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सिनेमाघरों में पहुंची ‘राजुला-मालुशाही’ की अमर प्रेम कहानी

‘राजुला’ छोटे बजट की फिल्म है. उत्तराखंड की लोकगाथा/कथा ‘राजुला-मालूशाही’ पर आधारित है यह फ़िल्म ‘दिल्ली अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ में ‘ऑडियंस चॉइस’ अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी है. पीवीआर सिनेमा के डायरेक्ट कट के तहत 18 अक्टूबर को भारत के कई सिनेमाघरों में इसे रिलीज किया गया है.

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फिल्‍म का एक दृश्‍य
फिल्‍म का एक दृश्‍य

स्टार: 2
निर्देशक: नितिन तिवारी
निर्माता: मनोज चंदोला ( हिमाद्री प्रोडक्शन प्रा. लि.)
कलाकार: करण शर्मा, आशिमा चंदोला, हेमंत पांडे, अनिल घिल्डियाल, विष्णु गुरंग
संगीत: सुधीर और मिलिंद
गायन: जावेद अली, मोना भट्ट, तरुण धींगरा और वीरेन्द्र नेगी

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‘राजुला’ छोटे बजट की फिल्म है. उत्तराखंड की लोकगाथा/कथा ‘राजुला-मालूशाही’ पर आधारित है यह फ़िल्म ‘दिल्ली अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव’ में ‘ऑडियंस चॉइस’ अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी है. पीवीआर सिनेमा के डायरेक्ट कट के तहत 18 अक्टूबर को भारत के कई सिनेमाघरों में इसे रिलीज किया गया है.

कहानी:
15वीं शताब्ती में उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में रंगीलो बैराठ के कत्यूर वंश के राजा मालूशाही और जौहार के भोट व्यापारी सुनपति शौक की बेटी राजुला की प्रेम कहानी पर रवि (करण शर्मा) एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाना चाहता है. एक एनजीओ में काम करने वाली भावना (आशिमा चंदोला) उसकी मदद करती है. रवि का मामा (हेमंत पांडे) उसे घरवालों के विरोध के बावजूद ननिहाल बुलाता है. गांव के बुजुर्ग के जागर और न्योली लोकगीत की पृष्ठभूमि में राजुला और मालू की प्रेम कहानी के साथ-साथ रवि और भावना की प्रेम कहानी भी आगे बढती है.

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पटकथा, कलाकार और निर्देशन:
ऐतिहासिक प्रेम कहानी के साथ अधिक छेड़छाड़ न करते हुए पटकथा पर निर्देशक ने दर्शकों पर अपनी पकड़ मजबूत रखी है. कई टीवी धारावाहिकों में काम कर चुके करण शर्मा ने रवि और मालू के चरित्र को बखूबी निभाया. मगर अभिनेत्री आशिमा के अभिनय में विविधता का अभाव झलकता है. ऑफिस-ऑफिस फेम ‘पांडेजी’ हेमंत पांडे ने मामा का किरदार स्थानीय पुट डालकर महीनता से अदा किया. अनिल घिल्डियाल ने बड़े मामा की नकारात्मक भूमिका को अच्छा निभाया है. सुनपति शौक के रोल में नेपाली अभिनेता विष्णु गुरंग में अपनी छाप छोड़ी है.

क्या है खास:
फिल्म की पहाड़ी लोकेशन बहुत ही खूबसूरत है. पिथौरागढ़, केदारनाथ (आपदा से पूर्व), बद्रीनाथ, जागेश्वर और मुनस्यारी शूटिंग स्थल हैं. संगीत साधारण मगर कुछ लोकगीत कर्णप्रिय हैं. हीर-रांझा, सोनी-मेहवाल जैसी प्रेम कहानियों के शौकीन दर्शकों के लिए ‘राजुला-मालूशाही’ की कहानी ‘राजुला’ जिज्ञासा और कौतुक भरी होगी. पूर्वी दिल्ली में पीवीआर ईडीएम, दक्षिणी दिल्ली में पीवीआर साकेत और फरीदाबाद में पीवीआर क्राउन प्लाजा में दर्शक पोपकोर्न के साथ पहाड़ घूमने का मजा ले सकते हैं.

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