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26/11 का मरहम है 'फैंटम', आप भी कहेंगे 'काश ये कहानी सच होती'

कबीर खान ने हाल ही में 'बजरंगी भाईजान' जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई है, और निर्माता निर्देशक साजिद नाडियाडवाला ने 'किक' जैसी बेहतरीन फिल्म को डायरेक्ट किया था. अब इन दोनों ने मिलकर 'फैंटम' बनाई है.

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फैंटम में सैफ और कटरीना
फैंटम में सैफ और कटरीना

फिल्म का नाम: फैंटम
डायरेक्टर: कबीर खान
स्टार कास्ट: सैफ अली खान, कटरीना कैफ, मोहम्मद जीशान अयूब
अवधि: 147 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार

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कबीर खान ने हाल ही में 'बजरंगी भाईजान' जैसे ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई है, और निर्माता निर्देशक साजिद नाडियाडवाला ने 'किक' जैसी बेहतरीन फिल्म को डायरेक्ट किया था. अब इन दोनों ने मिलकर 'फैंटम' बनाई है जिसमें डायरेक्शन का काम कबीर खान का है और साजिद नाडियाडवाला प्रोड्यूसर की भूमिका में हैं.

मुंबई के 26/11 आतंकी हमले पर आधारित यह फिल्म एस. हुसैन जैदी की लिखी एक किताब से प्रेरित है. क्या यह फिल्म आशाओं पर खरी उतारेगी? आइए समीक्षा करते है-

कहानी:
फिल्म की कहानी 26/11 के बड़े हमले के बाद बनाए गए एक मिशन की है, जिसके तहत इस हमले से जुड़े लोगों को पकड़कर कड़ी सजा देना है. इस मिशन में दानियाल खान (सैफ अली खान) और नवाज मिस्त्री (कटरीना) अहम भूमिका निभाने के लिए निकल पड़ते हैं. दानियाल के इस मिशन से जुड़ने का सबसे खास कारण होता है कि उसे अपने पिता को ये साबित करना है कि वो बहुत ही काबिल बेटा है. अब क्या 26/11 के दोषियों को पकड़ा जा सकेगा? क्या उन्हें कड़ी सजा हो पाएगी? कबीर खान ने यही दर्शाने की पुरजोर कोशिश की है.

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स्क्रिप्ट, अभिनय और संगीत
फिल्म की स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले सराहनीय है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म की कहानी अजब-अजब मोड़ लेने लगती है और खास तौर से जब फिल्म का क्लाइमेक्स आता है तो टिपिकल हिंदी फिल्मों जैसा अंत देखने को मिलता है. जिस तरह से कबीर ने अलग-अलग देशों में शूटिंग करके फिल्म में विजुअल ट्रीट दी है, उसके बाद काश क्लाइमेक्स थोड़ा और बेहतर होता. कहानी के कुछ हिस्से और एक्शन जबरदस्त हैं लेकिन कुछ तो है जिसकी कमी लग रही थी. कई जगहों पर इमोशनल करने की कोशिश भी की गई लेकिन जबरन भावुक होना भी लाजमी नहीं था.

फिल्म में कुछ ऐसे पल भी आते हैं जब तालियों की गड़गड़ाहट भी सुनने को मिलती है खास तौर से जब सैफ अली खान आतंकवादी को बताते हैं कि आखिरकार भारत क्या चाहता है. फिल्म देखते हुए इस बात का इल्म भी होता है कि इसमें रिसर्च का काम बहुत ज्यादा था और पैसा काफी लगा होगा.

अभिनय की अगर बात करें तो सैफ अली खान ने काफी समय बाद बेहतरीन एक्टिंग की है और वहीं कटरीना कैफ से कबीर खान ने उम्दा एक्टिंग करवाई है. फिल्म में मोहम्मद जीशान अयूब का किरदार भी काफी सराहनीय है जो आपको हर एक फ्रेम में बांधे रखता है. फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने ड्राइवर से लेकर अहम किरदारों का चयन सही किया है. फिल्म का संगीत भी मौके की नजाकत के हिसाब से करेक्ट था खास तौर से बैकग्राउंड गीत, जो अक्सर टुकड़ों-टुकड़ों में भावुक माहौल में आता है.

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क्यों देखें-
कबीर ने फिल्म को एक टैग लाइन दी है 'काश ये कहानी सच होती' और वाकई इस कहानी को देखकर आप यही कहना चाहेंगे. अगर आप सैफ अली खान, कटरीना कैफ या कबीर खान के फैन हैं तो फिल्म जरूर देखें.

क्यों ना देखें-
अगर आपको देशभक्ति की भावना वाली और थ्रिलर फिल्मों से परहेज है, तो आप इस फिल्म को बिल्कुल ना देखें.

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