हम फिल्मों में कभी एक्शन सीन्स की भरमार, कभी रोमांस का ओवरडोज, तो कभी सस्पेंस के रोलरकोस्टर तलाशते हैं. मगर यकीन मानिए हर फिल्म के लिए ये उतने जरूरी नहीं होते. एक सिंपल सी कहानी भी कभी-कभी इतनी असरदार होती है कि वो बड़ी आसानी से ऑस्कर तक का सफर तय कर लेती है और एक उदाहरण सेट करती है. ऐसी ही एक मिडिल क्लास फैमिली और उसकी महत्वकांक्षाओं पर आधारित है फिल्म मिनारी. यूं तो फिल्म के बारे में ज्यादा बड़े परिचय की जरूरत नहीं है क्योंकि फिल्म ने हाल ही में ऑस्कर तक का सफर तय किया. दुनियाभर में इसकी चर्चा हुई. दरअसल ये मूवी बड़े साधारण तरीके से ये बताने में सफल हो जाती है कि जीवन से ज्यादा अपेक्षा रखना हमें वास्तविकता से काफी दूर लेकर जा सकता है. वो भी तब जब जीवन खुद भी अनिश्चितता से भरा हुआ है.
क्या है कहानी?
एक कोरियन प्रवासी परिवार कैलिफॉर्निया जैसे शहर को छोड़ कर Arkansas में शिफ्ट होता है जहां उसकी अपनी जमीन है. जैकब नाम का शख्स अपने परिवार के साथ आता है और रहने के लिए एक कामचलाऊ ठिकाना भी ढूंढ़ लेता है. साथी ही रोजी-रोटी के लिए छोटा-मोटा काम भी देख लेता है. मगर जैकब यी अपने जीवन से संतुष्ट नहीं रहता. उसकी महत्वकांक्षा है किसानी कर के मिनारी प्लान्ट्स लगाने की. उसकी ज्यादा से ज्यादा खेती करने की और एक बड़े व्यापार के स्तर तक लेकर जाने की. मगर जैकब की ये महत्वकांक्षा उसकी पत्नी मोनिका यी के मन में हमेशा शंका पैदा किए रहती है. दरअसल मोनिका को इस बात का डर है कि किसानी के लोभ में जैकब अपने परिवार का भविष्य खतरे में डाल रहा है. वो भविष्य की लालच में वर्तमान के साथ बड़ा समझौता कर रहा है.
दरअसल जैकब और मोनिका को इस शादी से डेविड यी नाम का एक लड़का है और एनी यी नाम की एक लड़की है. दोनों ही बहुत प्यारे हैं. मगर डेविड को दिल की बीमारी है और उसी के फ्यूचर को लेकर मोनिका चिंतित रहती है. मामुली परिवार है. ज्यादा कमाई है नहीं. ऐसे में अगर डेविड की तबीयत बहुत खराब होती है तो फिर उसके इलाज के लिए अच्छे-खासे पैसे खर्च हो सकते हैं. ये सब सोचते हुए मोनिका सोविंग्स पर जोर देती है. जबकी जैकब के सिर पर बड़ा व्यापारी बनने और मुनाफा कमाने का भूत सवार है. इसलिए वो ज्यादा पैसे ना होते हुए भी इनवेस्टमेंट के बारे में सोचता है.
ग्रैंडमा की एंट्री
किसी भी जीवन का अनुभव सिर्फ और सिर्फ तजुर्बों से आ सकता है. इसलिए बुजुर्गों की छत्रछाया जिसे मिल जाती है उसका जीवन सौभाग्यशाली हो जाता है. जैकब और मोनिका अपने-अपने काम के लिए बाहर जाते थे. एनी भी अभी छोटी थी. ऐसे में डेविड की तबीयत की फिक्र के चलते मोनिका अपनी मां सून जा (Youn Yuh-Jung) को घर लेकर आती है. अब यहां पर सून जा तो आई है डेविड की देखरेख करने मगर डेविड उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं करता. अमेरीका में उसकी परवरिश हुई है और वो है भी अभी बहुत छोटा. जनरेशन गैप तो है ही है मगर उसे अपनी नानी का रहन-सहन और लाइफस्टाइल भी कुछ ज्यादा रास नहीं आती. ऐसे में किस तरह से दोनों की बॉन्डिंग बन पाती है, नानी के आने से क्या बदलाव होता है, कैसे एक मिडिल क्लास फैमिली जिसकी गाड़ी कच्ची सड़क पर किसी तरह चल रही होती है वो तजुर्बे की सीमेंटेड रोड पर गति पा लेती है. ये सब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा.
कैसी है कास्ट-
फिल्म में हर एक शख्स ने अपने रोल को शानदार तरीके से प्ले किया है. डेविड के रोल में Alan Kim ने जो एक्टिंग की है वो आपको पूरी फिल्म के दौरान बांध कर रखेगी. वहीं जब Youn Yuh-Jung की एंट्री होती है तो फिल्म को लेकर उत्सुकता एकदम से दोगुनी हो जाती है. फिल्म में पाउल का रोल प्ले करने वाले Will Patton की एक्टिंग की प्रशंसा करना भी जरूरी है. उनके कैरेक्टर की आशावादी विचारधारा भी प्रेरणा का श्रोत है. Steven Yeun, Han Ye-ri और Noel Kate ने भी अच्छा काम किया है.
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क्या है कमी?
फिल्म का निर्देशन Lee Isaac Chung ने किया है. ये फिल्म उनकी सेमी ऑटोबायोग्राफिल फिल्म भी मानी जा रही है. फिल्म को इंटरनेशनली काफी रिकगनिशन मिला है. वैसे तो एक ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म में कमी निकालना इतना आसान नहीं होता मगर फिर भी इस फिल्म की स्क्रिप्ट को काफी ज्यादा सिंपल रखा गया है. कहानी की सिम्प्लिसिटी अपनी जगह सही है. सिम्प्लिसिटी ही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है. मगर अगर स्क्रिप्ट को जरा सा और रोचक बनाया जाता तो शायद बात कुछ और ही होती. कुल मिलाकर फिल्म अच्छी है. फिल्म में बार-बार देखे जाने लायक ऐसा कुछ नहीं है मगर ये मूवी वन टाइम वॉच जरूर है.