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जानिए कैसी है फरहान-विद्या की फिल्‍म 'शादी के साइड इफेक्‍ट्स'

विद्या बालन और फरहान अख्तर की जोड़ी पहली बार रूपहले परदे पर आ गई है. दोनों शादी के साइड इफेक्ट्स में मियां-बीवी बने हैं. आइए जानते हैं फिल्म में क्या है खास...

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शादी के साइड इफेक्‍ट्स
8
शादी के साइड इफेक्‍ट्स

स्टार 3
डायरेक्टर साकेत चौधरी
कलाकार विद्या बालन, फरहान अख्तर, राम कपूर, वीर दास, पूरब कोहली और इला अरुण

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शादी का लड्डू जो खाए वो पछताए जो न खाए वो पछताए. घर की मुर्गी दाल बराबर. यानी शादी से जुड़ी जितनी भी कहावतें हैं, शादी के साइड इफेक्ट्स में बखूबी चरितार्थ करने की कोशिश की गई है. डायरेक्टर सही जा रहे थे लेकिन एक ही फिल्म में कई तरह के मसाले और उपदेश के चक्कर में उन्होंने फिल्म को नुकसान पहुंचाया है. जिसकी वजह से फिल्म भरपूर मजा नहीं दे पाती है, क्योंकि शादी के साइड इफेक्ट्स तो मस्ती और ग्रैंड मस्ती में भी बखूबी देखे जा चुके हैं. शायद यह समय उससे कुछ आगे बढ़कर कहने का था, जिसमें फिल्म चूकती नजर आती है.

कहानी में कितना दम
सिद्धार्थ (फरहान) और तृषा (विद्या) को प्यार होता है. शादी हो जाती है. जीवन बहुत मस्त चल रहा होता है. फिर घर में नया सदस्य आता है. और जीवन बदल जाता है. मियां-बीवी की जग प्रसिद्ध चक-चक शुरू हो जाती है. मन हिलोरें भरने लगता है. शादी बंधन नजर आने लगती है. बाहर हर लड़की विकल्प दिखती है तो हर इनसान सुखी. आखिर में पति का मन मस्ती करने का करता है. वह बाहर मुंह मारने लगता है. मतलब कहानी चिर-परिचित है. पात्र काफी एलीट है तो घटनाएं उनके हिसाब से सामान्य लगती हैं. रिश्तों में कुछ नएपन के एहसास की कमी है. फर्स्ट हाफ तो मजेदार है लेकिन सेकंड हाफ में फिल्म बहुत ही ज्यादा गंभीर होती जाती है. पति-पत्नी और वो आ जाता है. फिर वही राग...

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स्टार अपील
फरहान अख्तर मिल्खा सिंह जैसी क्लासिक कही जाने वाली फिल्म देने के बाद परदे पर दर्शकों के सामने लौटे हैं तो विद्या बालन घनचक्कर के चक्कर से उबरने की कोशिशों में लगी हुई हैं. लेकिन यह फिल्म दोनों के ही कैलिबर को मैच नहीं करती है. दोनों ही कैरेक्टर आर्टिस्ट यानी उन्हें कोई अलग हटकर कैरेक्टर दिया जाए तो वे उसे स्क्रीन पर बखूबी जिंदा करने की कूव्वत रखते हैं. लेकिन यहां उनके पास जौहर दिखाने के लिए कुछ नहीं है. जैसे मिल्खा में फरहान के पास बॉडी और दौड़ने के लिए काफी जगह थी और विद्या के पास कहानी में दिखाने के लिए कैरेक्टर और द डर्टी पिक्चर में एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट था. दोनों को इसमें ऐसा मौका नहीं मिलता. विद्या को अपनी फिगर पर खास ध्यान देना होगा. वे कई मौकों पर जमती नहीं हैं. हालांकि उनकी ऐक्टिंग अच्छी रही है. फरहान भी ठीक है. राम कपूर, पूरब कोहली और वीर दास सब सामान्य हैं. इला अरुण मजेदार रही हैं.

कमाई की बात
शादी के साइड इफेक्ट्स एकता कपूर की फिल्म है. वे पिछले कुछ समय से अपनी लय खो बैठी हैं, उनकी एक थी डायन और वंस अपॉन टाइम इन मुंबई की सीक्वेल बॉक्स ऑफिस पर सनसनीखेज कारनामा नहीं कर सकी हैं. विद्या के साथ उनकी द डर्टी पिक्चर ने तो कमाल किया था लेकिन इससे उस जैसी उम्मीदें नहीं कर सकते, लेकिन एकता ने जो कोशिश की है, वह औरतों को कनेक्ट करने की. फिल्म फीमेल ऑडियंस को भी ध्यान में रखकर बनाई गई है. अगर फिल्म महिलाओं को सिनेमा हॉल तक खींचने में कामयाब रहती है और यूथ को कनेक्ट कर लेती है तो समझिए पैसा वसूल, वरना भगवान मालिक.

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