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Kartam Bhugtam Review: सस्पेंस-ट्विस्ट से भरी है श्रेयस तलपड़े-विजय राज की 'कर्तम भुगतम', देखकर उड़ेंगे होश

ये दुनिया विश्वास और अंधविश्वास के सहारे चलती है. धर्म में किसी को विश्वास दिलाना बेहद आसान है और उसके चलते दूसरों को ठगना भी. लेकिन एक इंसान को किस हद तक बेवकूफ बनाया जा सकता है, ये आप और मैं इमैजिन नहीं कर सकते. इस ही चीज के बारे में श्रेयस तलपड़े और विजय राज की नई फिल्म 'कर्तम भुगतम' बात करती है.

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विजय राज, श्रेयस तलपड़े
विजय राज, श्रेयस तलपड़े
फिल्म:कर्तम भुगतम
3/5
  • कलाकार : श्रेयस तलपड़े, विजय राज, मधु
  • निर्देशक :सोहम शाह

Kartam Bhugtam Review: ये दुनिया विश्वास और अंधविश्वास के सहारे चलती है. धर्म में किसी को विश्वास दिलाना बेहद आसान है और उसके चलते दूसरों को ठगना भी. लेकिन एक इंसान को किस हद तक बेवकूफ बनाया जा सकता है, ये आप और मैं इमैजिन नहीं कर सकते. इस ही चीज के बारे में श्रेयस तलपड़े और विजय राज की नई फिल्म 'कर्तम भुगतम' बात करती है.

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क्या है फिल्म की कहानी?

थ्रिल, ड्रामा और सस्पेंस से भरी इस कहानी की शुरुआत होती है देव (श्रेयस तलपड़े) के न्यूजीलैंड से भारत आने से. देव भोपाल में अपने पिता की जोड़ी जायदाद को लेने आया है. बचपन में ही मां को खो चुके देव को पालने वाले उसके पिता थे. देव को पिता ने पढ़ाया-लिखाया काबिल बनाया और फिर विदेश नौकरी करने भेज दिया. कोविड आया और उसी के बीच उसके पिता चल बसे. देव उनसे आखिरी बार मिल भी नहीं पाया, लेकिन अब उनकी अधूरी इच्छा को पूरा करना चाहता है.

देव के पिता चाहते थे कि वो नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करे. इसके लिए उन्होंने करोड़ों रुपये जमा किए थे. पिता की मौत के बाद अब देव घर वापस आ गया है. उसका मकसद 10 दिन में प्रॉपर्टी और पैसे का काम निपटाकर विदेश वापस लौटना है. लेकिन उसका हर काम कहीं न कहीं फंस रहा है. काम न होने से परेशान देव दर-दर भटकने का मोहताज हो गया है. इस बीच देव की मुलाकात होती है अन्ना (विजय राज) से. अन्ना ऐसा शख्स है जो आदमी का हाथ पकड़कर उसकी कुंडली बता देता है. अन्ना की बातों में आकर देव पूजा-पाठ और ज्योतिष में मानने लगता है. उसके काम भी धीरे-धीरे बनने लगते हैं. लेकिन कुछ महीने बाद देव के वो हाल होते हैं, जिसकी कल्पना उसने कभी नहीं की होती. ऐसा क्यों हुआ, यही फिल्म का सबसे बड़ा ट्विस्ट है.

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डायरेक्शन

इस फिल्म को डायरेक्टर सोहम शाह ने लिखा और डायरेक्ट किया है. इससे पहले सोहम, 'लक', 'काल' और सीरीज 'फिक्सर' जैसी फिल्मों को बना चुके हैं. सोहम ने इन फिल्मों की कहानियों को लिखा भी था. उनका हर प्रोजेक्ट एक दूसरे से एकदम अलग होता है. हर बार डायरेक्टर अलग कहानी लेकर आते हैं. 'कर्तम भुगतम' के साथ भी उन्होंने ऐसा ही कुछ किया है. ये कहानी काफी अलग और रिफ्रेशिंग है. फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी स्लो है, लेकिन सेकेंड हाफ में चीजें जुड़कर बड़ी पिक्चर दिखाने लगती हैं. तब आपको समझ आता है कि सोहम अपनी कहानी के साथ आपको क्या समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

सोहम शाह ने अपनी कहानी को काफी अच्छे से लिखा और पर्दे पर उतारा है. हालांकि फिल्म का लो बजट प्रोडक्शन भी साफ झलकता है. फिल्म शुरुआत में काफी स्लो है. लेकिन धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती है और ट्विस्ट एंड टर्न्स के साथ आपको पसंद आने लगती है. कहानी का साथ मूवी का बैकग्राउंड स्कोर भी पूरी तरह देता है. इसके साथ ही इसमें नजर आए एक्टर्स का काम भी कमाल है.

परफॉरमेंस

देव के किरदार में श्रेयस तलपड़े ने बढ़िया काम किया है. ऐसे ही किरदार बताते हैं कि श्रेयस तलपड़े गजब टैलेंट वाले एक्टर हैं. हम श्रेयस को बेहतरीन रोल्स पर्दे पर निभाते देख चुके हैं. ऐसे में ये उनकी बेस्ट परफॉरमेंस में से एक तो नहीं है, लेकिन उनका काम आपको निराश नहीं करता. विजय राज भी फिल्म में कमाल अभिनय करते नजर आ रहे हैं. उनका किरदार कई शेड्स में है और सभी शेड्स में विजय ने कमाल किया है. मधु अपनी परफॉरमेंस से आपको चौंकाती हैं. वहीं अक्षा पारदसानी ने भी काफी अच्छी परफॉरमेंस दी है. कुल-मिलाकर ये फिल्म आपको पसंद आ सकती है.

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