Jaadugar Movie Review: इंडिया में ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से बहुत से कलाकारों को एक नई पहचान मिली है. इन्हीं चंद टैलेंटेड एक्टर्स में से एक जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) भी हैं. 'कोटा फैक्ट्री' के जीतू भैया हों या 'पंचायत' (Panchayat) के सचिव जी. जितेंद्र कुमार ने हर किरदार को खुलकर जिया है. इसलिये जितेंद्र कुमार की फिल्म 'जादूगर' (Jaadugar) से भी लोगों को बहुत उम्मीद थी. फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है. जानते हैं कि जिस फिल्म का लोगों को बेसब्री से इंतजार था, उसमें जीतू भैया दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं या नहीं.
जादूगर बने जीतू भैया
समीर सक्सेना के निर्देशन में बनी 'जादूगर' की कहानी मध्य प्रदेश के नीमच के मीनू के ईद-गिर्द घूमती है. मीनू को मैजिक से प्यार है और वो अपनी दुनिया में ही खोया रहता है. इसी दौरान उसकी लाइफ में एक लड़की की एंट्री होती है और उनके दिल की घंटी बज जाती है. मीनू उस लड़की को दिल दे बैठते हैं, लेकिन वो कहते हैं ना कि किसी का प्यार पाना उतना आसान नहीं है, जितना कि दूर से लगता है. मीनू भी अपने प्यार को पाने के लिये फुटबॉल के मैदान में उतरने की हिम्मत दिखाता है. इसके बाद शुरू होती है असली कहानी. क्या जादूगर अपने प्यार के लिये फुटबॉल मैच जीत पाता है. उसे लड़की मिलेगी या फिर फुटबॉल की वजह से बदल जायेगी उसकी जिंदगी. इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिये आपको जितेंद्र कुमार की नई फिल्म 'जादूगर' देखनी होगी.
क्या एक्टर्स ने किया इंप्रेस
'जादूगर' में जितेंद्र कुमार के अलावा जावेद जाफरी और आरुषि शर्मा ने भी मुख्य रोल अदा किया है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि जितेंद्र एक अच्छे एक्टर हैं. इसलिये उनकी सीरीज और फिल्म का लोगों को इंतजार रहता है. पर सच कहें, तो जादूगर में उनका वो मैजिक नहीं चला, जो हमेशा चलता था. वहीं आरुषि और जावेद जाफरी ने अपने किरदार को ठीक-ठाक तरीके से निभाया है. इनके कैरेक्टर्स को लेकर इतना ही कहा जा सकता है कि उन्होंने ना तो बहुत अच्छा काम किया और ना ही बहुत खराब.
फिल्म में लगा कॉमेडी का तड़का
'जादूगर' का ट्रेलर देखने के बाद लगा था कि फिल्म काफी दिलचस्प होने वाली है. पर ऐसा हुआ नहीं. स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म में जबरदस्ती रोमांस डालने की कोशिश की गई है. इसलिये फिल्म देखते हुए ना ही आपको ज्यादा रोमांस फील होता है और ना ही स्पोर्ट्स ड्रामा देखने जैसा महसूस होता है. अच्छी स्टार कास्ट होने के बावजूद फिल्म की कहानी थकाऊ और बोरिंग लगती है.
कहां रह गई कमी
फिल्म देखते हुए आपको ये महसूस होगा कि मेकर्स ने मीनू के किरदार को दिलचस्प बनाने की भरपूर कोशिश की है. इसी चक्कर में वो अन्य किरदारों के साथ न्याय नहीं कर पाये. फिल्म में मीनू एक ऐसा कैरेक्टर है, जिसकी वजह से आप दूसरे किरदारों से खुद को जुड़ा हुआ महसूस नहीं कर पाते हैं. बस कहीं ना कहीं यही बात मूवी लवर्स को खलने वाली है. जितेंद्र कुमार के फैन हैं और वीकेंड पर करने के लिये कुछ नहीं है, तो एक बार फिल्म देख सकते हैं. बाकी फिल्म अच्छी है या नहीं, इसका फैसला आप देखने के बाद खुद ही कर लेंगे.