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Movie Review: C ग्रेड फिल्मों का स्याह सच है नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 'मिस लवली'

डायरेक्टर आशिम आहलूवालिया और ऐक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की इंटरनेशनल लेवल पर सुर्खियां बटोरने वाली फिल्म 'मिस लवली' रिलीज हो गई है. आइए जानें फिल्म में क्या है खास....

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मिस लवली
मिस लवली

फिल्म: मिस लवली
डायरेक्टर: आशिम आहलूवालिया
कलाकार: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, निहारिका सिंह, अनिल जॉर्ज
स्टार: 5 में से 3 (***)

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नकली खून, रबड़ के डरावने मास्क, गदराए बदन वाली अभिनेत्रियां. सेक्स सीन. दो भाई हैं, जो सी ग्रेड फिल्में बनाते हैं. कुछ-कुछ रामसे ब्रदर्स की तरह. मिस लवली मुंबई के 1980 के दशक की सी ग्रेड फिल्मों की दुनिया की तस्वीर हमारे सामने पेश करती है. यह फिल्म उस दुनिया का असली सच पेश करती है, जिससे हम अछूते रहे हैं. ऐसी दुनिया जिसके किरदारों का काम दूसरों की भावनाओं को जगाकर पैसा कमाने का है. जैसा फिल्म के इस डायलॉग से साफ भी हो जाता, 'कुर्सी पर बैठकर, बिस्तर का मजा.' फिल्म इंटरनेशलन लेवल पर काफी नाम कमा चुकी है और हर जगह पसंद भी की गई है. यह 'पुराना मंदिर' और 'सामरी' जैसी फिल्मों की याद ताजा कर देती है.

कहानी में कितना दम
विकी दुग्गल (अनिल जॉर्ज) सॉफ्ट पॉर्न किस्म की सी-ग्रेड फिल्में बनाता है और फिर उनकी रीलों को बेचता है. उसका छोटा भाई सोनू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) का नेचर इसके उलट है. वह भी इस फिल्म इंडस्ट्री में आ जाता है. सोनू हीरोइन बनने की हसरत रखने वाली लड़की पिंकी (निहारिका) से मिलता है और उससे प्यार करने लगता है. वह उसे रोमांटिक फिल्म मिस लवली के जरिये लॉन्च करने की ठान लेता है. इस तरह यह कहानी प्रेम और दो भाइयों की महत्वाकांक्षाओं की दास्तान बन जाती है. प्रेम का फैक्टर कहानी को कहीं-कहीं फ्लो करता है. कई तरह के राज खुलते हैं और स्याह दुनिया के सच सामने आते हैं.

स्टार अपील
हमेशा की तरह नवाजुद्दीन सिद्दीकी बेहतरीन रहे हैं. सोनू के किरदार में वे एकदम घुस गए हैं और अपने चिर-परिचित अंदाज में उसे स्क्रीन पर जिंदा कर दिया है. नई ऐक्ट्रेस निहारिका सिंह ने भी अच्छा काम किया है. लेकिन फिल्म का सरप्राइज पैकेज अनिल जॉर्ज हैं. वे विकी दुग्गल के किरदार में जमते हैं.

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कमाई की बात
फिल्म को 200-300 सिनेमा हॉल में रिलीज करने की बात कही जा रही है. फिल्म रेट्रो संसार को देखने का एक जरिया है. इसमें मास अपील नहीं है और कई सीन्स में फिल्म पूरी तरह कनेक्ट नहीं कर पाती है. बेशक, खास दर्शक वर्ग के लिए यह फिल्म काम कर सकती है. लेकिन सिनेमा का एक नया रूप और उम्दा किस्म की फिल्म देने के लिहाज से यह फिल्म एक अच्छी कोशिश है. सी-ग्रेड फिल्मों की दुनिया को समझने का एक जरिया भी.

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