फिल्म 'खुदा हाफिज' के साथ कमाल करने के बाद एक्टर विद्युत जामवाल एक बार फिर वापस आ गए हैं. ह्यूमन ट्रैफिकिंग की कहानी को फिल्म 'खुदा हाफिज' में दिखाया गया था, तो वहीं 'खुदा हाफिज 2 अग्नि परीक्षा' समीर (विद्युत) और नरगिस (शिवालिका ओबेरॉय) की आगे की जिंदगी को दिखाया गया है. समीर और नरगिस अपनी लाइफ में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.
नरगिस अपने साथ हुए हादसे से आज भी लड़ रही है और रोज अग्नि परीक्षा से गुजर रही है. वहीं समीर उसका पूरा साथ देने की कोशिश कर रहा है. लेकिन दोनों का रिश्ता इतना बिखर चुका है कि उसे संभाल पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में उनकी जिंदगी में नन्ही नंदिनी (रिद्धि शर्मा) की एंट्री लेती है. नंदिनी, पहले समीर और फिर नरगिस के दिल में जगह बनाती है. दोनों उसके साथ खुशहाल जीवन बिताना शुरू ही करते हैं कि एक किडनैपिंग में दोनों नंदिनी को खो देते हैं.
नंदिनी की किडनैपिंग के पीछे कई बड़ी ताकतें हैं, जिनका खुलासा पुलिस नहीं कर रही हैं. ऐसे में समीर अपनी बेटी को न्याय दिलाने और उसका बदला लेने का जिम्मा उठाता है. समीर की राहों में कई लोग खड़े हैं और इन सभी का सामना करने के लिए वो तैयार है. इस पूरी लड़ाई में से वो एक ऐसा इंसान बनकर निकलने वाला है, जिसे वो खुद भी नहीं जानता.
फिल्म में छाए विद्युत
विद्युत जामवाल ने इस फिल्म में कमाल किया है. उनकी परफॉरमेंस बढ़िया है. एक्सप्रेशन से लेकर एक्शन तक विद्युत हर फ्रेम में छाए हैं. पत्नी नरगिस का साथ देना हो या बेटी के साथ खेलना या फिर बदलने की आग में जलना, विद्युत अपने किरदार समीर के साथ सबकुछ बहुत आसानी से करते हैं. उन्हें पर्दे पर रोमांस करते देख तो अच्छा लगता ही है, साथ ही उनका एक्शन अवतार भी जबरदस्त है.
नरगिस के किरदार में शिवालिका ओबेरॉय ने भी अच्छा काम किया है. डिप्रेशन में जा चुकी नरगिस के रूप में शिवालिका हर इमोशन को काफी अच्छे से पर्दे पर लेकर आई हैं. पत्रकार रवि कुमार के किरदार में एक्टर राजेश तेलंग का काम बेहतरीन है. वह दिखाते हैं कि इमोशनल और भयावह मुद्दों पर रिपोर्टिंग आखिर किस तरह से की जाती है.
नंदिनी के रोल में क्यूट रिद्धि शर्मा को देकर आप हंसेंगे भी और एक समय पर आपको रोना भी आएगा. एक्ट्रेस शीबा चड्ढा के लिए कोई ऐसा किरदार नहीं बना है, जिसे वह बखूबी ना निभा सकें. एक बार फिर वह अपने किरदार में छाई हैं. 'पाताल लोक' सीरीज में नजर आए बोधीसत्व शर्मा इस फिल्म में अहम भूमिका निभा रहे हैं और उनका काम काफी अच्छा है. एक छोटे से रोल में एक्टर दिब्येंदु भट्टाचार्य को भी देखा गया. उनका काम अपने आप में सही था.
रुला देगी फारूक की फिल्म
किडनैपिंग और रेप जैसे सेंसिटिव मुद्दे को डायरेक्टर फारूक कबीर एक बार फिर पर्दे पर लेकर आए हैं. उन्होंने खुदा हाफिज को जितनी मेहनत से बनाया था उतने की इमोशंस को खुदा हाफिज 2 में इस्तेमाल किया है. ये फिल्म रिवेंज ड्रामा होने के साथ इमोशनल ड्रामा भी है. इसका फर्स्ट हाफ देखते हुए बार-बार आपका दिल जरूर टूटेगा और आंखों में आंसू भी आएंगे. वहीं फिल्म के सेकंड हाफ आपको समीर के सीने में लगी आग महसूस होगी. फिल्म का म्यूजिक भी आपको हर सीन के साथ जोड़ता है.
फारूक ने खुदा हाफिज 2 में एक्शन का डोज भी भरपूर रखा है, जो देखना काफी मजेदार रहा. एडिटिंग और सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया है. अगर आपको अच्छा वीकेंड बिताना है तो आप इस फिल्म को एक चांस देने का सोच सकते हैं.