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#Homecoming Review: भूली-बिसरी यादों को एक बार फिर जीने की कहानी है होमकमिंग

रीयूनियन अलग ही चीज होती है. रीयूनियन मस्तीभरे, इमोशनल, खुशियों से भरे, ड्रामैटिक और एंटरटेनिंग सबकुछ एक साथ हो सकते हैं. ये अपने साथ लाते हैं ढेरों यादें... भूली-बिसरी, पुरानी यादें, उन दिनों की जब हम बेपरवाह हुआ करते थे. होमकमिंग कॉलेज के कुछ दोस्तों की कहानी है, जो दुर्गा पूजा की नौवीं रात यानी नवमी को एक बार फिर मिलते हैं और पुरानी यादों में खो जाते हैं. 

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फिल्म होमकमिंग में सयानी गुप्ता
फिल्म होमकमिंग में सयानी गुप्ता
फिल्म: #होमकमिंग
2.5/5
  • कलाकार : सयानी गुप्ता, हुसैन दलाल, सोहम मजूमदार, तुहिना दास, प्लाबिता बोरठाकुर
  • निर्देशक : सौम्यजीत मजूमदार

कहते हैं कलकत्ता जादुई शहर है. आप उससे दूर हो सकते हैं, लेकिन कलकत्ता, अब कोलकाता कभी आपके दिल से दूर नहीं रह सकता. आर्ट, बढ़िया खाने और बेहतरीन टैलेंट के साथ-साथ इस शहर में बहुत कुछ है, जो आपको इससे जोड़ता है. इसी कोलकाता में डायरेक्टर सौम्यजीत मजूमदार की फिल्म #Homecoming के किरदार सात साल के लंबे गैप के बाद मिलते हैं. 

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भूली यादों की कहानी...

रीयूनियन अलग ही चीज होती है. रीयूनियन मस्तीभरे, इमोशनल, खुशियों से भरे, ड्रामैटिक और एंटरटेनिंग सबकुछ एक साथ हो सकते हैं. ये अपने साथ लाते हैं ढेरों यादें... भूली-बिसरी, पुरानी यादें, उन दिनों की जब हम बेपरवाह हुआ करते थे. होमकमिंग कॉलेज के कुछ दोस्तों की कहानी है, जो दुर्गा पूजा की नौवीं रात यानी नवमी को एक बार फिर मिलते हैं और पुरानी यादों में खो जाते हैं. 

ये सभी लोग साथ में मिलकर अमरा (हम) नाम के थिएटर ग्रुप में काम किया करते थे. कुछ समय बाद यह ग्रुप खत्म हो गया और अब थिएटर की बिल्डिंग को हेरिटेज होटल में तब्दील किया जा रहा है. ऐसे में सात सालों के लंबे इंतजार के बाद इसी जगह पर सभी मिलकर रीयूनियन पार्टी करते हैं. इस पार्टी में मस्ती-मजे के साथ-साथ आपको कई इमोशंस देखने को मिलते हैं. 

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फिल्म में यूं तो कोई जबरदस्त कहानी नहीं है. यह बस यादों की एक ट्रिप पर जाने जैसा है, जहां लोग मिल रहे हैं. एक दूसरे का हाल ले रहे हैं. पुराने दिनों को याद कर रहे हैं. अपनी जिंदगी के बारे में एक बार फिर सोच रहे हैं. कुछ सालों से चल रहे अपने मनमुटाव को भुलाते हैं, तो कुछ टूटे रिश्तों को लेकर लड़ाई करते हैं, कुछ सालों बाद मिलने पर खुश है और इस पल के खत्म ना होने की दुआ कर रहे हैं, तो कोई ऐसा भी है जो इस पार्टी की हर एक याद को अपने कैमरा में कैद कर रहा है. 

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इस फिल्म में सोहम मजूमदार ने ऐसे लड़के की भूमिका निभाई है, जो अपने थिएटर ग्रुप के खत्म होने के बाद सैन फ्रांसिस्को चला जाता है. वो अपनी जिंदगी जी तो रहा है लेकिन फिर भी कुछ कमी है. कोलकाता की याद उसे दुर्गा पूजा पर विदेश से वापस घर लेकर आती है. सयानी गुप्ता, श्री के किरदार में हैं. श्री एक फिल्म एक्ट्रेस है. उसके साथ है इमरोज (हुसैन दलाल), जिससे कभी श्री को बेहद प्यार हुआ करता था, लेकिन अब उनका रिश्ता दिखावे का रह गया है. प्लाबिता बोरठाकुर इस फिल्म में एक स्लैम पोएट के रोल में है, जो दिल्ली से कोलकाता जाकर बेहद कुछ है. उनका कोलकाता के खाने के बारे में बात करना ही आपके मुंह में पानी ला देगा.

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इस फिल्म को डायरेक्टर सौम्यजीत मजूमदार ने खुद लिखा है. जाहिर है सौम्यजीत ने कोलकाता के लिए अपना सारा प्यार इस फिल्म में पिरोया है. 90 मिनट की इस फिल्म में आपको कोई भी एक्टर एक्टिंग करता नहीं लगेगा. सभी को देखकर लगता है जैसे यह सही में एक रीयूनियन का वीडियो है, जिसे आप देख रहे हैं. सभी का काम इतना नेचुरल था. हिंदी और बंगाली गानों ने इस फिल्म की खूबसूरती को और बढ़ाया है. इसके लिए म्यूजिशियन समीर राहत और नील मुखर्जी की तारीफ तो बनती है. आपको यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए.

 

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