scorecardresearch
 

Movie Review: इंदु सरकार का इमरजेंसी पर वार, बस यहां चूकी निशाना

इंदु सरकार के साथ मधुर भंडारकार ने रियलिस्ट‍िक सिनेमा के अपने जोनर को एक कदम और आगे बढ़ाया है. जानें इमरजेंसी पर वार करती इस फिल्म के हर पहलू के बारे में...

Advertisement
X
Indu Sarkar
Indu Sarkar

Advertisement

फिल्म का नाम : इंदु सरकार

डायरेक्टर: मधुर भंडारकर

स्टार कास्ट: कीर्ति कुल्हारी, नील नितिन मुकेश , तोता रॉय चौधरी

अवधि:2 घंटा 19 मिनट

सर्टिफिकेट: U /A

रेटिंग: 4 स्टार

 

पेज 3, चांदनी बार, फैशन और ट्रैफिक सिग्नल जैसी कई फिल्में बनाकर नेशनल अवार्ड जीत चुके डायरेक्टर मधुर भंडारकर ने एक बार फिर से एक अलग मुद्दा उठाया है. इस बार उन्होंने इमरजेंसी के दौर पर वार किया है. 1975 से 1977 के बीच भारत में लागू की गई इमरजेंसी की पृष्ठिभूमि में क्या-क्या हुआ, इसी पर को लेकर उन्होंने इंदु सरकार बनाई है.

बांधने वाली कहानी

फिल्म की कहानी 27 जून 1975 से शुरू होती है जब देश में इमरजेंसी लगाई गई थी. उसी दौरान सरकार के महकमे में सुकून था और सरकारी लोगों में नवीन सरकार (तोता रॉय चौधरी ) थे जो कि चीफ (नील नितिन मुकेश) के अंतर्गत आने वाले मिनिस्टर के सलाहकार थे. नवीन ने इंदु (कीर्ति कुल्हारी) से विवाह किया था.

Advertisement

इंदु सरकार तो ठीक है लेकिन क्या गुजरात दंगों पर भी बनेगी फिल्म

फिर इमरजेंसी लागू होती है और इसी दौरान ही कुछ ऐसा हादसा होता है जिसकी वजह से इंदु अपने पति को छोड़कर देशहित के लिए आगे निकल जाती है. बहुत सारे उतार चढ़ाव के बीच अंतत इमरजेंसी को खत्म होते दिखाया गया है और इसी के साथ ही कई सवाल भी फिल्म छोड़ गई है.

जानें क्यों किया गया इंदु सरकार का विरोध

जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं -

- इमरजेंसी के दौरान नसबंदी और मीडियाबंदी के साथ साथ बाकी कई तरह के मुद्दें पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है.

- फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले , संवाद , सिनेमैटोग्राफी के साथ साथ बैकड्रॉप भी कमाल का है.

- मधुर का कैमरा वर्क काफी उम्दा है और जिसे देखकर कह सकते हैं की एक बार फिर से मधुर की वापसी हो चुकी है, जिस तरह के सिनेमा के लिए वो जाने जाते हैं.

- 70 के दशक की कई बारीकियों जैसे शोले फिल्म की रिलीज, साधना या हेलेन का हेयर कट इत्यादि पर विशेष ध्यान दिया गया है.

- अभिनेत्री कीर्ति कुल्हाड़ी ने बहुत ही बेहतरीन और उम्दा अभिनय किया है और एक तरह से नेशनल अवार्ड विनिंग परफॉरमेंस दी है. वहीँ तोता रॉय चौधरी और नील नितिन मुकेश ने भी अच्छा काम किया है.

Advertisement

-फिल्म का संगीत भी कमाल का है. एक तरफ चढ़ता सूरज वाली कव्वाली तो दूसरी तरफ मोनाली ठाकुर की आवाज में 'ये आवाज है' गीत पूरी फिल्म में बैकग्राउंड में आता ही आता है. ये अच्छा पिरोया गया है.

कमजोर कड़ियां-

फिल्म की एडिटिंग थोड़ी और बेहतर की जा सकती थी. तो चढ़ता सूरज वाले गीत को थोड़ा और छोटा किया जा सकता था. वहीं इमरजेंसी के कुछ और किस्सों को कहानी में जोड़ा जा सकता था.

बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद

फिल्म का बजट लगभग 11.5 करोड़ बताया जा रहा है तो की एक टाइट बजट में बनी फिल्म है और अगर वर्ड ऑफ माउथ अच्छा रहा तो इसकी रिकवरी करना काफी आसान होगा. फिल्म के सामने सिर्फ एक ही मुश्किल आएगी कि इसे स्क्रीन्स कम मिल सकते हैं, क्योंकि कई फिल्में रिलीज हैं. लेकिन सोमवार के बाद वर्ड ऑफ माउथ ही इन सभी फिल्मों में से बेस्ट को आगे ले जाएगा.

 

Advertisement
Advertisement