डायरेक्टरः इम्तियाज अली
कलाकारः रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण
रेटिंगः 2.5 स्टार
बॉलीवुड ऐसी जगह है जहां कई डायरेक्टरों ने अपनी शुरुआती फिल्मों के साथ उम्मीद जगाई कि वह कुछ नया लेकर आए. लेकिन जैसे-जैसे समय बदला. कद बढ़ता गया और फिल्में बड़ी होती गईं. खुद को निखारने की बजाय डायरेक्टर अपनी चमक खोते नजर आने लगे. वह भी दोहराव का शिकार होने लगे और उनकी फिल्मों में उन्हीं की निजी सोच ज्यादा नजर आने लगी. ऐसा ही कुछ इम्तियाज अली के बारे में भी कह सकते हैं. वह बॉलीवुड के उन चुनिंदा डायरेक्टरों में से हैं, जिन्हें कहानी को ऑडियंस के दिल में उतारना और उनसे कनेक्ट करने का हुनर बखूबी आता है. लेकिन वह 'तमाशा' के साथ अपने इस हुनर से चूकते नजर आए. 'जब वी मेट' और 'लव आज कल' जैसी पानी की तरह बहने वाली कहानियों के बाद अब वह ऐसी फिल्म लेकर आए जो कई तरह के सफर के चक्कर में अंत आने तक थका कर रख देती है.
कहानी में कितना दम
एक बच्चा है रणबीर कपूर. वह अपनी ही दुनिया में जीता है. लेकिन पिता हकीकत में रहना वाला है तो वह उससे उम्मीद करता है कि वह पढ़ाई पर फोकस करे. कहानी आगे बढ़ती है और फिर रणबीर की फ्रांस में दीपिका से मुलाकात होती है. फिर दोनों का सफर शुरू हो जाता है. लेकिन कुछ एहसास जगते हैं तो दोनों अलग हो जाते हैं. फिर चार साल बाद दोनों की मुलाकात होती है. फिर दोनों एक दूसरे को समझने लगते हैं. लगभग ढाई घंटे की फिल्म में इम्तियाज सफर को खत्म ही नहीं होने देते कभी यह सफर जिंदगी का होता है, कभी रिश्तों का और कभी दुनियावी. अच्छे नजारे जरूर देखने को मिलते हैं. दो हसीन चेहरे भी दिखते हैं, लेकिन किरदारों को स्थापित करने की उनकी कोशिश बेवजह खींची हुई नजर आती है. फिल्म की स्पीड थोड़ी तेज होती और खिंचाव कम तो ज्यादा असर होता. हालांकि फिल्म में युवा तेवर और युवाओं की मानसिकता के साथ कदमताल की कोशिश अच्छी है.
स्टार अपील
फिल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की जोड़ी 'ये जवानी है दीवानी' के बाद लौटी है. उस समय की दोनों की कैमिस्ट्री कमाल की हुआ करती थी. असल जिंदगी में इश्क था तो ऑनस्क्रीन इश्क के कहने ही क्या थे. लेकिन इस बार हालात उल्टे हैं. यही कैमिस्ट्री परदे पर भी खलती है. वह जादुई स्पर्श इस बार नहीं है. शायद इम्तियाज ने कैमिस्ट्री की बजाय इस बार दोनों की एक्टिंग पर ज्यादा फोकस करने का मन बनाया था. वैसे देखा जाए तो दोनों ने वेद और तारा के अपने किरदारों को निभाने की अच्छी कोशिश की है और दीपिका पादुकोण रणबीर पर थोड़ी भारी पड़ती नजर आती हैं.
कमाई की बात
रणबीर और दीपिका की जोड़ी का सुनहरा काल हम यह जवानी है दीवानी में देख चुके हैं. उसमें भी वह सफर पर निकल चुके हैं. वह सफर ज्यादा मजेदार था. इस बार का सफर थोड़ा फीका रहा. पहले मासेज तक का ध्यान रखने वाले इम्तियाज इस फिल्म में थोड़ा हटकर हो गए हैं और फिल्म मल्टीप्लेक्स ओरियंटेड ज्यादा लगती है. वैसे भी फिल्म का बजट 70 करोड़ रु. बताया जाता है. ऐसे में इस कॉन्टेंट के साथ फिल्म को काफी मेहनत करनी पड़ेगी. रणबीर का काफी कुछ इस फिल्म के साथ दांव पर लगा हुआ है. तमाशा को देखकर गालिब की यही लाइन याद आती है, "...देखने हम भी गए पर तमाशा न हुआ."