पिछले साल रिलीज हुई शाहरुख खान की फिल्म 'जवान' के बाद अब जाकर थिएटर्स में बिजलियां दौड़ा देने वाला माहौल बना है. ये प्रभास का स्टारडम है, ये 'कल्कि 2898 AD' का क्रेज है. 'कल्कि 2898 AD' का ट्रेलर ये यकीन दिलाने में पूरी तरह कामयाब था कि ये इंडिया की अपनी सुपरहीरो फिल्म है, जो इंटरनेशनल लेवल पर धमाका करने का दम रखती है.
साउथ के सबसे बड़े स्टार्स में से एक प्रभास और हिंदी की टॉप एक्ट्रेसेज में से एक दीपिका पादुकोण, 'कल्कि 2898 AD' के लीड एक्टर्स हैं. हिंदी सिनेमा के महानायक और साउथ के 'उलगानायगन' यानी यूनिवर्सल स्टार, कमल हासन महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. और बंगाली सिनेमा से निकलकर आए शाश्वत चैटर्जी फिल्म में एक बड़ा किरदार निभा रहे हैं.
'कल्कि 2898 AD' इंडियन माइथोलॉजी को साइंस फिक्शन के साथ लेकर आ रही है और ये एक्स्परिमेंट, ट्रेलर में ही शानदार नतीजे लेकर आता दख रहा था. फर्स्ट लुक के बाद से ही 'कल्कि 2898 AD' का इंतजार जनता टकटकी लगाए कर रही थी और आखिरकार वो वक्त आ गया है जब 2024 की सबसे बड़ी इंडियन फिल्म, थिएटर्स में जनता के सामने है. आइए बताते हैं, कैसी है फिल्म, कैसा है माहौल और कैसा है इस दमदार स्टारकास्ट का भौकाल...
फर्स्ट हाफ
'कल्कि 2898 AD’ के पहले फ्रेम से डायरेक्टर नाग अश्विन ने एक दिलचस्प संसार रचा है. डिस्टोपियन वर्ल्ड की सेटिंग में काशी के डिटेल्स, सारे रिसोर्स से भरपूर कॉम्प्लेक्स का हाईटेक संसार इंटरेस्टिंग लगता है. प्रभास का किरदार भैरव, हर रोज सर्वाइवल की जंग लड़ रहे लोगों के बीच, वैसी ही सोच वाले इंटरेस्टिंग किरदार है. उनका बाउंटी हंटर पर्सोना इंटरेस्टिंग तो है, लेकिन उसकी कॉमेडी थोड़ी ओवर द टॉप लगती है. भैरव की एंट्री, काशी में उसकी लाइफ बहुत रेगुलर लगती है. ये पोर्शन प्रभास फैन्स को तो बहुत भाएगा, लेकिन बाकियों को थोड़ा खिंचा हुआ लग सकता है. मगर इंटरवल की तरफ आते हुए समझ आता है कि नाग अश्विन असल में अपने हीरो, और कहानी को सेट करने के लिए पहले केयरलेस माहौल बनाते हैं.
साइंस-फिक्शन वाले संसार में मायथोलॉजी के एंगल के साथ कमल हासन यानी सुप्रीम यास्किन के आते ही माहौल बदलने लगेगा और आप चेयर पर सीधे बैठने लगेंगे. इंटरवल से ठीक पहले अमिताभ बच्चन की एंट्री होती है. फ़िल्म का माइथोलॉजिकल एंगल यहां पर पीक होता है और कहानी का रहस्य पूरा गहरा चुका है. इसके साथ दीपिका की प्रेग्नेंसी का एंगल भरपुर इमोशन के साथ एक ऐसा प्लेटफॉर्म सेट कर चुका है, जिसपर सेट कहानी जानने की एक्साइटमेन्ट बहुत तगड़ी महसूस होती है. देखते हैं, अब सेकंड हाफ क्या कमाल करता है.
क्लाइमेक्स देख थम जाएंगी सांसें
‘कल्कि 2898’ में आपकी एंट्री काशी से होती है, लेकिन इंटरवल के बाद एक और नया संसार कहानी में आता है- शम्बाला. ये बाकी दुनिया से छिपाकर रखी गई एक जगह है. यहां वो लोग हैं जो तबाह होने जा रही दुनिया के आखिरी छोर पर एक उम्मीद के सहारे जिंदा हैं. फर्स्ट हाफ में ये बेस तैयार कर दिया गया था कि दीपिका यानी सुमति के गर्भ में पल रहा बच्चा, साधारण नहीं है. उसमें असाधारण क्या है, ये फिल्म के सेकंड हाफ में पता चलता है.
कॉम्प्लेक्स से बचकर भाग निकली सुमति पर बाउंटी है, जिसके लिए भैरव उसे पकड़ना चाहता है. कॉम्प्लेक्स के लिए सुमति एक बहुमूल्य एक्सपरिमेंट है. और अश्वत्थामा के लिए अगले अवतार की मां, इसलिए वो हमेशा सुमति की रक्षा में तैयार है.
‘कल्कि 2898 AD’ का सारा दम सेकंड हाफ में ही दिखता है. फर्स्ट हाफ के बनाए प्लेटफॉर्म से फ़िल्म की कहानी जिस तरह ऊपर उठती है और महाभारत के युद्ध से होते हुए, अभी के किरदारों को खोलती है उसे देखते हुए सांस थाम लेने वाली फीलिंग महसूस होती है. फ़िल्म का क्लाइमेक्स बिल्कुल अकल्पनीय और अद्भुत है.
नाग अश्विन के मॉडर्न सिनेमा टेक्नीक से जेनरेटेड विजुअल्स के जरिए माइथोलॉजी को जिस तरह डेवलप किया है, उसके लिए तारीफ बनती है. ‘कल्कि 2898 AD’ की अपनी समस्याएं भी हैं, मगर ये ऐसी फिल्म है, जिसे इस बात के लिए थिएटर्स में देखा जाना चहिए की आज की विजुअल लैंग्वेज, इंडियन कल्चर की ग्रेटनेस को कितना शानदार दिखा सकती है. हमने इंडिया में ऐसी फिल्म बना ली है, ये यकीन करने के लिए ‘कल्कि 2898 AD’ जरूर देखे जाने लायक फ़िल्म है.
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