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नीरा राडिया टेप, कॉमनवेल्थ स्कैम और जाने भी दो यारों का कचरा मिक्स्चर है ओ तेरी

फिल्म ओ तेरी कहानी है एक न्यूज चैनल में काम करते दो युवाओं की. फिल्‍म  के निर्माता अतुल अग्निहोत्री है.

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फिल्‍म 'ओ तेरी'
फिल्‍म 'ओ तेरी'

फिल्म रिव्यूः ओ तेरी
एक्टरः पुलकित सम्राट, बिलाल अमरोही, सारा जेन डायस, अनुपम खेर, विजय राज, मंदिरा बेदी
डायरेक्टरः उमेश बिष्ट
ड्यूरेशनः 1 घंटा 47 मिनट
स्टार: 5 में 1
आइए आज आपको एक फिल्म बनाना सिखाते हैं. इसके लिए सबसे पहले चाहिए एक कहानी. तो वीडियो लाइब्रेरी जाइए. 1983 में आई डायरेक्टर कुंदन शाह की कल्ट फिल्म जाने भी दो यारों उठाइए. इसको बार-बार देखिए. जी हां, अब आप इसके मॉर्डन डे अडॉप्टेशन के लिए तैयार हैं. दो महत्वाकांक्षी लेकिन निरे बुद्धू दोस्तों की कहानी, जो करप्ट सिस्टम से लड़ने को मजबूर हो जाते हैं. अब करप्ट सिस्टम के खांचे में कॉमनवेल्थ घोटाले और नीरा राडिया टेप को फिट कर दीजिए. दोस्तों को फोटोग्राफर की जगह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जर्नलिस्ट बना दीजिए. स्टोरी तैयार है प्यारे. अब डालते हैं कुछ और मसाले. लव का एंगल, अश्लील इशारों वाले जोक्स, ताकि फिल्म यूथ को कनेक्ट करे और मॉर्डन दिखे. कुछ सॉन्ग, जिसमें एक आइटम सॉन्ग विदेशी बाला के साथ जरूर हो. आखिर में सुपरस्टार सलमान खान के साथ एक गाना. और उससे पहले देशभक्ति और भ्रष्टाचार पर क्लाइमेक्स के दौरान एक भाषण, जिससे सब भाव विह्वल हो आंसू बहाने लगें.

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अब हमारी आपकी सबकी फिल्म तैयार है. इसका नाम है ओ तेरी. इसके निर्माता हैं सलमान खान के जीजा अतुल अग्निहोत्री. और अगर आपका अपने मूड की ओ तेरी करनी है, तभी इस वीकएंड पर इसे झेलने जाएं.

कहानी के नाम पर क्या देखेंगे आप
फिल्म ओ तेरी कहानी है एक न्यूज चैनल में काम करते दो युवाओं की. रिपोर्टर पीपी और कैमरा पर्सन एड्स. नाम पर मत जाइए आजकल शॉर्टकट का जमाना है और ये इन दोनों के शॉर्ट और कूल नाम हैं. पीपी अपनी युवा सेक्सी चैनल हेड मॉनसून से प्यार करता है. तो क्या हुआ जो वह इस प्यार को जताने के नाम पर हर वक्त उसके अंगों को घूरता रहता है. और एड्स तो कैसानोवा है. एक फिरंगी एयरहोस्टेस की जेब और शरीर दोनों पर हाथ साफ करता है.

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इन दोनों को ऑफिस से मिलती है लताड़ कि तुम्हारे प्रोग्राम को कोई व्यूअरशिप नहीं मिल रही है. नौकरी बचानी है तो कुछ बड़ा लेकर आओ. रेप, मर्डर, डकैती या फिर स्कैम. आखिरी वाले शब्द में दोनों की सुई अटक जाती है और लग जाते हैं पट्ठे स्कैम खोजने में.

