फिल्म रिव्यू: नशा
स्टार: पांच में से माइनस जीरो
इस रिव्यू को पढ़ने के ठीक बाद आप मेरा नाम बहादुरी पुरस्कार के लिए भेज दीजिएगा. पूनम पांडे ने फिल्म के प्रचार के लिए ट्विटर की चूं चूं से जो वाहियात हथकंडे अपनाए, वैसी ही 'चूचू का मुरब्बा' टाइप फिल्म है 'नशा'. न स्टोरी का 'एस' है, न एक्टिंग का 'ए'. माइनस जीरो कोई अंक नहीं होता, लेकिन जीरो में भी कुछ आशावादी भाई गुंजाइश ढूंढ लेते हैं. उन गुंजाइशों को तबाह कर देने के लिए, इस फिल्म को माइनस जीरो स्टार.
रद्दी में क्यों नहीं फेंकी कहानी
स्टूडेंट-टीचर के बीच आकर्षण की बासी बोरिंग कहानी है. पंचगनी में एक स्कूल है, जहां स्टूडेंट मस्ती करते हैं. फनी हैं, लाउड हैं और नॉन वेज जोक्स शेयर करने में हिचकते नहीं हैं. फिर आती हैं अनीता मैम यानी पूनम पांडे. थियेटर सिखाने. एक स्टूडेंट जिसका नाम साहिल है, मैडम के प्यार में पड़ जाता है. अनीता मैडम के बॉयफ्रेंड की एंट्री होती है जो साहिल को परेशान करने लगता है. अनीता को यह बात पसंद नहीं.
अब चूंकि कहानी में एक विलेन होना चाहिए, तो सैमुअल का एक और अफेयर सामने आता है. रेव पार्टी में पुलिस उसे पकड़कर ले जाती है. अनीता का दिल टूट जाता है, जिसे साहिल संभालता है. मैडम कहती हैं कि साहिल के साथ वह अब आगे नहीं बढ़ सकतीं और सब कुछ छोड़कर उन्हें जाना है. लेकिन इससे पहले वह एक बार अपने प्यारे स्टूडेंट के साथ जोरदार सेक्स करती है.
पांडे जी की बात
पूनम पांडे एक्टिंग के नाम पर डिजास्टर हैं. भयानक भर्राई हुई आवाज, ऐसा लगता है चार पहलवान जिनका गला खराब है, दही पीकर एक सुर में चिंघा़ड रहे हों. मुंबई में रोशन तनेजा एक्टिंग क्लासेस चलाते हैं. वहां अभिनय के सबसे रद्दी नमूने के तौर पर 'नशा' के वीडियो दिखाई जा सकते हैं. आज ही का दिन है जब कैमरा जगत के लोग माफी मांगेंगे कि उन्हें पूनम पांडे को शूट करना पड़ा. एक अजीब सी कॉंमेडी फिल्म हो गई है 'नशा', जब पूनम चीख रही थीं, तो लोग हंस रहे थे. थर्ड क्लास एक्टिंग.
हवा हवाई डायरेक्शन
महान आचार्या पूनम पांडे का संदेश है कि प्यार गर्मी की छट्टियों की तरह होता है. हर साल आता है और अलग मजा देता है. इस डायलॉग पर लौंडे ताली बजा सकते हैं. स्टूडेंट एक गाना लेकर आते हैं 'गोटी सॉन्ग', यहां फिल्म कुछ ठीक लगती है. इसके अलावा सब कुछ टॉर्चर है. स्क्रीनप्ले क्लीशे से भरा हुआ है. कुछ जगहों पर फिल्म बी ग्रेड जैसी भी लग सकती है. डायरेक्टर अमित सक्सेना इससे पहले 'जिस्म' बना चुके हैं. दस साल बाद उन्होंने वापसी की है. 'जिस्म' में सेसेंशन के साथ एक किस्म का क्लास भी था. पर लगता है कि वह सब कुछ सिर्फ भट्ट कैंप की वजह से था.
बोल्ड सीन के चक्कर में न जाएं
बोल्ड सीन के चक्कर में जो भाई लोग जाना चाहते थे, उनके लिए वैधानिक चेतवानी है कि इससे ज्यादा सीन महान महेश भट्ट पहले ही दिखा चुके हैं. फिल्म में वह भी नहीं है, जिसकी उम्मीद लोग लगाए बैठे थे. गाने जबरदस्ती भरे गए लगते हैं. एक दो गाने जो ठीक-ठाक भी हैं, वे जब तक आते हैं, आपका मूड उखड़ चुका होता है.
साहिल बने बच्चे ने न अच्छी एक्टिंग की है, न बुरी. अनीता मैडम के बॉयफ्रेंड का अभिनय ठीक है. कैमरा वर्क औसत है. एडिटिंग फूहड़ है. बीते दिनों में जैसे वीसीआर में तस्वीरें मिक्स की जाती थीं, कुछ जगहों पर वैसी एडिटिंग है.
करियर के लिए 'चिंगारी' होगी नशा!
यह पूनम पांडे की फिल्म थी और उसी रूप में इसे प्रचारित किया गया. लेकिन उन्होंने एक भी पॉइंट ऐसा नहीं दिया है, जिस पर गंभीरता से बात की जा सके. वह ट्विटर पर कोट चिपकाने और तस्वीरें लगाने में ही बेहतर हैं. 'नशा' उनके लिए ऐसी चिंगारी बन सकती है, जो उनके फिल्मी करियर को शुरू होने से पहले ही फूंककर तबाह कर देगी.
फिर भी जो भाई लोग खुद को रोक नहीं पा रहे हैं, वे घर से टीका करके हनुमान चालीसा लेकर जाएं, जूडी का बुखार पकड़ सकता है. बेहद सस्ता, घटिया और खतरनाक नशा है, दिलो-दिमाग की ऐसी-तैसी कर देगा.