जामताड़ा सीजन 2 आपके नेटफ्लिक्स पर लाइव हो चुका है. पहला सीजन तो आपने देख लिया, पसंद भी बहुत किया. इस तरह के स्कैम में पड़कर अपना पैसा खोने वाले लोगों ने, दिल पर पत्थर रखकर चुपचाप अपना गम भी महसूस किया होगा. लेकिन 'इस बार कुछ बड़ा होने वाला है' वादे के साथ वापस लौटे जामताड़ा सीजन 2 में रॉकी और सन्नी फिर से आपको ठगने के लिए तैयार हैं. अब कैसे बचेंगे आप?
आपको क्या लगा, पिछली बार गोली चल गई, नेता जी ब्रजेश भान के घर पर पुलिस रेड हो गई, सनी को गोली लग गई तो खेल खत्म हो गया? ना...ना...खेल तो शुरू हुआ था. और मानना पड़ेगा कि खेल धमाके के साथ शुरू हुआ है. लेकिन पकड़ थोड़ी सी ढीली रह गई बस. स्कैम बहुत बड़ा है. लोग सीवीवी नंबर की सिक्योरिटी को समझने लगे हैं, तो ऐसे में फिशिंग कैसे की जाए? कुछ अलग और कुछ बड़ा सोचने के चक्कर में सनी ने एक जबरदस्त तकनीक खोज निकाली है.
बड़े स्कैम के साथ पर्सनल होती कहानी
जी हां, सनी जिंदा है. अब ये मत कहिएगा कि ये स्पॉइलर था. हमने बता दिया तो अब क्या देखना. अब मेन कैरेक्टर ही मर गया तो सीरीज आगे कैसे बढे़गी. चलिए अब बातें ना बनाते हुए कहानी बताते हैं, मतलब हिंट देते हैं. पहले सीजन में जहां सनी और रॉकी में कॉम्पीटीशन दिखाया गया था, कि कौन सबसे बड़ा स्कैमर? वहीं इस सीजन में चीजें और भी गंभीर माने पेचीदा हो गई है. इस बार स्कैम और रॉकी-सनी की कहानी तो चल ही रही है. लेकिन उससे ऊपर दिखाई गई है गुड़िया की कहानी, जो ब्रजेश भान से बदला चाहती है. पिछले सीजन में गुड़िया एक ट्रेजर हंट की तरह सामने आती है, जो सोचती बहुत कुछ है लेकिन बोलती बहुत लिमिटेड है. वो अपने अंदर कहानियों का जमावड़ा लिए है. वहीं सनी जो गुस्सैल है, लेकिन टैलेंट का खजाना है. वो लंगड़ाने लगा है, पर दिमाग उतनी ही तेजी से दौड़ रहा है. रॉकी जो नेता बनना चाहता था, लेकिन इस बार उसे इसी नेतागिरी से डर लग रहा है.
इस सीजन की धांसू एंट्री
इस सीजन में स्कैम की स्कीम के साथ एक नई एंट्री आपको सच में डरा सकती हैं. जहां ब्रजेश भान ने मेन विलेन के रूप में अपनी गहरी छाप छोड़ी है. वहीं इस सीजन में पॉलिटिक्स में उनकी बुआ बनी सीमा पाहवा से आप इम्प्रेस हुए बिना नहीं रह पाएंगे. सीमा का इंटेंस डार्क लुक और गुड़िया के जरिए ब्रजेश से राजनीतिक लड़ाई लड़ते देखना, अपने आप में एक थ्रिलिंग एक्सपीरियंस है. उनके हर एक डायलॉग और एक्सप्रेशन आपको अंदर तक सोचने पर मजबूर कर सकते हैं. सीमा पाहवा के साथ ही इस बार के सीजन में एक नए स्कैमर की एंट्री और हुई है. जो अलग ही तरह की ठगी कर पुलिस से बचने के लिए ब्रजेश भान के चंगुल में खुद आ फंसता है.
पॉवरफुल परफॉर्मेंस
परफॉर्मेंस की बात करें तो, हर कोई अपने रोल में बेहद सधा हुआ नजर आता है. स्पर्श श्रीवास्तव, मोनिका पंवार, अंशुमन पुष्कर, अमित सियाल, अक्षा परदासने जैसे कलाकारों ने पहले सीजन के साथ इस सीजन में भी अपनी दमदार एक्टिंग स्किल्स का परचम लहराया है. लेकिन एक अलग से स्टैंडिंग ओवेशन मिलता है दिब्येंदु भट्टाचार्या को, जिन्होंने सीरीज में इंस्पेक्टर बिस्वा पाठक का रोल निभाया है. बिस्वा की एक्टिंग इतनी नैचुरल रही कि हर कोई उनकी सीरियसनेस और कॉमिक टाइमिंग का फैन हो गया. जब वो अपनी चुटकी भर नॉलेज का परिचय देते हुए डीएसपी से वारंट के नाम पर भिड़ जाते हैं, या जब साइबर सेल का हेड होने के बावजूद उन्हें ये नहीं पता होता कि वीपीएन क्या होता है. तो आप हंस कर ही रह जाते हैं. क्योंकि ये असल जिंदगी के वो मजाहिया मोमेंट्स हैं, जो आप अकसर अपने आसपास देखते हैं.
डायरेक्टर की बेहतरीन कमांड
डायरेक्टर सौमेंद्र पाधी ने वैसे तो अच्छा काम किया है और करवाया भी है. लेकिन स्टोरी कहीं कहीं भटकी लगती है. जिसे आप नजरअंदाज भी कर सकते हैं. सीरीज में नोटबंदी के असर से फिशिंग पर पड़ने वाले असर और ब्लैक मनी को व्हाइट में बदलने का तरीका भी दिखाया गया है. सीरीज में गालियों की भी भरमार है. हर एपिसोड को एक दूसरे से कनेक्टेड दिखाया गया है. और हर एपिसोड को आप एक सवाल के साथ एंड तक देखना पसंद करेंगे. पॉवर और पॉलिटिक्स कितने डीप तरीके से हमारे आसपास काम करता है और उसका कैसा असर हम पर पड़ता है, ये भी देखना, समझना दिलचस्प रहेगा.
सीरीज में म्यूजिक और साउंड का भी अच्छा इस्तेमाल किया गया है. वहीं हर फ्रेम, सीन आपको रियलिस्टिक एक्सपीरियंस देता है. बस कहीं कहीं पर हद से ज्यादा डार्क सीन आपका वाचिंग एक्सपीरियंस खराब कर सकती है. आखिर में हम तो यही कहेंगे कि ऐसी बेहतरीन कास्ट के साथ इस सीरीज को डायरेक्टर सौमेंद्र ने हैंडल तो कर लिया है, मगर पहले सीजन के मुकाबले ये थोड़ी और बेहतर हो सकती थी.