ही हिस्से रहेगा.

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