आज के दौर में यूथ के बीच शादियों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन है. वे आए दिन अपनी आंखों के सामने कई लव मैरिज को तलाक पर आकर दम तोड़ते हुए देखते हैं, तो वहीं उनके सामने कुछ ऐसे भी अरेंज मैरिज कपल के उदाहरण हैं, जो बिना प्यार की शादी को एक मशीन की तरह निभाए जा रहे हैं. शायद यही वजह भी है कि शादी की बात होते ही यंगस्टर्स की बेचैनी बढ़ जाती है. धर्मा प्रॉडक्शन ही जुग जुग जियो भी ऐसे ही शादी की जटिलताओं पर बात करती है.
आज के दौर में किस तरह की शादी को परफेक्ट माना जाए, लव मैरिज, जहां लड़का और लड़की एक दूसरे को परख कर सात बंधन में बंधते हैं या फिर अरेंज मैरिज, जहां आपका परिवार ऐसा रिश्ता ढूंढ लाता है, जिसे जानने का मौका आपको शादी के बाद ही मिलता है. धर्मा प्रॉडक्शन के बैनर तले बनी जुग जुग जियो भी शादी इंस्टीट्यूशन और उसके बिलीफ पर बात करती है. फिल्म की पूरी कहानी ऐसे दो मैरिड कपल के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां एक कपल 34 साल की शादी के पड़ाव में हैं, तो वहीं दूसरे कपल ने महज पांच साल पूरे किए हैं.
कहानी
चंडीगढ़ का कुकू (वरुण धवन) अपने बचपन के प्यार नैना( कियारा) से शादी कर कनाडा बस जाता है. इस पांच साल की शादी के दरम्यान करियर, सक्सेस को लेकर कुकू और नैना के बीच दूरी आ चुकी है. दरअसल करियर के मामले में नैना कुकू की तुलना में कहीं ज्यादा सक्सेसफुल है. बढ़ते ईगो क्लैसेज की वजह से दोनों तलाक का निर्णय लेते हैं. हालांकि परिवार को यह फैसला सुनाने से पहले कुकू अपनी बहन गिन्नी(प्राजक्ता कोहली) की शादी का इंतजार करते हैं. शादी की तैयारियों में लगे कुकू को इसी बीच अपने पापा भीम(अनिल कपूर) के अफेयर का पता चलता है. साथ ही भीम के तलाक की प्लानिंग की भी भनक कुकू को लग जाती है. अपने मां- पिता के 34 साल के रिश्ते को कुकू बचाने की कोशिश में लग जाता है. क्या कुकू इस मिशन में कामयाब हो पाता है? नैना संग उसके रिश्ते का क्या होता है? ये देखने के लिए आपको थिएटर जाना होगा.
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डायरेक्शन और टेक्निकल
फिल्म डायरेक्टर राज मेहता 'गुड न्यूज़' में यह साबित कर चुके हैं कि किसी भी गंभीर टॉपिक में कॉमिडी का तड़का लगाकर लोगों को कैसे एंटरटेन किया जाता है. उनका यही प्रयास जुग जुग जियो में भी साफ नजर आया. हंसते रुलाते फिल्म आपको एक महत्वपूर्ण मेसेज दे जाती है. खासकर सेकेंड हाफ में नीतू और कियारा के बीच हुए एक संवाद के दौरान कहे गए डायलॉग्स 'शादी के एक साल तक यही चलता है कि कुछ तो गलत हो गया है, पति-पत्नी बनने का मौका ही नहीं मिलता, हम मां-बाप बन जाते हैं और फिर जब बच्चे बड़े होकर सेटल हो जाते हैं, तो हम पति-पत्नी के रोल में वापस लौटते हैं. रिश्ता बस आदत बनकर रह जाता है. आदत कैसी भी हो छोड़नी मुश्किल हो जाती है' एक तबके की सच्चाई को बयां करते हैं. इसके साथ ही कहानी 'शादी के बाद सब ठीक हो जाता है', 'शादी के बाद कपल्स पर बच्चा पैदा करने का दबाव', 'अगर वाइफ ज्यादा कमाती है, तो उसका गिल्ट में होना' जैसे कई टॉपिक्स को छूते हुए बढ़ती है.
फिल्म फर्स्ट हाफ में थोड़ी थी स्लो है लेकिन सेकेंड हाफ में इमोशन के हर पहलू पर गोते मारती है. फिल्म की एडिटिंग में मनीष मोरे फर्स्ट हाफ को थोड़ा क्रिस्प कर सकते थे. धर्मा अपनी फिल्मों में लार्जर दैन लाइफ के लिए जाना जाता है, जिसे सिनेमैटोग्राफर जय पटेल ने बखूबी दर्शाया भी है. फिल्म की जान हैं, उनके गाने, जो पहले से ही चार्टबीट पर छाए हुए हैं. म्यूजिक डायरेक्टर मिथुन, कविता व कनिष्क सेठ, तनिष्क बागची, विशाल शेलके के काम में परफेक्शन साफ नजर आता है.
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एक्टिंग
फिल्म में भीम के किरदार में अनिल कपूर छा गए हैं. उनके किरदार के साथ सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्हें कहीं भी महान या बेचारा दिखाने की कोशिश नहीं की गई थी, इस वजह से आप भीम के रॉ एडिट्यूड से प्यार करने लगते हैं. लगभग 8 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर लौटीं नीतू कपूर सेकेंड हाफ में छा जाती हैं. यहां कियारा आडवाणी नैना के रूप में सरप्राइज करती हैं. इस फिल्म में उन्हें काफी अच्छा स्पेस मिला है और उन्होंने खुद को साबित भी किया है. वरुण धवन ने कुकू के रोल में पूरा न्याय किया है. मनीष पॉल का कॉमिडी टच इस फिल्म में जान डालता है. सोशल मीडिया सेंसेशन प्राजक्ता ने गिन्नी के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. वो एक प्रॉमिसिंग एक्ट्रेस के रूप में उभरी हैं.
क्यों देखें
भूल-भूलैया 2 के बाद एक फैमिली एंटरटेनमेंट फिल्म आई है. दर्शकों को फ्रेश एहसास दिलाएगी. कुछ कमियों को नजरअंदाज कर दें, तो फिल्म पूरी तरह पैसा वसूल है. कहानी के साथ-साथ आप गाने भी एंजॉय करेंगे और साथ ही एक खूबसूरत मैसेज भी लेकर बाहर निकलेंगे. पूरी गारंटी है कि फिल्म आपको बोर नहीं करेगी. इस वीकेंड फैमिली के साथ इस फिल्म की प्लानिंग की जा सकती है.