scorecardresearch
 

Potluck Review: बड़े सपनों की उड़ान के बीच परिवार का असल मतलब समझाती सीरीज

Potluck Review: हंसी मजाक के बहाने परिवार का असल मतलब बताने की कोशिश है....आपको देखनी चाहिए या नहीं...हम बताते हैं

Advertisement
X
पॉटलक पोस्टर
पॉटलक पोस्टर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बड़ा बजट नहीं कहानी में दम जरूरी
  • एक्टिंग डिपार्टमेंट ने गदर मचाया
  • गजब का डायरेक्शन, मैसेज भी तगड़ा
फिल्म:पॉटलक
4/5
  • कलाकार : सायरस साहूकार, इरा दुबे, जतिन सियाल
  • निर्देशक :राजश्री ओझा

बड़े सपने....उन्हें पूरा करने की चाहतें...उन सपनों से पैदा होतीं परिवार में दूरियां. ये एक टिपिकल मिडिक क्लास की जिंदगी हो गई है. कहने को परिवार है, लेकिन अब सपने हावी हो गए हैं. उन्हें पूरा कर ज्यादा पैसा कमाना ही गोल रह गया है.  अब उन बड़े सपनों के बीच परिवार का असल मतलब समझाने का प्रयास कर रही हैं डायरेक्टर राजश्री ओझा जो लेकर आ गई हैं आठ एपिसोड की सीरीज Potluck. कितनी सफल रही हैं, पढ़ते जाइए...पता चल जाएगा

Advertisement

कहानी

शास्त्री परिवार की कहानी है. हाई मिडिल क्लास फैमिली है. जिंदगी बढ़िया चल रही है लेकिन ज्यादा हासिल करने की होड़ सभी में है. इस सब के बीच घर का सबसे बड़ा मुखिया गोविंद शास्त्री ( जतिन सियाल) पूरे परिवार को फिर साथ लाना चाहता है. कोशिश तो पहले भी की गई, लेकिन बड़े सपने वाले परिवार को साथ नहीं ला पाया. अब उस मिशन को पूरा करने का गोविंद तगड़ा तरीका निकालता है. हार्ट अटैक. बहाना है लेकिन परिवार की सहानुभूती जीतने के लिए काफी. पूरा परिवार चिंता में आ जाता है, बड़े-बड़े सपने देखने वाले बच्चे तुरंत पिता के बारे में सोचने लग जाते हैं.

तब गोविंद ऐलान कर देता है कि अब हर हफ्ते हमारा पूरा परिवार Potluck पर मिलेगा. Potluck का मतलब होता है पूल पार्टी...वो पार्टी जहां पर सभी कुछ ना कुछ बनाकर लेकर जाते हैं और फिर एक पिकनिक जैसा माहौल बन जाता है. गोविंद के कुल दो बेटे और एक बेटी है. सबसे बड़ा बेटा है विक्रांत शास्त्री ( सायरस). उसकी पत्नी अकांक्षा ( इरा दुबे) और उसके तीन बच्चे. दूसरा बेटा ध्रुव शास्त्री ( हरमन सिन्हा) और उसकी पत्नी निधी (सलोनी). बेटी का नाम प्रेरणा ( शिखा तलसानिया) जो पेशे से राइटर लेकिन तलाश रही अपनी जिंदगी का प्यार. अब जब ये पूरा परिवार एक साथ एक छत के नीचे Potluck के लिए आता है, तब कितना हंगामा होता, कितनी बार बवाल कटता है....यही सबकुछ आठ एपिसोड में दिखाया गया है. और हां सीनियर शास्त्री की हार्ट अटैक वाली कहानी पर पूरा परिवार कैसे रिएक्ट करता है, ये भी आठ एपिसोड देखने के बाद ही साफ होगा.

Advertisement

बड़ा बजट नहीं कहानी में दम जरूरी

किसने कहा है कि बेहतरीन कंटेंट देने के लिए बड़ा बजट जरूरी है. कौन कहता है कि सिर्फ बड़े पर्दे पर ही फिल्म का मजा लिया जा सकता है. ऐसा सोचने वाले अपनी जिंदगी के 192 मिनट निकालकर Potluck देख डालें....मनोरंजन तो बढ़िया रहेगा ही....काफी कुछ सीखने को भी मिलेगा. हां इस कहानी के ज्यादातर संवाद अंग्रेजी में हैं....मजाक और बातें भी वो 'इलाइट क्लास' वाली हैं. लेकिन फिर भी कनेक्ट कर जाएंगे. हर एपिसोड मात्र 24 मिनट का है तो कहानी किसी भी समय आपको खिची हुई दिखाई नहीं पड़ेगी. वैसे भी हर एपिसोड एक अलग एंगल के साथ आता है तो सस्पेंस एलिमेंट आखिर तक रहता है.

