रेटिंगः 2
डायरेक्टरः आर. बाल्की
कलाकारः करीना कपूर खान, अर्जुन कपूर, स्वरूप संपत और रजत कपूर
आर. बाल्की विज्ञापन जगत की दुनिया से फिल्मों में आए हैं और उनके आइडियाज हमेशा कमाल रहे हैं. जिसकी झलक वह 'चीनी कम' और 'पा' में दे चुके हैं. लेकिन लगता है कि वह अपना जादुई स्पर्श खोते जा रहे हैं और वह पहले जैसी फिल्ममेकिंग खो बैठे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि 'शमिताभ' में उन्होंने एक मजेदार टॉपिक को उठाया था. लेकिन उसे बहुत ही रूटीन टाइप की फिल्म बना दिया था. इस बार भी ऐसा ही हुआ है. उन्होंने रोल रिवर्सल को विषय बनाया और जेंडर इक्वेलिटी जैसे विषय को उठाया. विषय अच्छा, सोच अच्छी थी लेकिन कमजोर कहानी, खराब ट्रीटमेंट और विषय का पटरी से उतर जाने ने पूरी फिल्म के जायके और उद्देश्य को ही बिगाड़ कर रख दिया. आज की दुनिया की बात को तो वह सामने लेकर आए लेकिन बॉलीवुड के मकड़जाल में उलझकर रह गए और एक अच्छे-खासे विषय का बंटाधार कर बैठे. फिल्म देखकर ऐसा लगा कि बाल्की के अंदर का विज्ञापन डायरेक्टर यहां हावी रहा क्योंकि उन्होंने 30 सेकंड के विज्ञापन के लिए तो सही कॉन्सेप्ट चुना लेकिन उसे दो घंटे की फिल्म में सही से तब्दील नहीं कर सके.
कहानी में कितना दम
करीना कपूर खान करियर ओरिएंटेड आज की दौर की लड़की है. जिसका ख्वाब घर-परिवार बच्चे नहीं बल्कि कंपनी का सीईओ बनना है. उधर, अर्जुन कपूर पढ़े-लिखे हैं और करियर में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है. वह अपनी मां जैसा बनना चाहते हैं, यानी घर के काम करने वाला इनसान. इस तरह उनकी मुलाकात करीना से होती है और दोनों को मनमाफिक जोड़ी मिल जाती है. झटपट उनकी शादी हो जाती है. यानी इंटरवेल तक सब बहुत कुछ अच्छा चलता है. कहानी सरपट दौड़ती है और मजा दिलाती है. लेकिन इंटरवेल के बाद फिल्म भारतीय ट्रैक पर दौड़ने लगती है. हकीकत सामने आती है. गलतफहमियां पैदा होती हैं. इस तरह जेंडर इक्वेलिटी जैसे विषय तो गए भाड़ में और उसके अलावा सारा विषय नजर आने लगते हैं. इस तरह एक रोल रिवर्सल का कॉन्सेप्ट सिर्फ रोल प्ले में ही तब्दील होकर रह गया.
स्टार अपील
करीना कपूर खान, कॉर्पोरेट कलर में अच्छी लगती हैं. उनका अंदाज और एक्टिंग दोनों अच्छी हैं. वह अपने कैरेक्टर के साथ अच्छे से मूव करती हैं और बहुत ज्यादा मर्दाना बनने की कोशिश करती हैं. जिसकी जरूरत नहीं थी क्योंकि उन्हें फिल्म में पुरुष टाइप का नहीं बनना था उन्हें तो अपने मन की राह चुननी थी. दूसरी ओर, अर्जुन कपूर को अभी बहुत लंबा सफर तय करना है. उन्हें अच्छी एक्टिंग सीखनी है और हां थोड़ा-सा वेट पर भी काम करना है क्योंकि दूसरों को सिखाने से पहले बंदे को खुद भी फिट होना चाहिए. बाकी सब ठीक हैं.
कमाई की बात
फिल्म में करीना कपूर खान और अर्जुन कपूर की फ्रेश जोड़ी है. दोनों को देखना अच्छा है लेकिन अर्जुन कपूर डायलॉग डिलीवरी के मामले में अभी कच्चे हैं. करीना अच्छी हैं. फिल्म का म्यूजिक भी ओके है. फिल्म का बजट लगभग 30 करोड़ रु. बताया जाता है. कहानी भी युवा तेवरों वाली है, और महिला दर्शकों को खींचने वाली भी. लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और खराब ट्रीटमेंट की वजह से उम्मीदें कम हैं. 'का एंड की' तो ठीक हैं लेकिन सारी गड़बड़ 'बा' यानी बाल्की की है.