रेटिंगः 2 स्टार
कलाकारः शाहरुख खान, काजोल, वरुण धवन, कृति सैनन,
डायरेक्टरः रोहित शेट्टी
हम शरीफ क्या हुए दुनिया बदमाश हो गई...यह 'दिलवाले' का शाहरुख का वह डायलॉग है, जिसने फिल्म के ट्रेलर को हिट बनाने में अहम रोल अदा किया था. उम्मीदें जगाई थीं. लेकिन फिल्म देखकर यही लगा कि शाहरुख आप रोहित शेट्टी के भारी-भरकम रिकॉर्ड पर क्या मर-मिटे फिल्मों को लेकर आपकी चॉयस ही गड़बड़ा गई. एक बात यह भी है कि जब हमारे सुपरस्टार उम्र के 50वें साल में कदम रख रहे हैं, ऐसे में उन्हें अपने दो-तीन दशक पुराने अवतारों को जिंदा करने की जुगत में नहीं लगना चाहिए. इसीलिए 'डर', 'बाजीगर', 'चक दे..' जैसी बेहतरीन फिल्में देने वाले शाहरुख खान को अब अपने 'राज' अवतार से निकलने की कोशिश करनी चाहिए. फिर रोहित शेट्टी का ओवरकॉन्फिडेंस भी इस फिल्म में नजर आता है. इसलिए कहानी की बजाय वह ऊंची-लंबी कारों पर ज्यादा जोर देते दिख. इस बार कॉमेडी पक्ष भी कमजोर रहा. इस हफ्ते रिलीज हुई 'बाजीराव मस्तानी' को देखने के बाद 'दिलवाले' को देखना कुछ ऐसा ही है जैसे देसी घी का जायकेदार खाना खाने के बाद कड़ुवे तेल की मिठाई खाना.
कहानी में कितना दम
शाहरुख (राज) और काजोल (मीरा) की मुलाकात होती है और फिर दोनों इश्क की डोर में बंध जाते हैं. वह माफिया परिवार से हैं. दोनों का प्यार परवान चढ़ रहा होता है, लेकिन कुछ ऐसा होता है कि दोनों की राहें जुदा हो जाती हैं. पंद्रह साल बाद फिर से इन दो दीवानों की कहानी शुरू होती है. इस बार इस कहानी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका शाहरुख और काजोल के भाई-बहन वरुण (वीर) और कृति (ईशिता) निभाते हैं. वरुण और कृति में प्यार होगा तो बड़े भाई बहन कैसे छूट जाएंगे. इस तरह से बिछड़े आशिक फिर टकराते हैं. लेकिन बुलगारिया से कहानी गोवा तक पहुंच चुकी होती है. फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है जिसे देखकर यही लगता है कि कई फिल्मों को देखा, उनसे विचार लिए और उन्हें मिक्सी में डालकर एक नया फॉर्मूला बना डाला. लेकिन यह फॉर्मूला या शेक पूरी तरह से बेस्वाद है.
स्टार अपील
शाहरुख खान प्यार करते तो अच्छे ही लगते हैं, लेकिन उनका दाढ़ी वाला लुक ज्यादा मजेदार है, और वह एक्शन में बहुत जमते हैं. उनके वनलाइनर मजेदार हैं. इस कमजोर कहानी का थोड़ा-बहुत मजबूत पक्ष वही हैं. जहां तक बात काजोल की है तो वह फिल्म में बहुत ही औसत लगी हैं और अब वह सिमरन जैसा कमाल करती कहीं नजर नहीं आती है. बेशक पचास के शाहरुख और 40 पार की काजोल की जोड़ी अब पहले जैसा जादू नहीं रखती है. फिर वरुण धवन सिर्फ छोटे भाई ही बनकर रह गए हैं. वरुण को इस तरह के कमजोर कैरेक्टर करने से पहले सोचना चाहिए. वहीं कृति सैनन काफी उम्मीदें जगाती हैं, फिल्म में उनके करने के लिए कुछ नहीं है. संजय मिश्रा गुदगुदाते हैं लेकिन बमन ईरानी बोरिंग हैं.
कमाई की बात
शाहरुख साल भर बाद लौटे हैं लेकिन घिसी-पिटी कहानी के साथ. बेशक उन्होंने 100 करोड़ रु. से ज्यादा की अपनी इस फिल्म की तूफानी मार्केटिंग की है और फिल्म को कामयाब बनाने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत भी की है. इससे पहले की उनकी फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' भी कहानी के मामले में काफी कमजोर थी, लेकिन फिल्म अच्छी कमाई कर गई थी. दिलवाले भी कहानी और अन्य मोर्चों पर बहुत उम्मीद नहीं जगाती है. लेकिन इस तरह की फिल्में शाहरुख की इमेज को नुक्सान ही पहुंचा रही हैं. यह बात साफ है कि बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़े चमत्कार करने की 'दिलवाले' की राह में 'बाजीराव मस्तानी' सबसे बड़ा रोड़ा है.