एक्टिंग डिपार्टमेंट ने गदर मचाया

Potluck की स्टारकास्ट भी कहानी की ही तरह जबरदस्त रही है. सभी अपने रोल में शानदार दिखे हैं. लंबे समय बाद सायरस को फिर देखना आप सभी को खुश कर जाएगा. एक्टर तो बेहतरीन हैं ही, जिस आसानी से वे अपने रोल में ढल जाते हैं, वो काबिले तारीफ है. हर एपिसोड हर सीन में उन्होंने अपना प्रभाव छोड़ा है. उनकी पत्नी के रोल में इरा दुबे भी बेहतरीन कही जाएंगी. कोई एक्टिंग नहीं की है सिर्फ रोल निभा गई हैं. ध्रुव के रोल में हरमन सिन्हा भी एकदम फिट बैठे हैं. फिजीक पर तो उन्होंने तगड़ा काम किया ही है, एक्टिंग भी तारीफ करने लायक रही है. ध्रुव की पत्नी बनीं सलोनी भी एक हाइ क्लास टिपिकल वर्किंग वुमन के किरदार छा गई हैं. नखरे दिखाने से लेकर पति को इशारे पर नचाने तक, मजेदार कहा जाएगा उनका किरदार. 

Advertisement

अब बात करते हैं वीरे दी वेडिंग में कमाल का काम करने वालीं शिखा तलसानिया की. उनकी एक नेचुरल विटीनेस है जो स्क्रीन पर भी आसनी  से दिख जाती है. उन्हें कम डायलॉग भी दे दो, लेकिन असर हमेशा छोड़ेंगी. सीरीज में भी उन्होंने वहीं धमाल सादगी के साथ मचा दिया है. वैसे ये सब सीरीज में सहकलाकार की भूमिका में हैं, असल हीरो तो जतिन सियाल और किकू गिदवानी हैं. मतलब एक बार के लिए बाकी एक्टरों को भूल भी जाएं तो अकले अपने दम पर ये दोनों कलाकार पूरी सीरीज को अंत तक ले जाएंगे. नोक झोंक पसंद आएगी, एक दूसरे पर तंज कसने का तरीका हंसा जाएगा और फिर छिप-छिप कर रोमांस करना कई लोगों को उनके पुराने दिन याद दिला जाएगा.

गजब का डायरेक्शन, मैसेज भी तगड़ा

Potluck की मजबूती उसकी डायरेक्शन में भी छिपी है. जिस तरह से इस कहानी को आगे बढ़ाया गया है, जितनी परतों में इसे सजाया गया है. वो देख मजा आता है. मतलब हर सीन में हंसी है....हर सीन में एक आम बोल-चाल वाला स्टाइल है. एक वक्त भी ऐसा नहीं आता जब कहानी ने हमारा साथ छोड़ दिया हो. एपिसोड खत्म होने के बाद अगला एपिसोड अपने आप ही लग जाता है और आप बस देखते रह जाते हैं. ये सब होता है क्योंकि राजश्री ओझा ने इतना लाजवाब डायरेक्शन कर दिखाया है. अच्छी बात तो ये भी रही इस सीरीज ने कम समय में हमे परिवार का वो मतलब समझा दिया है जो शायद बड़ी-बड़ी फिल्में कई घटों में ना कर पाएं. कोई भाषणबाजी नहीं की है, लेकिन फिर भी मैसेज हम तक पहुंच गया.

Advertisement

तो बस सोनी लिव पर है ये सीरीज...सब्सक्रिप्शन भी कुछ खास महंगा नहीं है. एक बार बैठिए और पूरी सीरीज देख डालिए. परिवार के साथ देखेंगे तो और ज्यादा मजा आएगा. अकेले देखेंगे तो सीरीज देख कई मौकों पर परिवार की याद आ सकती है.
 

Advertisement
Advertisement