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FILM REVIEW: घर-घर की कहानी 'कपूर एंड संस'

फिल्म 'कपूर एंड संस' आज रिलीज हो गई है. इस फिल्म को ड्रैमेडी कहा गया है यानी ड्रामा के साथ कॉमेडी. फिल्म को काफी सराहना मिल रही है.

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फिल्म 'कपूर एंड संस'
फिल्म 'कपूर एंड संस'

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फिल्म का नाम: कपूर एंड संस Since 1921

डायरेक्टर: शकुन बत्रा

स्टार कास्ट: ऋषि कपूर, आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा, फवाद खान, रजत कपूर, रत्ना पाठक शाह

अवधि: 2 घंटा 20 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 4 स्टार

पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अलग-अलग दशक में कई सारे फिल्में बनी हैं और वो बॉक्स ऑफिस पर ठीक ठाक काम कर जाती हैं जैसे 'घर', 'स्वर्ग', 'बागबान' और हाल ही में बनी फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो'.

शकुन बत्रा, जिन्होंने 'कपूर एंड संस' डायरेक्ट की है वो डायरेक्टर के साथ-साथ एक राइटर और एक्टर भी हैं. शकुन ने 'जाने तू या जाने न' और 2006 में आई 'डॉन' में भी एक्टिंग की थी. शकुन ने डायरेक्टर के रूप में 'एक मैं और एक तू' फिल्म बनाईं थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक प्रदर्शन किया था और अब 'कपूर एंड संस' कैसी फिल्म है? क्या यह दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर पाएगी?

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कहानी
यह कहानी दो भाइयों राहुल कपूर (फवाद खान) और अर्जुन कपूर (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की है, जिन्हें 5 सालों के बाद दादू अमरजीत कपूर (ऋषि कपूर) के हार्ट अटैक की खबर की वजह से अपने पैतृक घर कुन्नूर आना पड़ता है. इस घर में राहुल, अर्जुन के अलावा उनके डैड हर्ष कपूर (रजत कपूर) और मां (रत्ना पाठक शाह) भी रहते हैं. फिर कहानी में कई सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं, घर में हुई कई बातें भी सामने आती हैं, दोनों भाइयों में असली मतभेद तब शुरू हो जाता है जब उनके जीवन में टिया (आलिया भट्ट) की एंट्री होती है, अब क्या इस परिवार में सब कुछ ठीक हो जाएगा? क्या दोनों भाइयों में सहमति होगी और टिया किसकी हमसफर बनती है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

स्क्रिप्ट
इस फिल्म को ड्रैमेडी कहा गया है यानी ड्रामा के साथ कॉमेडी. फिल्म की कहानी पारिवारिक माहौल के इर्द गिर्द घूमती है जिसकी लिखावट बहुत अच्छी है. दादू का किरदार हो, या फिर पैरेंट्स और बाकी किरदार, उनके संवाद आपको कहानी के साथ जोड़ते हैं. एक तरफ जहां मॉडर्न दादू हैं तो वहीं लंदन और न्यू जर्सी से आए हुए दोनों हैंडसम एक्टर्स हैं. फिल्म की कहानी इंटरवल से पहले हर फ्रेम में गजब की दिखाई पड़ती है लेकिन इंटरवल के बाद इसकी रफ्तार थोड़ी स्लो हो जाती है. जो थोड़ी और बेहतर की जा सकती थी. ऋषि कपूर जब भी स्क्रीन पर आते हैं, उनके संवाद आपको हसने पर विवश कर देते हैं, खासतौर से इंटरवल से पहले भर भर के ठहाके निकलते हैं.

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अभिनय
ऋषि कपूर ने दादू के रूप में बेहतरीन काम किया है जो आपको हंसाने के साथ साथ कभी सीरियस भी करते हैं, वहीं सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट और फवाद खान ने भी अपने अपने किरदारों में सहज अभिनय किया है. सिद्धार्थ छोटे भाई के रूप में अच्छे लगते हैं और फवाद खान, बड़े भाई के किरदार में आपको सरप्राइज करते हैं साथ ही रजत कपूर और रत्ना पाठक शाह ने पैरेंट्स के किरदार को बखूब निभाया है. बाकी सह कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.

संगीत
फिल्म के दो गाने 'चुल' और 'बोलना' रिलीज से पहले ही चार्ट बस्टर हैं और फिल्मांकन के दौरान कहानी को और निखारते हैं. बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के हिसाब से ठीक है.

कमजोर कड़ी
फिल्म का इंटरवल के बाद का हिस्सा थोड़ा कमजोर नजर आता है, उसे बेहतर किया जा सकता था.

क्यों देखें
अगर आप सिद्धार्थ मल्होत्रा, आलिया भट्ट, फवाद खान, या ऋषि कपूर के दीवाने हैं, तो यह फिल्म जरूर देखें.

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