फिल्म का नाम: साला खडूस
डायरेक्टर: सुधा कोंगरा
स्टार कास्ट: आर माधवन, रीतिका सिंह, जाकिर हुसैन, मुमताज सोरकार, राधा रवि, काली वेंकट
अवधि: 1 घंटा 49 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3.5 स्टार
स्पोर्ट्स पर कई सारी हिंदी फिल्में बनाई गई हैं. कभी हॉकी तो कभी फुटबॉल कभी कबड्डी तो कभी क्रिकेट. इस बार बॉक्सिंग के खेल पर आधारित 'साला खडूस' फिल्म बनाई गई है. क्या यह फिल्म आपको थिएटर तक पहुंचा पाने में कामयाब होगी?. आइये समीक्षा करते हैं-
कहानी
यह कहानी है एक बॉक्सिंग आदि तोमर (आर माधवन) की, जिस पर बॉक्सिंग के खेल के दौरान अपने चीफ देव खत्री (जाकिर हुसैन) की वजह से कई सारे आरोप लगाए गए हैं और उन आरोपों को गलत साबित करने के लिए आदि को एक ऐसे खिलाड़ी की तलाश है जो बॉक्सिंग प्रतियोगिता में अपना गजब प्रदर्शन करके कोच का नाम सर्वोच्च कर सके. इसी बीच आदि का ट्रांसफर हिसार (हरियाणा) से चेन्नई कर दिया जाता है जहां उसकी मुलाकात मछली बेचने वाली मधि (रीतिका सिंह) से होती है जो बचपन से मोहम्मद अली को टीवी पर देखकर बॉक्सिंग के बारे में कई बातें जानती है. मधि की बहन लक्स (मुमताज सोरकार) भी अच्छी बॉक्सर है. आदि इस लड़की को ट्रेनिंग देता है और आखिरकार मुकाबला होता है. अब क्या मधि अपने कोच के मानकों पर खरी उतर पाएगी? इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा.
स्क्रिप्ट
जिस तरह अभी तक स्पोर्ट्स पर बनाई गईं सारी फिल्मों में एक कोच और खिलाड़ी इम्पोर्टेन्ट भूमिका में दिखाए गए हैं. वैसे ही इस बार भी कुछ ऐसा ही प्लॉट है. कोच अपनी शागिर्द को ट्रेनिंग देता है. कहानी में कुछ नया नहीं है लेकिन जज्बे से भरपूर है जिसे अलग-अलग सीक्वेंस में दर्शाया गया है. कहानी में रोमांटिक एंगल भी रखा गया है जो समय समय पर फिल्म की रफ्तार को धीमा करता है लेकिन फिल्म का क्लामैक्स, स्पोर्ट बेस्ड फिल्मों के जैसे ही आपको तालियां बजाने के लिये विवश जरूर करता है. स्क्रिप्ट के हिसाब से किरदारों का चयन करेक्ट है.
अभिनय
फिल्म में असल जिंदगी की बॉक्सर रीतिका सिंह ने अच्छा और सराहनीय अभिनय किया है. पहली फिल्म होने के बावजूद रीतिका ने सही प्रदर्शन किया है वहीं हरफनमौला आर माधवन एक बार फिर से अपने एक्टिंग के जरिये आपका दिल जीतने वाले हैं. कोच की भूमिका में माधवन ने उम्दा प्रदर्शन किया है. बाकी जाकिर हुसैन और मुमताज सोरकार का भी सहज अभिनय है.
संगीत
फिल्म में रोमांटिक गीत के साथ-साथ जज्बे से भरा संगीत भी है. म्यूजिक डायरेक्टर संतोष नारायण ने पूरी फिल्म के गाने बहुत ही फुर्सत में तल्लीनता के साथ बनाए हैं जो की कहानी के साथ जाते हैं.
कमजोर कड़ी
काफी प्रेडिक्टेबल कहानी है. अगर आपको नएपन की तलाश है तो शायद वो उतना ना मिल सके.
क्यों देखें
अगर प्रेरणाप्रद और स्पोर्ट पर आधारित कहानियों के कायल हैं. आर माधवन आपको पसंद हैं तो यह फिल्म अवश्य देखें.