रेटिंगः 3 स्टार
डायरेक्टरः हेनरी हॉब्सन
कलाकारः अरनॉल्ड श्वार्जनेगर, अबिगेल ब्रेस्लिन और जॉयली रिचर्डसन
अरनॉल्ड को अक्सर ऐक्शन फिल्मों में देखा गया है, जिसमें वे अकसर दुश्मनों से टकराते नजर आते हैं. लेकिन यह फिल्म कुछ हटकर है. इसमें वे एक भावनात्मक लड़ाई लड़ रहे हैं, और यह लड़ाई एक महामारी से है. यह ऐसे दौर की कहानी है जब ऐसी महामारी फैल चुकी है, जिससे लोग जॉम्बी बनते जा रहे हैं, और इसके बाद वे जिंदा लाश बन जाते हैं. ऐसी लाशें जो जिंदा लोगों की खुराक पर जीती हैं.
फिल्म में श्वार्जनेगर की एक टीनेज बेटी है 'मैगी' (एबिगेल). जो इस महामारी से संक्रमित है, और धीरे-धीरे जॉम्बी बनती जा रही है. अरनॉल्ड अपनी दूसरी पत्नी जोएली के साथ रहते हैं. यह कहानी मैगी के जॉम्बी बनने की प्रक्रिया की कहानी है क्योंकि जब मैगी इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में आ जाएगी तो उसे सरकार के हवाले कर दिया जाएगा या मार दिया जाएगा. ऐसे में एक बाप अपनी बेटी को समाज और दुनिया से बचाकर रखने की लड़ाई लड़ता है. इस तरह बाप बेटी का रिश्ता एक नए खाके में सामने आता है. एक पिता अपनी बेटी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता है. उसकी हर छोटी-बड़ी चाहत को भी पूरी करने की कोशिश करता है. एक समय ऐसा आता है जब उसे अपने बेटी को खोना होता है. एक मजबूर पिता अपनी बेटी को हर खुशी देना चाहता है.
फिल्म की स्पीड धीमी है, लेकिन यह छूती हुई चलती है. खास अरनॉल्ड का नया पक्ष सामने आना है. वाकई वे एक मजबूर पिता के रोल में बेहतरीन हैं. हालांकि यह फिल्म उन जॉम्बी फिल्म प्रेमियों को गले से नीचे उतारने में मुश्किल होती है, जिन्होंने ऐक्शन और थ्रिलर के रूप में ही इन्हें देखा है. टेक्नोलॉजी का भी बहुत बड़ा कमाल नहीं है. यह फिल्म उन लोगों के लिए है जो अलग ढंग की जॉम्बी मूवी देखना चाहते हैं, यह उनके लिए तो कतई नहीं है जो डरने या चीखने-चिल्लाने के उद्देश्य से जॉम्बी मूवी देखते हैं.