उधर ख्वाजा साहब हैं, जो एशियन ओलंपिक गेम्स कमेटी के चेयरमैन हैं. ये गेम्स दिल्ली में होने हैं और ख्वाजा उसके टेंडर की बंदरबाट करने में लगे हैं. इसमें अपने हुस्न और मीडिया मैनेजमेंट के दम पर मदद करता है मंदिरा बेदी का फिल्मी अवतार. मगर ख्वाजा की राह में रोड़े अटकाने को तैयार है सरकार का ही एक ठेठ हरियाणवी और बात बात पर गालियां झाड़ने वाला मंत्री किल्लोल.

फिल्म के शुरू में ही भ्रष्ट तंत्र एक सीबीआई अधिकारी की हत्या करवा देता है, जिसकी लाश हमारे पीपी और एड्स लिए लिए फिरते हैं. आखिर में दोनों जाबांज अपनी बुद्धि और दैवीय चमत्कार की तरह उनके भीतर अवतरित हुई फाइटिंग के दम पर फोन टेप सीडी, सेक्स सीडी से होते हुए तमाम बुरी ताकतों को हराते हैं और देश की आंख में आंसू लाते हैं. भ्रष्ट नेता, करप्ट कारोबार और बिकाऊ मीडिया और इनके बीच की कड़ी पीआर माफिया का पर्दाफाश होता है. फिल्म में इसके अलावा नजर आए बेवकूफ गांव वाले, जो भैंस की सेहत को लेकर परेशान हैं और जगराता कर उसकी सेहत सुधारना चाहते हैं. एक ठेकेदार, जो गेम्स के जरिए पैसे बना रहा है और फिर पूरी दुनिया को गाकर इसके बारे में बता रहा है और आखिर में न्याय के साथ भी खुद को पा रहा है.

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एक्टिंग और बाकी सब कुछ
पुलकित सम्राट में काफी गुंजाइश है, इसे हमने फुकरे फिल्म में देखा. मगर यहां उनके रोल पर मेहनत नहीं की गई. उन्हें समझना होगा कि सिर्फ सलमान खान की सरपरस्ती से काम नहीं चलेगा. फिल्म के ज्यादातर एक्टर्स एक्टिंग का बोझ ढोते नजर आते हैं. बिलाल राज और सारा जेन फ्लैट फेस के साथ आते हैं और वैसे ही बीतते चले जाते हैं. विजय राज कुछ एक मौकों पर हंसाते हैं, मगर ज्यादातर बार उनकी गालियां और बंदरों की तरह उचकाऊपन दिखाना ये सोचने को मजबूर करता है कि क्या यही सब रह गया है करने को. अनुपम खेर लगातार औसत रोल करने में लगे हैं. पिछले हफ्ते गैंग ऑफ घोस्ट्स और अब ये फिल्म. पता नहीं दोष उनका है या आजकल बन रही फिल्मों का. मंदिरा बेदी अरसे बाद पर्दे पर आईं, मगर उन्हें देख कोई शांति हाथ न आई.

फिल्म के गाने जबरन ठूंसे गए हैं. पहला गाना बट पतलो हमें ये बताता है कि बॉलीवुड ने अचानक नारी के शरीर के इस हिस्से में नए सिरे से मादकता खोज ली है. पहले करीना कपूर और इमरान खान ने हमें गोरे गोरे टूं का महात्म्य समझाया और अब पीपी-एड्स के हिस्से बट के पतलो होने का बखान करने का वक्त आया. इसके अलावा और भी जब जब गाने आते हैं, तो ऐसा लगता है कि डायरेक्टर डायलॉग सुनते सुनते बोर हो गया तो अचानक उसके मन में आया, चल एक गाना शूट करते हैं.

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बहरहाल, थोड़े लिखे को ज्यादा समझिए. कुछ फूहड़ जोक्स और फर्जी देशभक्ति वाली सैटायर फिल्म देखने को मरे जा रहे हैं तो ओ तेरी देखें, वर्ना थिएटर में क्वीन और आंखों देखी जैसी अच्छी फिल्में अभी भी लगी हैं.

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