फिल्म रिव्यूः हरक्यूलिस -3डी
(स्टीव मूर के ग्राफिक नॉवेल हरक्यूलिस द थ्रेसियन वॉर्स पर आधारित)
एक्टरः ड्वेन जॉनसन, इयान मैकहेन, रुफस सीवेल, जोसेफ, पीटर, जॉन हर्ट
डायरेक्टरः ब्रेट रैटनर
ड्यूरेशनः 1 घंटा 38 मिनट
रेटिंगः 5 में 3.5 स्टार
गंदे मुचड़े से शराब घर में छह लोग मजे मार रहे हैं. आइए आपको इनसे मिलवाते हैं. घड़ी घड़ी आत्मा को परमात्मा से जोड़ भविष्यवाणी करने वाला नुचे कटे मुंह वाला एंफीएरस. जैसे बहारें रीझकर फूल बरसाती हैं, वैसे ही चाकू बरसाने वाला कभी चोर रहा ऑटोलिकस. शानदार योद्धा टीडियस. पलक झपकते ही दो तीर मारने वाली धनुर्धर अटलांटा और एक बालक लोलस, जो कहानियां सुनाता है. इन सब तिलंगों को एक सिरे में जोड़ता है एक ऐसा लड़ाका, जिसके बारे में हजारों दंतकथाएं बन चुकी हैं. उसका नाम है हरक्यूलिस. लोगों को लगता है कि वह ग्रीक लोगों के सबसे बड़े देवता ज्यूस का पुत्र है. और इसलिए वह अविजित है. किसी भी इंसान या जानवर के वार से उसका खून नहीं निकल सकता. मगर हरक्यूलिस अपने इस मिथ को कंधे उचकाकर झाड़ता रहता है. वह अपने अतीत की एक याद से जख्मी है और रह रहकर यह याद उसे खुरचती रहती है.
बहरहाल, कहानी आगे बढ़ती है और एक खूबसूरत राजकुमारी एरगिनिया हरक्युलिस के पास मदद के लिए आती है. उसके बूढ़े पिता लॉर्ड कुटिस के राज्य को अश्वमानवों की एक टोली ने तबाह कर रखा है. ये टोली उनके राज्य के सीमावर्ती इलाकों में हमला करती है और सब कुछ नष्ट भ्रष्ट कर देती है.
हरक्युलिस अपने हरावल दस्ते के साथ राजकुमारी के साथ जाता है और अपनी कुशल सैन्यनीति के जरिए रीशियस और उनके सैनिकों को हराकर बंदी बना लेता है. मगर जब बंदी रीशियस हरक्युलिस के सामने एक राज खोलता है तो वह सकते में आ जाता है. इसके बाद क्रम उलट जाता है और राज्य की विस्तारवादी नीति का एक घिनौना चेहरा सामने आता है. हालात ऐसे हो जाते हैं कि जिन सैनिकों को हरक्युलिस ने ट्रेन किया था, वही अब उसके सामने खड़े हैं. ऐसे में हरक्युलिस अपने साथियों और यकीन के बलबूते संहार की मुद्रा में आता है और खुद पर यकीन के सहारे सब कुछ सही कर देता है. इस दौरान वह अपने अतीत को भी डिकोड कर पाता है.
फिल्म पूरी तरह से ड्वेन जॉनसन उर्फ द रॉक के कंधों पर टिकी है. उन्होंने बढ़िया एक्टिंग और कमाल के एक्शन किए हैं. फिल्म के बाकी एक्टर भी अपने रोल में जंचे हैं. फिल्म के एक्शन के अलावा थ्रीडी तकनीकि और सेट भी लाजवाब हैं. फिल्म में कहानी फुल स्पीड से भागती है और दर्शक अपनी सीट पर चिपके रहते हैं. फिल्म में कमी बस यही है कि इसके तमाम किरदारों की पृष्ठभूमि को नहीं खंगाला गया. अटलांटा को हरक्युलिस ने कैसे अपने मां-बाप की हत्या का बदला लेने में मदद की या फिर एंफीएरस घड़ी घड़ी अपनी मौत का इंतजार क्यों करता है. इन सबको दिखाया जाता तो फिल्म में और गहराई आती.
इस वीकएंड पर कोई नई हिंदी फिल्म नहीं आई है. ज्यादातर लोग किक या तो देख चुके हैं या इसे न देखने का मन बना चुके हैं. ऐसे में हरक्युलिस उनके लिए एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है. फिल्म को बच्चों और फैमिली के साथ भी देखा जा सकता है.